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कोरोना महामारी से लड़ने के लिए जबलपुर स्वास्थ्य विभाग कितना है तैयार - How many arrangements in government hospitals

प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में कोरोना से बचाव के लिए मेडिकल कॉलेज, सुख सागर अस्पताल, जिला अस्पताल सहित सरकारी अस्पताल में किए गए इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं.

Government Hospital of Jabalpur
जबलपुर के सरकारी अस्पताल का हाल
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Published : Aug 20, 2020, 8:13 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस की दस्तक देते ही तमाम सरकारी और निजी अस्पताल इसकी रोकथाम की तैयारी में जुट गए, एक तरफ जहां जिला प्रशासन कोरोना से बचने के लिए लोगों को जागरुक करने में जुटा था, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग कोरोना वायरस से निपटने की तैयारी में लगा रहा. इसके बावजूद कोरोना महामारी निश्चित रुप से लोगों पर भारी पड़ी है. प्रदेश की संस्कारधानी में कोरोना से बचाव के लिए मेडिकल कॉलेज, सुख सागर अस्पताल, जिला अस्पताल सहित सरकारी अस्पताल में मरीजों के लिए व्यवस्था किए गए, लेकिन वहां इलाज करवा रहे लोगों के मुताबिक ये इंतजामात नाकाफी हैं.

जबलपुर के सरकारी अस्पताल का हाल

सरकारी और निजी अस्पताल में व्यवस्थाओं का दावा

जबलपुर जिले में कोरोना को लेकर सभी तरह की बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं, मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रत्नेश कुरारिया की मानें तो जबलपुर में कोरोना को लेकर शुरू में जरूर टेस्टिंग कम थी, लेकिन जब ये टेस्टिंग बढ़ी तो 1000 से 1500 हर दिन टेस्टिंग की गई, यही वजह है कि जबलपुर में पॉजिटिव मरीजों की संख्या में बहुत इजाफा हुआ है. ऐसे में मेडिकल कॉलेज सहित जिला अस्पताल, सुख सागर अस्पताल और अन्य सिविल अस्पताल में आपातकालीन बेड और वहां पर भर्ती करने वाले मरीजों के लिए व्यवस्था की गई है.

The condition of government hospitals is bad
सरकारी अस्पतालों के खराब हैं हालात

इसके अलावा ज्ञानोदय विद्यालय को भी क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है, जहां पर ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई है. साथ ही वहां 24 घंटे डॉक्टर भी तैनात रहते हैं. स्वास्थ्य विभाग ने करीब 916 मरीजों को होम आइसोलेट किया है, साथ ही जो मरीज ठीक होकर अपने घर चले गए हैं, उनकी भी लगातार निगरानी रख रहा है, हालांकि स्वस्थ हुए मरीज अभी पूरी तरह से ठीक हैं.

आपातकाल के लिए निजी अस्पतालों का सहारा

CMHO डॉक्टर रत्नेश कुरारिया ने बताया कि कोरोना काल में आपात स्थिति से निपटने के लिए जबलपुर में 11 निजी अस्पतालों को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है, इसके अलावा मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और सुख सागर अस्पताल में भी विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं. जहां कोरोना मरीजों की विशेष देखभाल की जा रही है. वहीं कोरोना संक्रमित आने की स्थिति में जो खुद के खर्च से विशेष व्यवस्था पाना चाहता है, उसके लिए भी जिला प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है. इसके लिए शहर के 20 होटलों में बेड की व्यवस्था है. साथ ही शहर के कुछ अस्पतालों को भी आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है, जहां पर मरीज रुपए देकर विशेष व्यवस्था का लाभ उठा सकते हैं.

जानें सरकारी व्यवस्थाओं की हकीकत

जबलपुर शहर में तैनात एक आईपीएस अधिकारी भी अपनी ड्यूटी के दौरान कुछ दिनों पहले कोरोना संक्रमित हो गए थे. जब वह स्वस्थ होकर आए, तब उन्होंने बताया कि निश्चित रूप से कोरोना संक्रमण होना डर का विषय है, लेकिन आइसोलेट होने के बाद इस बीमारी से बचा भी जा सकता है. आईपीएस अधिकारी ने बताया कि जिस भी व्यक्ति को कोरोना होता है, वह कुछ समय के लिए अपने आप को अकेला महसूस करता है, ऐसे में उस व्यक्ति से परिवार और दोस्तों को फोन के माध्यम से लगातार संपर्क में रहना चाहिए.

सरकारी अस्पताल में नहीं मिल रही सुविधा

आईपीएस अधिकारी ने ये भी कहा था कि इलाज के लिए ये जरूर दुःखद पहलू है कि जहां पर मरीजों को भर्ती किया जाता है, वहां पर पदस्थ डॉक्टर मरीजों को चेक करने से डरते हैं, जिसमें सुधार की बहुत आवश्यकता है. वहीं एक कोरोना मरीज जोकि स्वस्थ होकर आया है, उसका कहना है कि मेडिकल कॉलेज और सुख सागर अस्पताल में जिन लोगों को इलाज के लिए भर्ती किया गया है, उनकी हालत बहुत ही दुःखद है. सरकारी आइसोलेशन वार्ड में न ही सही ढंग के खाने की व्यवस्था है और न ही पानी की व्यवस्था. दवाओं के नाम पर सिर्फ बुखार-विटामिन की दवा दी जा रही है.

पूर्व मंत्री ने व्यवस्थाओं पर जताया असंतोष

सरकारी अस्पताल में इलाज को लेकर पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया ने स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार की व्यवस्थाओं पर कई तरह के सवाल खड़े किए हैं. पूर्व मंत्री ने कहा कि अगर सरकारी अस्पताल में बेहतर व्यवस्था होती तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान निजी अस्पताल में भर्ती नहीं होते, उन्होंने ये भी कहा कि जिस समय कोरोना से पूरे प्रदेश को लड़ना था, उस समय बीजेपी जानबूझकर कांग्रेस सरकार को गिराने में लगी रही और लालच के कारण पूरे प्रदेश में बीजेपी ने कोरोना फैला दिया. यही वजह है कि आज स्थिति पूरी तरह से विकराल हो गई है.

आगामी समय में कम पड़ जाएगी अस्पतालों में जगह

कोरोना संक्रमित संदिग्धों की बढ़ती संख्या से संसाधन कम पड़ने लगे हैं, मेडिकल कॉलेज अस्पताल, सुपर स्पेशलिटी, सुख सागर अस्पताल में अब बेड की कमी सामने आने लगी है. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग बेड की क्षमता बढ़ाने में जुटा है, लेकिन उस अनुपात में चिकित्सक, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती नहीं की जा रही है. कहा जा रहा है कि अगर कोरोना की रफ्तार नहीं थमी तो आगामी दिनों में चिकित्सक और अन्य मेडिकल स्टाफ की कमी का सामना भी मरीजों को करना पड़ सकता है.

जबलपुर में कोरोना वायरस की स्थिति

  • अब तक कोरोना के भेजे गए सैंपलों की संख्या 48532
  • कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 2750 पहुंची
  • डिस्चार्ज किए गए मरीजों की संख्या 1938
  • कोरोना एक्टिव मरीजों की संख्या 754
  • संस्थागत क्वारेंटाइन मरीजों की संख्या 1459
  • होम आइसोलेट मरीजों की संख्या 185
  • कोरोना संक्रमितों की मौत का आंकड़ा 58
  • कुल सस्पेक्टेड की संख्या 1683 है.

जबलपुर। मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस की दस्तक देते ही तमाम सरकारी और निजी अस्पताल इसकी रोकथाम की तैयारी में जुट गए, एक तरफ जहां जिला प्रशासन कोरोना से बचने के लिए लोगों को जागरुक करने में जुटा था, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग कोरोना वायरस से निपटने की तैयारी में लगा रहा. इसके बावजूद कोरोना महामारी निश्चित रुप से लोगों पर भारी पड़ी है. प्रदेश की संस्कारधानी में कोरोना से बचाव के लिए मेडिकल कॉलेज, सुख सागर अस्पताल, जिला अस्पताल सहित सरकारी अस्पताल में मरीजों के लिए व्यवस्था किए गए, लेकिन वहां इलाज करवा रहे लोगों के मुताबिक ये इंतजामात नाकाफी हैं.

जबलपुर के सरकारी अस्पताल का हाल

सरकारी और निजी अस्पताल में व्यवस्थाओं का दावा

जबलपुर जिले में कोरोना को लेकर सभी तरह की बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं, मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रत्नेश कुरारिया की मानें तो जबलपुर में कोरोना को लेकर शुरू में जरूर टेस्टिंग कम थी, लेकिन जब ये टेस्टिंग बढ़ी तो 1000 से 1500 हर दिन टेस्टिंग की गई, यही वजह है कि जबलपुर में पॉजिटिव मरीजों की संख्या में बहुत इजाफा हुआ है. ऐसे में मेडिकल कॉलेज सहित जिला अस्पताल, सुख सागर अस्पताल और अन्य सिविल अस्पताल में आपातकालीन बेड और वहां पर भर्ती करने वाले मरीजों के लिए व्यवस्था की गई है.

The condition of government hospitals is bad
सरकारी अस्पतालों के खराब हैं हालात

इसके अलावा ज्ञानोदय विद्यालय को भी क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है, जहां पर ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई है. साथ ही वहां 24 घंटे डॉक्टर भी तैनात रहते हैं. स्वास्थ्य विभाग ने करीब 916 मरीजों को होम आइसोलेट किया है, साथ ही जो मरीज ठीक होकर अपने घर चले गए हैं, उनकी भी लगातार निगरानी रख रहा है, हालांकि स्वस्थ हुए मरीज अभी पूरी तरह से ठीक हैं.

आपातकाल के लिए निजी अस्पतालों का सहारा

CMHO डॉक्टर रत्नेश कुरारिया ने बताया कि कोरोना काल में आपात स्थिति से निपटने के लिए जबलपुर में 11 निजी अस्पतालों को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है, इसके अलावा मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और सुख सागर अस्पताल में भी विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं. जहां कोरोना मरीजों की विशेष देखभाल की जा रही है. वहीं कोरोना संक्रमित आने की स्थिति में जो खुद के खर्च से विशेष व्यवस्था पाना चाहता है, उसके लिए भी जिला प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है. इसके लिए शहर के 20 होटलों में बेड की व्यवस्था है. साथ ही शहर के कुछ अस्पतालों को भी आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है, जहां पर मरीज रुपए देकर विशेष व्यवस्था का लाभ उठा सकते हैं.

जानें सरकारी व्यवस्थाओं की हकीकत

जबलपुर शहर में तैनात एक आईपीएस अधिकारी भी अपनी ड्यूटी के दौरान कुछ दिनों पहले कोरोना संक्रमित हो गए थे. जब वह स्वस्थ होकर आए, तब उन्होंने बताया कि निश्चित रूप से कोरोना संक्रमण होना डर का विषय है, लेकिन आइसोलेट होने के बाद इस बीमारी से बचा भी जा सकता है. आईपीएस अधिकारी ने बताया कि जिस भी व्यक्ति को कोरोना होता है, वह कुछ समय के लिए अपने आप को अकेला महसूस करता है, ऐसे में उस व्यक्ति से परिवार और दोस्तों को फोन के माध्यम से लगातार संपर्क में रहना चाहिए.

सरकारी अस्पताल में नहीं मिल रही सुविधा

आईपीएस अधिकारी ने ये भी कहा था कि इलाज के लिए ये जरूर दुःखद पहलू है कि जहां पर मरीजों को भर्ती किया जाता है, वहां पर पदस्थ डॉक्टर मरीजों को चेक करने से डरते हैं, जिसमें सुधार की बहुत आवश्यकता है. वहीं एक कोरोना मरीज जोकि स्वस्थ होकर आया है, उसका कहना है कि मेडिकल कॉलेज और सुख सागर अस्पताल में जिन लोगों को इलाज के लिए भर्ती किया गया है, उनकी हालत बहुत ही दुःखद है. सरकारी आइसोलेशन वार्ड में न ही सही ढंग के खाने की व्यवस्था है और न ही पानी की व्यवस्था. दवाओं के नाम पर सिर्फ बुखार-विटामिन की दवा दी जा रही है.

पूर्व मंत्री ने व्यवस्थाओं पर जताया असंतोष

सरकारी अस्पताल में इलाज को लेकर पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया ने स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार की व्यवस्थाओं पर कई तरह के सवाल खड़े किए हैं. पूर्व मंत्री ने कहा कि अगर सरकारी अस्पताल में बेहतर व्यवस्था होती तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान निजी अस्पताल में भर्ती नहीं होते, उन्होंने ये भी कहा कि जिस समय कोरोना से पूरे प्रदेश को लड़ना था, उस समय बीजेपी जानबूझकर कांग्रेस सरकार को गिराने में लगी रही और लालच के कारण पूरे प्रदेश में बीजेपी ने कोरोना फैला दिया. यही वजह है कि आज स्थिति पूरी तरह से विकराल हो गई है.

आगामी समय में कम पड़ जाएगी अस्पतालों में जगह

कोरोना संक्रमित संदिग्धों की बढ़ती संख्या से संसाधन कम पड़ने लगे हैं, मेडिकल कॉलेज अस्पताल, सुपर स्पेशलिटी, सुख सागर अस्पताल में अब बेड की कमी सामने आने लगी है. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग बेड की क्षमता बढ़ाने में जुटा है, लेकिन उस अनुपात में चिकित्सक, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती नहीं की जा रही है. कहा जा रहा है कि अगर कोरोना की रफ्तार नहीं थमी तो आगामी दिनों में चिकित्सक और अन्य मेडिकल स्टाफ की कमी का सामना भी मरीजों को करना पड़ सकता है.

जबलपुर में कोरोना वायरस की स्थिति

  • अब तक कोरोना के भेजे गए सैंपलों की संख्या 48532
  • कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 2750 पहुंची
  • डिस्चार्ज किए गए मरीजों की संख्या 1938
  • कोरोना एक्टिव मरीजों की संख्या 754
  • संस्थागत क्वारेंटाइन मरीजों की संख्या 1459
  • होम आइसोलेट मरीजों की संख्या 185
  • कोरोना संक्रमितों की मौत का आंकड़ा 58
  • कुल सस्पेक्टेड की संख्या 1683 है.
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