रतलाम: शादियों के सीजन के बीच सोना उच्चतम स्तर 86 हजार तक पहुंच गया है. रतलाम के प्रसिद्ध सराफा बाजार में सोने के दाम अधिकतम 85800 प्रति 10 ग्राम तक रहे. वहीं, जेवराती सोने का दाम भी 78500 प्रति 10 तक रहा है. ऐसे में उपभोक्ताओं के सामने सोने के बढ़े हुए दाम मुसीबत बन रहे हैं. ऐसे में शुद्ध सोने के लिए मशहूर रतलाम की कारीगरी उपभोक्ताओं के खर्च को कम कर सकती है. सोने के बड़े हुए दामों के बीच थेवा कला से निर्मित ज्वेलरी बेहतर विकल्प साबित हो रही है. वहीं, उपभोक्ता कम सोने में ही पूरी ज्वेलरी का विकल्प अपना सकते हैं.
![Ratlam Thewa Jewellery](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/08-02-2025/goldjewelleryoption_07022025200703_0702f_1738939023_86.jpg)
मिडिल क्लास परिवारों के लिए वरदान
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने के दाम नई ऊंचाइयां छू रहे हैं. ऐसे में भारत में शादियों का सीजन चल रहा है. खासकर जिन घरों में शादियां हैं, उनका बजट ज्यादा होता जा रहा है. रतलाम की प्रसिद्ध थेवा कला ज्वेलरी और ग्राम ज्वेलरी खरीदकर लोग अपना बजट मैनेज कर सकते हैं. दिखने में भी यह ज्वेलरी बेहद आकर्षक और कीमती है. जहां एक गोल्ड ज्वेलरी सेट पर 1 लाख रुपए खर्च होंगे. उसकी जगह 10 से 15 हजार रुपए में थेवा और ग्राम ज्वेलरी सेट तैयार हो जाते हैं.
क्या है थेवा कला और ग्राम ज्वेलरी ?
कांच पर नक्काशी कर ज्वेलरी बनाने की प्राचीन काल को 'थेवा कला' कहा जाता है. इसमें रंग-बिरंगे बेल्जियम कांच और 23 कैरेट शुद्ध सोने का इस्तेमाल होता है. यह कलाकारी 500 वर्ष पुरानी है, लेकिन अब इसके थोड़े बहुत ही कारीगर शेष बचे हैं. वहीं, तांबे और अन्य मिश्र धातु का इस्तेमाल कर उसपर सोने की परत चढ़ाई जाती है. इस तरह की ज्वेलरी 22 कैरेट सोने से बनी सोने की ज्वेलरी से करीब 10 गुना तक सस्ती हो सकती है. जबकि आपको गोल्ड ज्वेलरी जैसा ही फील देती है.
![GOLD JEWELLERY THEWA ART](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/08-02-2025/goldjewelleryoption_07022025200703_0702f_1738939023_48.jpg)
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आकर्षक दिखती हैं थेवा कला से निर्मित ज्वेलरी
रतलाम के मशहूर थेवा कला आर्टिस्ट राजेश सोनी बताते हैं, " महंगाई के इस दौर में 22 कैरेट सोने से निर्मित आभूषण खरीदना मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए मुश्किल होता जा रहा है. वहीं, ज्वेलरी चोरी होने और गुम होने का खतरा भी बना रहता है. थेवा कला से निर्मित ज्वेलरी आकर्षक भी होती है और जितना वजन सोने का लगाया जाता है. उसका पक्का बिल भी प्राप्त होता है, जिसे बेचने पर सोने के दाम भी मिल जाते हैं."