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जबलपुर में शहरी गरीबों को नहीं मिलेगी आवास सब्सिडी, महंगे खरीदने होंगे मकान

जबलपुर नगर निगम के इंजीनियरों और कंसल्टेंसी की चालाकी की वजह से प्रधानमंत्री आवास योजना की निर्माण लागत बढ़ती जा रही है. केंद्र सरकार ने जो सब्सिडी जारी की थी वह निर्माण में ही खर्च हो. जिससे नगर निगम के पास सब्सिडी देने का पैसा नहीं बचा है.

Urban areas will not get housing
जबलपुर में शहरी गरीबों को नहीं मिलेगी आवास सब्सिडी
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Published : Dec 22, 2019, 11:04 PM IST

जबलपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाले मकान गरीबों के लिए दूर की कौड़ी नजर आ रहे हैं. नगर निगम के इंजीनियरों और कंसल्टेंसी की चालाकी की वजह से प्रधानमंत्री आवास योजना की निर्माण लागत बढ़ती जा रही है. केंद्र सरकार ने जो सब्सिडी जारी की थी वह निर्माण में ही खर्च हो. जिससे नगर निगम के पास सब्सिडी देने का पैसा नहीं बचा है. जिसके बाद प्रधानमंत्री आवास के मकान लोगों को 5 लाख 64 हजार की बजाय 7 लाख 90 हजार में खरीदने पड़ रहे हैं.

जबलपुर में शहरी गरीबों को नहीं मिलेगी आवास सब्सिडी

जबलपुर नगर निगम ने एडीबी से लगभग 400 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है. इन पैसों से शहरी गरीबों के लिए 8 हजार फ्लैट बनाए जाने हैं इन फ्लैटों को बनाए जाने की समय सीमा 2018 तय की थी और इनकी कीमत कम आय वाले लोगों के लिए 5 लाख 64 हजार तय की गई थी. इस राशि में केंद्र सरकार ने लगभग डेढ़ लाख रुपए अनुदान के रूप में गरीबों को दिया है. लेकिन केंद्र सरकार की योजना को जबलपुर नगर निगम पूरा करने में नाकाम दिख रही है.

हितग्राहियों के मुताबिक नगर निगम ने कहा था कि प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान हितग्राहियों को 5 लाख 64 हजार रुपये में मिलेंगे. लेकिन नगर निगम के अधिकारी कह रहे हैं कि मकान 5 लाख 64 हजार की वजह 7 लाख 90 हजार में पड़ेंगे.

वहीं शहरी आवास के इन चार्ज ने इसका ठीकरा राज्य सरकार पर थोपते हुए कहा कि इस सरकार ने गरीब जनता की संवेदनशीलता को ही समाप्त कर दिया है. उन्होंने इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार मानते हुए कहा कि इस सरकार ने गरीबों को मिलने वाली छूट को समाप्त कर दिया है.

वहीं नेता प्रतिपक्ष राजेश सोनकर ने कहा कि बीजेपी नेता और यहां के अधिकारियों ने जनता के पैसों का बंदरबांट कर खा लिया है.

जबलपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाले मकान गरीबों के लिए दूर की कौड़ी नजर आ रहे हैं. नगर निगम के इंजीनियरों और कंसल्टेंसी की चालाकी की वजह से प्रधानमंत्री आवास योजना की निर्माण लागत बढ़ती जा रही है. केंद्र सरकार ने जो सब्सिडी जारी की थी वह निर्माण में ही खर्च हो. जिससे नगर निगम के पास सब्सिडी देने का पैसा नहीं बचा है. जिसके बाद प्रधानमंत्री आवास के मकान लोगों को 5 लाख 64 हजार की बजाय 7 लाख 90 हजार में खरीदने पड़ रहे हैं.

जबलपुर में शहरी गरीबों को नहीं मिलेगी आवास सब्सिडी

जबलपुर नगर निगम ने एडीबी से लगभग 400 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है. इन पैसों से शहरी गरीबों के लिए 8 हजार फ्लैट बनाए जाने हैं इन फ्लैटों को बनाए जाने की समय सीमा 2018 तय की थी और इनकी कीमत कम आय वाले लोगों के लिए 5 लाख 64 हजार तय की गई थी. इस राशि में केंद्र सरकार ने लगभग डेढ़ लाख रुपए अनुदान के रूप में गरीबों को दिया है. लेकिन केंद्र सरकार की योजना को जबलपुर नगर निगम पूरा करने में नाकाम दिख रही है.

हितग्राहियों के मुताबिक नगर निगम ने कहा था कि प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान हितग्राहियों को 5 लाख 64 हजार रुपये में मिलेंगे. लेकिन नगर निगम के अधिकारी कह रहे हैं कि मकान 5 लाख 64 हजार की वजह 7 लाख 90 हजार में पड़ेंगे.

वहीं शहरी आवास के इन चार्ज ने इसका ठीकरा राज्य सरकार पर थोपते हुए कहा कि इस सरकार ने गरीब जनता की संवेदनशीलता को ही समाप्त कर दिया है. उन्होंने इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार मानते हुए कहा कि इस सरकार ने गरीबों को मिलने वाली छूट को समाप्त कर दिया है.

वहीं नेता प्रतिपक्ष राजेश सोनकर ने कहा कि बीजेपी नेता और यहां के अधिकारियों ने जनता के पैसों का बंदरबांट कर खा लिया है.

Intro:जबलपुर नगर निगम ने बंद की प्रधानमंत्री आवास योजना में कमाई के लोगों को सब सिटी जरूरत से ज्यादा पैसा खर्च किया निर्माण कार्य में इसलिए नहीं बिक पा रहे हैं नगर निगम के बनाए हजारों मकान


Body:जबलपुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि 2022 तक देश के हर परिवार के पास अपनी छत होगी लेकिन लगता है कि जबलपुर के लोगों को छत तो मिलेगी लेकिन इसमें सरकारी मदद नहीं मिलेगी जबलपुर नगर निगम ने शहरी गरीबों के लिए बनने वाले आवास में सब्सिडी खत्म कर दी है

जबलपुर नगर निगम ने एडीबी से लगभग 400 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है इस पैसे से शहरी गरीबों के लिए 8000 फ्लैट बनाए जाने हैं इन फ्लैटों को बनाए जाने की समय सीमा 2018 थी और इनकी कीमत कम आय वाले लोगों के लिए ₹564000 थी इस पैसे में लगभग डेढ़ लाख रुपया केंद्र सरकार अनुदान के रूप में गरीबों को देती इस तरीके से इस मकान की पूरी लागत का पैसा नगर निगम के पास वापस आ जाता इससे दूसरे मकान बनाए जाते और इस तरीके से 8000 मकानों को बनाए जाने का लक्ष्य पूरा होता लेकिन ऐसा नहीं हुआ

नगर निगम के इंजीनियरों और कंसल्टेंसी की मूर्खता की वजह से प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्माण में जरूरत से ज्यादा खर्च हो गया और केंद्र सरकार ने जो सब्सिडी दी थी वह भी निर्माण में ही लग गई अब नगर निगम के पास सब्सिडी देने का पैसा नहीं बचा है इसलिए अब यह प्रधानमंत्री आवास लोगों को 564000 की बजाय ₹790000 में खरीदने पड़ेंगे

जबलपुर नगर निगम पर भारतीय जनता पार्टी के महापौर और मेयर इन काउंसिल है जबलपुर मेयर इन काउंसिल के सदस्य नवीन रिछारिया इस प्रोजेक्ट को देख रहे थे अब इनका आरोप है कि मौजूदा सरकार को दोषी बदला रहे हैं कि राज्य सरकार के शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने गरीबों की सब्सिडी बंद कर दी वहीं कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी के राज में निर्माण में लापरवाही या बढ़ती गई और जरूरत से ज्यादा पैसा खर्च कर दिया गया इसलिए सब्सिडी देने का पैसा नहीं बचा हालांकि वे अभी भी राज्य सरकार से बात करेंगे और संभव हो सका तो गरीबों को दोबारा सब्सिडी दी जाएगी


Conclusion:नगर निगम ने दूसरी लापरवाही इन मकानों को बनाने में की है यह मकान जबलपुर शहर से इतनी दूर बनाए गए हैं कि इनको खरीदार नहीं मिल रहे जबकि यदि यह शहर के पास बनाए जाते तो इतने कम पैसे में इन मकानों से नगर निगम अच्छा खासा मुनाफा पैदा कर लेती जिससे दूसरे मकान बनाए जा सकते लेकिन न जाने नगर निगम के अधिकारी और जिम्मेदार नेता जानबूझकर क्यों ऐसे फैसले लेते हैं जिससे जनता का पैसा बर्बाद होता है और योजनाएं अधूरी रह जाती हैं
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