जबलपुर। नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का सौदागर सरबजीत सिंह मोखा की कहानी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है. सरबजीत सिंह की पढ़ाई जबलपुर के ही अलग-अलग स्कूलों में हुई थी. सरबजीत सिंह के पिता रेलवे में कैशियर थे और यहीं से शुरू होती है सरबजीत की शुरुआती ट्रेनिंग. रेलवे में कैशियर होते हुए भी सरबजीत का परिवार सूदखोरी का व्यापार करता था और सूदखोरी की वजह से कई लोगों से पैसा वसूलना, गुंडागर्दी करना, इसकी शुरुआती ट्रेनिंग सरबजीत को अपने घर से ही मिली थी.
LIC हाउसिंग फाइनेंस घोटाला
1991 में जबलपुर में एक घोटाला सामने आया था, यह कहा जा सकता है कि यह सरबजीत सिंह मोखा के बिल्डर शिप की शुरुआत थी. सरबजीत ने एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस से बड़े पैमाने पर लोन लिए थे और बिना मकान बनाए ही लोन ले लिया था और न केवल कई गरीबों के फर्जी कागज लगाकर पैसा निकाल लिया गया. बल्कि एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस को भी चुना लगाया गया था. इस मामले की शिकायत सीबीआई में हुई और फिर सीबीआई जांच के बाद पहली बार सरबजीत सिंह मोखा को जेल हुई. लेकिन इस घोटाले में सरबजीत पैसा कमा चुका था और इसी कमाई से इसने इस पूरे मामले को भी रफा-दफा कर दिया.
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अपहरण का मामला
ऐसा नहीं था कि इस घटनाक्रम के बाद सरबजीत सुधर गया और उसने कामकाज की राह बदल ली. बल्कि अब धीरे-धीरे सरबजीत भूमाफिया बनता जा रहा था और इसके बाद सरबजीत सिंह ने शहर के भैसासुर रोड पर एक परेरा परिवार को परेशान करना शुरू किया. इन लोगों के पास एक बेशकीमती संपत्ति थी. इस संपत्ति को सरबजीत हड़पना चाह रहा था. सरबजीत ने परेरा परिवार का अपहरण कर लिया. मामला थाने तक पहुंचा और सरबजीत को फरार होना पड़ा. लंबे समय तक फरारी काटने के बाद सरबजीत ने अपने राजनीतिक संबंधों की वजह से इस मामले को भी खत्म कर दिया. अब इस मामले की कोई सुनवाई बाकी नहीं है. हालांकि इस मामले में भी सरबजीत को कुछ दिनों के लिए जेल जाना पड़ा था.
सड़क परिवहन निगम की जमीन पर इमारत
जबलपुर के बलदेव बाग के पास सरबजीत सिंह ने एक बड़ी इमारत बनी है. जिसमें 100 से ज्यादा फ्लैट है. इस इमारत के निर्माण में सड़क परिवहन निगम की बड़ी जमीन को हथिया लिया है. इस मामले में भी थाने में शिकायत हुई है और कोर्ट में सुनवाई चल रही है. ऐसा नहीं है कि अपराधियों के काले चिट्ठे यहीं खत्म हो गए हो. अभी भी जबलपुर के कई थानों में सरबजीत सिंह के खिलाफ जमीन की धोखाधड़ी से जुड़े हुए कुछ मुकदमें दर्ज हैं. जिन पर या तो अदालतों में सुनवाई चल रही है या फिर इन्हें रफा-दफा किया जा रहा है.