जबलपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाले मकान गरीबों के लिए दूर की कौड़ी नजर आ रहे हैं. नगर निगम के इंजीनियरों और कंसल्टेंसी की चालाकी की वजह से प्रधानमंत्री आवास योजना की निर्माण लागत बढ़ती जा रही है. केंद्र सरकार ने जो सब्सिडी जारी की थी वह निर्माण में ही खर्च हो. जिससे नगर निगम के पास सब्सिडी देने का पैसा नहीं बचा है. जिसके बाद प्रधानमंत्री आवास के मकान लोगों को 5 लाख 64 हजार की बजाय 7 लाख 90 हजार में खरीदने पड़ रहे हैं.
जबलपुर नगर निगम ने एडीबी से लगभग 400 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है. इन पैसों से शहरी गरीबों के लिए 8 हजार फ्लैट बनाए जाने हैं इन फ्लैटों को बनाए जाने की समय सीमा 2018 तय की थी और इनकी कीमत कम आय वाले लोगों के लिए 5 लाख 64 हजार तय की गई थी. इस राशि में केंद्र सरकार ने लगभग डेढ़ लाख रुपए अनुदान के रूप में गरीबों को दिया है. लेकिन केंद्र सरकार की योजना को जबलपुर नगर निगम पूरा करने में नाकाम दिख रही है.
हितग्राहियों के मुताबिक नगर निगम ने कहा था कि प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान हितग्राहियों को 5 लाख 64 हजार रुपये में मिलेंगे. लेकिन नगर निगम के अधिकारी कह रहे हैं कि मकान 5 लाख 64 हजार की वजह 7 लाख 90 हजार में पड़ेंगे.
वहीं शहरी आवास के इन चार्ज ने इसका ठीकरा राज्य सरकार पर थोपते हुए कहा कि इस सरकार ने गरीब जनता की संवेदनशीलता को ही समाप्त कर दिया है. उन्होंने इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार मानते हुए कहा कि इस सरकार ने गरीबों को मिलने वाली छूट को समाप्त कर दिया है.
वहीं नेता प्रतिपक्ष राजेश सोनकर ने कहा कि बीजेपी नेता और यहां के अधिकारियों ने जनता के पैसों का बंदरबांट कर खा लिया है.