झाबुआ। जिस कोरोना महामारी से दुनिया परेशान है, अल्ला, ईश्वर, ईशु भी इस वायरस के प्रकोप से बच नहीं पाए हैं. सभी धर्मस्थल सूने पड़े हैं, मंदिर की आरती, मस्जिद की अजान, चर्च की प्रार्थन और गुरुद्वारे की गुरूवाणी की आवाज कई-कई दिनों तक सुनाई नहीं देगी.
जिन देवालयों में भक्तों की कतारें लगती थीं, उन मंदिरों में सन्नाटा पसर जाएगा. कोरोना ने मानो ऐसा कहर बरपाया है, दिन के चारों पहर इधर-उधर घूमने वाला इंसान घर में कैद होकर रह गया है. मंदिरों में देवाताओं की होने वाली पूजा, मस्जिदों में होने वाली खुदा की इबादत और चर्च में होने वाली भगवान ईशु की प्रार्थना करना भी मुश्किल हो जाएगा.
ऐसा लग रहा है कि जैसे भारत के धर्म स्थलों को किसी की नजर लग गई हो. झाबुआ के तमाम धार्मिक स्थलों पर पिछले 62 दिनों से ना कोई धार्मिक आयोजन, संतों के प्रवचन, लंगर, पांच पहर की नमाज कुछ भी नसीब नहीं हुआ है. भारत के लोगों में धार्मिक आस्था प्रगाढ़ मानी जाती है. लोग तमाम बंधनों के बाद भी अपने इष्ट की पूजा करने से नहीं चूकते. मगर कोरोना संक्रमण ने भक्तों को अपने भगवान से दूर कर दिया है. धर्मगुरु से लेकर महंत, पादरी, इमाम अपने अनुयायियों की सुरक्षा के चलते धार्मिक स्थल आमजनों की सुरक्षा के लिए नहीं खोल रहे हैं, मगर लोगों की प्रार्थना और दुआएं दुनिया से कोरोना की रवानगी के लिए रोज पढ़ी जा रही हैं.