जबलपुर। भारतीय फिल्म जगत का सबसे बेहतरीन अदाकार दिलीप कुमार आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन आज भी लाखों-करोड़ों चाहने वालों के दिल में बसे हुए हैं. उनके निधन के बाद कहा गया कि फिल्म जगत के लिए सबसे बड़ा नुकसान है. जबलपुर में भी उनके लाखों चाहने वाले हैं. दिलीप साहब कभी जबलपुर नहीं आए, लेकिन जबलपुर में एक ऐसी शख्सियत हैं जिनके निकाह में शामिल होने के लिए दिलीप कुमार मुंबई से दिल्ली आ गए थे. आइए जानते हैं उनके निकाह की दास्तां.
1995 में दिल्ली पहुंचे थे दिलीप कुमार
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट और जबलपुर निवासी राशिद सोहेल सिद्दीकी का पूरा परिवार इन दिनों गहरे सदमे में है. दिलीप कुमार से उनके पारिवारिक संबंध थे. साल 1995 में राशिद सोहेल सिद्दीकी का निकाह दिल्ली में तय हुआ. सभी रिश्तेदार बारात में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच रहे थे.
राशिद के पिता से थे दिलीप साहब के संबंध
राशिद सोहेल सिद्दीकी के पिता के दिलीप कुमार से पुराने ताल्लुकात थे. उन्होंने दिलीप कुमार साहब से भी निकाह में शामिल होने की गुजारिश की, जिसे दिलीप कुमार ने सहर्ष स्वीकार कर लिया. जिस रोज निकाह था, उस रात दिलीप कुमार भी विवाह समारोह में शामिल होने के लिए रेल क्लब पहुंच गए.
दिलीप कुमार के हिट सान्ग पर बजाई थी शहनाई
राशिद सोहेल सिद्दकी ने ETV भारत से बातचीत के दौरान बताया कि दिलीप कुमार को स्टेज के पास आते देख कर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन दिनों शादी विवाह समारोह में शहनाई वादन का शगुन हुआ करता था. दिलीप साहब को देख कर शहनाई बजाने वालों में भी जोश आ गया. उन्होंने दिलीप कुमार के सबसे हिट गाने 'मेरे पैरों मे घुंघरू बांधा दे, तो फिर मेरी चाल देख ले' की धुन बजाना शुरू कर दिया. पूरा माहौल उत्साह से भर गया. यह देखकर दिलीप कुमार भी बेहद खुश नजर आए.
दिलीप कुमार को देखने के लिए उमड़ गई थी भीड़
असल मुसीबत तो उस वक्त शुरू हुई, जब दिल्ली की जनता को पता चला कि दिलीप कुमार यहां शादी समारोह में शामिल होने आए हैं. फिर क्या था शादी तो एक तरफ रह गई और भारी भीड़ ने दिलीप कुमार को घेर लिया. उन्होंने भी किसी भी तरह की नाराजगी जाहिर नहीं की. सभी लोगों से बहुत सहज भाव से मिले.
सबके साथ बैठकर खाया था खाना
शादी में दिलीप कुमार ने आम लोगों की तरह सबके साथ बैठकर खाना खाया. स्टेज पर आकर उन्हें और उनकी पत्नी को विवाह की बधाई दी और आशीर्वाद दिया. उन्होंने काफी देर तक राशिद सोहेल सिद्दीकी और उनकी पत्नी से बातचीत भी कीं.
दिलीप कुमार ने बताया कि शादी समारोह में जाने से वह इसीलिए बचते हैं, क्योंकि वहां बिन बुलाए मेहमानों की भीड़ टूट पड़ती है. इससे समारोह में काफी दिक्कत आती है. अपनी शादी के एल्बम के पन्ने पलटते हुए राशिद सोहेल सिद्दीकी बेहद गमजदा हो गए.
राशिद के पिता के दोस्त थे दिलीप कुमार
राशिद सोहेल ने बताया कि उनके पिता कहानियां लिखा करते थे, जिसके चलते दिलीप साहब ने उनके पिता को सिने फिल्म राइटर एसोसिएशन में सदस्य बनाया था. एक फिल्म बनाने की तैयारी भी चल रही थी, लेकिन वह हसरत कभी पूरी नहीं हो सकी.
विशेष फ्लाइट से दिलीप कुमार इंदौर से मुंबई मंगाते थे पकवान
दिलीप कुमार के साथ उनके परिवार का रिश्ता अंतिम समय तक कायम रहा. यही वजह है कि दिलीप साहब के जाने के बाद राशिद सुहेल सिद्दीकी और उनका परिवार बेहद दुखी है.