जबलपुर। कोरोना वायरस के बीच लगे लॉकडाउन में लोग अपने परिवार के संग हैं. बावजूद इसके लोग तनाव और अवसाद का शिकार हो रहे हैं. जिससे लोग आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं. संस्कारधानी के लोगों में लॉकडाउन के चलते स्ट्रेस लेवल में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. जिसकी गवाही ये आंकड़े दे रहे हैं. जबलपुर में 50 दिन में 51 लोगों ने आत्महत्या की है. आत्महत्या करने वालों में 29 पुरुष है और 22 महिलाएं शामिल हैं.
जम्मू कश्मीर में पदस्थ सेना के एक जवान ने अपनी पत्नी के साथ फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. आत्महत्या करने की वजह बेटे को खोने का गम बताया गया. इसके अलावा ब्रेन हेमरेज से बेटे की मौत से दुखी होकर एक मां ने भी फांसी लगाकर मौत को गले लगा लिया था.
नर्स ने लिया था ओवरडोज हुई मौत
रीवा की रहने वाली एक नर्स जो कि जबलपुर के निजी अस्पताल में ड्यूटी करती थी. उसने 6 मई को अपने घर पर इंजेक्शन का ओवरडोज लेकर आत्महत्या कर ली.वहीं भेड़ाघाट के 67 साल के बुजुर्ग ने भी फांसी लगा ली थी. इसके अलावा मझौली के एक युवक ने ट्रेन से कटकर अपनी जान दे दी. वहीं 18 साल की युवती ने भी अपने घर पर फांसी लगा ली.
टेंशन बनी सुसाइड की वजह
लॉकडाउन के बीच अपनों से दूर रहकर तनाव में जीवन यापन कर रहे लोगों के द्वारा सुसाइड के भी कई मामले सामने आए हैं. 5 अप्रैल को 27 साल की एक युवती ने फांसी पर झूल कर आत्महत्या कर ली, तो वहीं 22 मार्च को एक युवक ने फांसी लगा ली थी. इसके अलावा मंझौली में अपने पति से अलग रह रही एक महिला अपने दो बच्चों के साथ आत्महत्या कर ली थी.
50 दिन में 51 आत्महत्या, पुलिस कर रही जांच
लॉकडाउन के 50 दिन में हुई 51 खुदकुशी के मामलों ने पुलिस की भी नींद उड़ा दी है. एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा का कहना है कि निश्चित रूप से लॉकडाउन के बीच इस तरह से आत्महत्या होना जांच का विषय है. वहीं मनोचिकित्सक डॉ स्वप्निल अग्रवाल का इन मौतों को लेकर कहना है कि हाल के दिनों में आत्महत्या करने के पीछे नशा एक बड़ा कारण सामने आया है. लॉकडाउन के कारण लोगों को नशे का सामान नहीं मिल पा रहा था. जो कि कहीं ना कहीं उससे विचलित होकर लोगों ने ये कदम उठाया है. इसके अलावा कर्ज लेना और वर्तमान के समय को देखते हुए कर्ज समय पर ना चुका पाना भी एक आत्महत्या की वजह हो सकती है.
संस्कारधानी के ये आंकड़े परेशान करने वाले हैं. आत्महत्या करने वाले लोगों में हर युवा से लेकर बुजुर्ग तक शामिल है.