जबलपुर। कोरोना महामारी से बचने के लिए शहर के धर्मगुरुओं ने घर पर ही भगवान गणेश की स्थापना करने को कहा है. गणेश चतुर्थी पर मिट्टी के गणेश ही स्थापित करें. मिट्टी के महत्व को बताते हुए धर्मगुरू स्वामी गिरीशानन्द महाराज ने कहा कि मिट्टी की मूर्ति के पूजन से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है, मिट्टी पांच तत्वों में से एक है. वहीं प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों से नदियां अपवित्र होती हैं. ब्रह्मपुराण और महाभारत के अनुशासन पर्व के मुताबिक नदियों को प्रदूषित करने से दोष लगता है.
पुराणों में भगवान गणेश के जन्म की कथा में बताया गया है कि माता पार्वती ने पुत्र की कामना से मिट्टी का ही पुतला बनाया था फिर शिवजी ने उसमें प्राण डालकर जीवित किया था, जो भगवान गणेश कहलाए. शिव महापुराण में धातु की अपेक्षा मिट्टी की मूर्ति को महत्व दिया है. शास्त्रों में सोना, चांदी और तांबे से बनी मूर्तियों की पूजा का विधान बताया गया है. इसके साथ ही मिट्टी की मूर्ति को भी बहुत पवित्र माना गया है.
कुछ विशेष लकड़ियों से बनीं मूर्तियां भी पवित्र मानी गई हैं, लेकिन इन सब में मिट्टी की प्रतिमा के पूजन का महत्व ज्यादा है. गणेश पूजन से मां लक्ष्मी खुश होती हैं. शास्त्रों में भी उल्लेख है कि मिट्टी या फिर गोबर के मिश्रण से बनी गणेश मूर्ति की पूजा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा तो नष्ट होती है, साथ ही किसी शख्स की कुंडली में बुध ग्रह अशुभ होता है तो ग्रह भी शांत होता है. स्वामी गिरीशानन्द महाराज ने संस्कारधानी के लोगों से अपील करते हुए कहा है कि सब अपने घर मे मिट्टी की गणेश प्रतिमा स्थापित कर पूजन करें.