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केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों के निजीकरण के फैसले का विरोध, एक महीने की हड़ताल पर रहेंगे कर्मचारी

केंद्रीय सुरक्षा संस्थान और उनके सहयोगी कार्यालय का निजीकरण करने के खिलाफ कर्मचारी सड़क पर हैं. उन्होंने एक महीने की हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.

केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों के निजीकरण के फैसले का विरोध
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Published : Jul 26, 2019, 1:36 PM IST

जबलपुर। देशभर के केंद्रीय सुरक्षा संस्थान और उनके सहयोगी कार्यालय का निजीकरण करने के विरोध में मोदी सरकार के खिलाफ मजदूरों का गुस्सा फूट पड़ा है. आगामी 20 अगस्त से 1 माह की हड़ताल पर जा रहे सुरक्षा संस्थान के मजदूरों और कर्मचारियों ने फैक्ट्रियों के निजी हाथों में जाने को लेकर उत्पादन ठप करने का फैसला लिया है.

केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों के निजीकरण के फैसले का विरोध

कर्मचारियों की हड़ताल में फैक्ट्रियों के तमाम अधिकारी भी शामिल हो रहे हैं. दिल्ली में हुई कैबिनेट की बैठक में देशभर के केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने की मंजूरी मिलने के बाद अब माना जा रहा है कि पीएमओ के दस्तखत होते ही सुरक्षा संस्थानों का निजीकरण हो जाएगा, जिसे लेकर सुरक्षा संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों-अधिकारियों में केंद्र सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश है.

शहर में सभी चारों सुरक्षा संस्थानों में कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल की रूपरेखा तैयार कर ली है. सभी फैक्ट्रियों के बाहर कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और निजीकरण का विरोध किया. कर्मचारियों का कहना है कि आजादी के पहले देश में जहां 19 सुरक्षा संस्थान थे, वहीं आजादी के बाद बढ़कर यह 41 हो गए. पर वर्तमान की केंद्र सरकार इन सभी संस्थानों को निजी हाथों में सौंपकर कर्मचारियों को बेरोजगार बनाने की तैयारी में है.

जबलपुर। देशभर के केंद्रीय सुरक्षा संस्थान और उनके सहयोगी कार्यालय का निजीकरण करने के विरोध में मोदी सरकार के खिलाफ मजदूरों का गुस्सा फूट पड़ा है. आगामी 20 अगस्त से 1 माह की हड़ताल पर जा रहे सुरक्षा संस्थान के मजदूरों और कर्मचारियों ने फैक्ट्रियों के निजी हाथों में जाने को लेकर उत्पादन ठप करने का फैसला लिया है.

केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों के निजीकरण के फैसले का विरोध

कर्मचारियों की हड़ताल में फैक्ट्रियों के तमाम अधिकारी भी शामिल हो रहे हैं. दिल्ली में हुई कैबिनेट की बैठक में देशभर के केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने की मंजूरी मिलने के बाद अब माना जा रहा है कि पीएमओ के दस्तखत होते ही सुरक्षा संस्थानों का निजीकरण हो जाएगा, जिसे लेकर सुरक्षा संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों-अधिकारियों में केंद्र सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश है.

शहर में सभी चारों सुरक्षा संस्थानों में कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल की रूपरेखा तैयार कर ली है. सभी फैक्ट्रियों के बाहर कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और निजीकरण का विरोध किया. कर्मचारियों का कहना है कि आजादी के पहले देश में जहां 19 सुरक्षा संस्थान थे, वहीं आजादी के बाद बढ़कर यह 41 हो गए. पर वर्तमान की केंद्र सरकार इन सभी संस्थानों को निजी हाथों में सौंपकर कर्मचारियों को बेरोजगार बनाने की तैयारी में है.

Intro:जबलपुर
देश भर के केंद्रीय सुरक्षा संस्थान और उनके सहयोगी कार्यालय को निजीकरण करने के चलते मोदी सरकार के खिलाफ मजदूरों का गुस्सा फूट पड़ा है।आगामी 20 अगस्त से 1 माह की हड़ताल पर जा रहे देश भर के कर्मचारियों ने एक मत होकर फैक्ट्री के निजी हाथों में जाने को लेकर उत्पादन ठप करने का निर्णय लिया है।


Body:कर्मचारियों की हड़ताल में फैक्ट्रियों के तमाम अधिकारी भी शामिल हो रहे हैं। दिल्ली में हुई कैबिनेट की बैठक में देशभर के केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने की मंजूरी मिलने के बाद अब माना जा रहा है कि पीएमओ के दस्तखत होते ही सुरक्षा संस्थानों का निजीकरण हो जाएगा। जिसको लेकर सुरक्षा संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों अधिकारियों में केंद्र सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश है। जबलपुर में आज सभी चारों सुरक्षा संस्थानों में कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल की रूपरेखा बनाते हुए इसका आगाज कर दिया है।


Conclusion:सभी फैक्ट्रियों के बाहर कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और निजीकरण का विरोध किया। कर्मचारियों का कहना है कि आजादी के पहले देश में जहां 19 सुरक्षा संस्थान थे वही आजादी के बाद बढ़कर यह 41 हो गए पर वर्तमान कि केंद्र सरकार इन सभी संस्थानों को निजी हाथों में सौंप कर कर्मचारियों को बेरोजगार बनाने की तैयारी में है।मोदी सरकार के विरोध में देश भर की फैक्ट्री में कार्यरत मजदूरों ने सुरक्षा संस्थानों को बचाने के लिए आगामी 20 अगस्त से 19 सितंबर तक के लिए उत्पादन ठप करने का निर्णय लिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर हड़ताल होती है तो सेना को दिए जाने वाले गोला-बारूद की कमी उनके पास निश्चित रूप से कमी आ जाएगी।
बाईट.1-अरुण दूबे.... कर्मचारी नेता
बाईट.2-राम प्रवेश.....कर्मचारी नेता
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