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बैंक नहीं मान रहे मुख्यमंत्री फसल ऋण माफी योजना के प्रमाण पत्र, किसान हो रहे परेशान - farmer loan waiver news

मध्यप्रदेश के किसानों को सरकार ने मुख्यमंत्री फसल ऋण माफी के प्रमाण पत्र दिए गए थे बैंक अधिकारी उन्हे मानने से माना कर रहे हैं. वहीं जिन किसानों के ऋण माफ किए गए हैं, अब बैंक उनसे ब्याज सहित ऋण की राशि वापस करने की मांग कर रहा है.

किसानों से मांगी जा रही ऋण की राशि
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Published : Nov 25, 2019, 1:09 PM IST

झाबुआ। जिले में विधानसभा उपचुनाव के दौरान सीएम और तमाम मंत्रियों ने किसानों के ऋण माफी की बात कही थी. मगर झाबुआ में अभी भी 23 हजार ऐसे किसान हैं जिनका कर्ज माफ होना है. वहीं जिन किसानों का कर्ज माफ हो चुका है उन्हें भी कर्ज भरने के लिए बैंक और सोसायटी परेशान करने लगी है. बैंक के अधिकारी वसूली के लिए किसानों के घर तक पहुंचने लगे हैं.

किसानों से मांगी जा रही ऋण की राशि


सरकार में आने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ में सबसे पहले मुख्यमंत्री फसल ऋण माफी योजना की फाइल पर हस्ताक्षर किए थे, और प्रदेश भर में लाखों किसानों का कर्ज माफ किया था. इसके लिए प्रदेश में अलग-अलग जिलों में फसल ऋण माफी के प्रमाण पत्र वितरित किए गए थे. झाबुआ में इन प्रमाण पत्रों को अब बैंक वाले नहीं मान रहे हैं.


झाबुआ विधानसभा के बोरी क्षेत्र के चूड़ी बड़ी गांव के एक दर्जन से ज्यादा किसान बैंक वालों से परेशान होकर झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया से मिलने उनके निवास पहुंचे. हालांकि इन किसानों की भूरिया से मुलाकात नहीं हो पाई मगर किसानों ने बताया कि बैंक वाले न सिर्फ ब्याज की वसूली कर रहे हैं बल्कि मूल ऋण की भी वापसी चाहते हैं.


किसानों ने कहा कि जब बैंक अधिकारियों को मुख्यमंत्री किसान ऋण माफी के प्रमाण पत्र बताए गए तो बैंक अधिकारियों ने उन प्रमाण पत्रों को मानने से मना कर दिया. किसानों ने कांग्रेस के अन्य नेताओं से भी मुलाकात की मगर सभी जगह उन्हें केवल आश्वासन मिला.

झाबुआ। जिले में विधानसभा उपचुनाव के दौरान सीएम और तमाम मंत्रियों ने किसानों के ऋण माफी की बात कही थी. मगर झाबुआ में अभी भी 23 हजार ऐसे किसान हैं जिनका कर्ज माफ होना है. वहीं जिन किसानों का कर्ज माफ हो चुका है उन्हें भी कर्ज भरने के लिए बैंक और सोसायटी परेशान करने लगी है. बैंक के अधिकारी वसूली के लिए किसानों के घर तक पहुंचने लगे हैं.

किसानों से मांगी जा रही ऋण की राशि


सरकार में आने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ में सबसे पहले मुख्यमंत्री फसल ऋण माफी योजना की फाइल पर हस्ताक्षर किए थे, और प्रदेश भर में लाखों किसानों का कर्ज माफ किया था. इसके लिए प्रदेश में अलग-अलग जिलों में फसल ऋण माफी के प्रमाण पत्र वितरित किए गए थे. झाबुआ में इन प्रमाण पत्रों को अब बैंक वाले नहीं मान रहे हैं.


झाबुआ विधानसभा के बोरी क्षेत्र के चूड़ी बड़ी गांव के एक दर्जन से ज्यादा किसान बैंक वालों से परेशान होकर झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया से मिलने उनके निवास पहुंचे. हालांकि इन किसानों की भूरिया से मुलाकात नहीं हो पाई मगर किसानों ने बताया कि बैंक वाले न सिर्फ ब्याज की वसूली कर रहे हैं बल्कि मूल ऋण की भी वापसी चाहते हैं.


किसानों ने कहा कि जब बैंक अधिकारियों को मुख्यमंत्री किसान ऋण माफी के प्रमाण पत्र बताए गए तो बैंक अधिकारियों ने उन प्रमाण पत्रों को मानने से मना कर दिया. किसानों ने कांग्रेस के अन्य नेताओं से भी मुलाकात की मगर सभी जगह उन्हें केवल आश्वासन मिला.

Intro:झाबुआ' मध्य प्रदेश में सरकार में आने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ में सबसे पहले मुख्यमंत्री फसल ऋण माफी योजना की फाइल पर हस्ताक्षर किए थे, और प्रदेश भर में लाखों किसानों का कर्ज माफ किया था । इसके लिए प्रदेश में अलग-अलग जिलों में फसल ऋण माफी के प्रमाण पत्र वितरित किए गए थे ,झाबुआ में इन प्रमाणपत्रों को अब बैंक वाले नहीं मान रहे ।


Body:झाबुआ में विधानसभा उपचुनाव के दौरान सरकार के मुख्यमंत्री और तमाम मंत्रियों ने किसानों का शत-प्रतिशत ऋण माफी की बात कही थी मगर झाबुआ में अभी 23000 ऐसे किसान हैं जिनका कर्ज माफ होना है । आलम यह है कि जिन किसानों का कर्ज माफ हो चुका है उन्हें भी कर्ज भरने के लिए बैंक और सोसायटी तकाजा करने लगी है । बैंक के अधिकारी वसूली के लिए किसानों के घर पहुंचने लगे हैं और किसानों को प्रताड़ित करने लगे हैं।


Conclusion:झाबुआ विधानसभा के बोरी क्षेत्र के ग्राम चूड़ी बड़ी के एक दर्जन से ज्यादा किसान बैंक वालों से परेशान होकर झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया से मिलने झाबुआ उनके निवास पहुंचे । हालांकि इन किसानों की भूरिया से मुलाकात नहीं हो पाई मगर किसानों ने बताया कि बैंक वाले न सिर्फ ब्याज की वसूली कर रहे हैं बल्कि मूल ऋण की भी वापसी चाहते हैं । किसानो ने कहा कि जब बैंक अधिकारियों को मुख्यमंत्री किसान ऋण माफी के प्रमाण पत्र बताए गए तो बैंक अधिकारियों ने उन प्रमाणपत्रों को मानने से मना कर दिया। किसानों ने कांग्रेस के अन्य नेताओं से भी मुलाकात की मगर सभी जगह उन्हें केवल आश्वासन मिला इधर किसान बैंक की प्रताड़ना से परेशान होते जा रहे हैं ।
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