ETV Bharat / state

बिन आंख आदिवासी संस्कृति को रोशनी दे रही अंजलि, आधुनिक धुन पर गा रही पारंपरिक गीत - आधुनिक धुन

कोरोनाकाल में खाली बैठी जबलपुर की कलाकार लड़कियों ने म्यूजिकल बैंड बनाया है, जो कबीर के दोहे, छत्तीसगढ़ी और बुंदेलखंडी लोकगीतों को नई धुनों में पिरो रहा है. दुख और तनाव के माहौल में कलाकारों की यह कोशिश समाज में थोड़ी सी खुशियां भरती नजर आ रही हैं.

Shri Janaki band jabalpur
श्री जानकी बैंड
author img

By

Published : Oct 28, 2020, 5:17 PM IST

Updated : Oct 28, 2020, 9:55 PM IST

जबलपुर। कोरोना वायरस ने ऐसा हाहाकार मचाया कि लोग हंसना ही भूल गए, संगीत और कला तो मानो समाज से गायब सी हो गई, ऐसे में सबसे बुरा असर कलाकारों पर पड़ा और कला की गतिविधियां पूरी तरह से बंद हो गईं. कलाकारों के अंदर एक खीज पैदा हो गई, ऐसे में जबलपुर कि कुछ लड़कियों ने मिलकर एक बैंड बनाया है. यह म्यूजिकल बैंड कोरोनाकाल में हाथ पर हाथ रखकर बैठे कलाकारों के लिए आशा की किरण लेकर आया है, और कह रहा है कि अभी दुनिया खत्म नहीं हुई है, आओ कुछ नया करें.

संस्कारधानी की लड़कियों का श्री जानकी बैंड

नेत्रहीन अंजली के लिए नई रोशनी

बैंड का नाम श्री जानकी बैंड रखा गया और इस बैंड में केवल लड़कियां हैं, इनमें एक लड़की अंजली सोनी भी शामिल है. 2013 में अंजली बीमार हुई और डॉक्टरों के गलत इलाज की वजह से उसकी आंखों की रोशनी चली गई. अब अंजली देख नहीं पाती लेकिन, इस बैंड ने उसे सहारा दिया है. भले ही वह दुनिया की रंगीन तस्वीर नहीं देख पा रही हैं, लेकिन उसने इस बैंड के जरिए एक नई दुनिया को देखा है. जहां पारंपरिक धुनें हैं, कोरस में गाया हुए सुर हैं. एक तो कोरोनावायरस का संकट काल दूसरा अंजलि का नेत्रहीन होना इन दोनों ही वजह से अंजली का जीवन पूरी तरह से सूना हो गया था लेकिन अब वह बेहद खुश हैं.

Shri Janaki band jabalpur
श्री जानकी बैंड

कबीर के दोहे और लोकगीतों को अपनाया

बैंड में बाकी लड़कियां भी गिटार, हारमोनियम, ढोलक, कांगो और ढपली जैसे वाद्य यंत्र बजाने में पारंगत है और गजब की सुरीली हैं. लेकिन इन लोगों ने जो प्रयोग किया है. वैसा प्रयोग बैंड में कम से कम ही हुआ है. यह लोग कबीर के दोहे गा रहे हैं. बुंदेली लोकगीत गा रहे हैं, छत्तीसगढ़ी लोक गीतों को नई धुनों में पिरो रहे हैं. इस बैंड के एक महत्वपूर्ण सदस्य देवेंद्र ग्रोवर बताते हैं कि फिल्मी गीतों पर तो सब जगह काम हो रहा है, लेकिन हमारी अपनी सदियों पुरानी संगीत की विरासत नजर नहीं आ रही है. इसलिए उन्होंने इसे बैंड के जरिए उस विरासत को जीवित रखने की कोशिश की है.

Shri Janaki band jabalpur
संस्कारधानी की लड़कियों की सुरों की महफिल

जबलपुर में कलाकारों की कमी नहीं है, लेकिन केवल लड़कियों का एक पूरा बैंड संस्कारधानी के लिए थोड़ी अलग कहानी है. जबलपुर जैसा शहर संगीत के मामले में देश में कोई खास मुकाम नहीं रखता, ऐसे में यदि लड़कियां बैंड के जरिए अपना भविष्य बनाना चाह रही हैं तो उनकी हौसला अफजाई होनी चाहिए, अब देखिए की आम जनता इनके बैंड को कितना पसंद करती है.

जबलपुर। कोरोना वायरस ने ऐसा हाहाकार मचाया कि लोग हंसना ही भूल गए, संगीत और कला तो मानो समाज से गायब सी हो गई, ऐसे में सबसे बुरा असर कलाकारों पर पड़ा और कला की गतिविधियां पूरी तरह से बंद हो गईं. कलाकारों के अंदर एक खीज पैदा हो गई, ऐसे में जबलपुर कि कुछ लड़कियों ने मिलकर एक बैंड बनाया है. यह म्यूजिकल बैंड कोरोनाकाल में हाथ पर हाथ रखकर बैठे कलाकारों के लिए आशा की किरण लेकर आया है, और कह रहा है कि अभी दुनिया खत्म नहीं हुई है, आओ कुछ नया करें.

संस्कारधानी की लड़कियों का श्री जानकी बैंड

नेत्रहीन अंजली के लिए नई रोशनी

बैंड का नाम श्री जानकी बैंड रखा गया और इस बैंड में केवल लड़कियां हैं, इनमें एक लड़की अंजली सोनी भी शामिल है. 2013 में अंजली बीमार हुई और डॉक्टरों के गलत इलाज की वजह से उसकी आंखों की रोशनी चली गई. अब अंजली देख नहीं पाती लेकिन, इस बैंड ने उसे सहारा दिया है. भले ही वह दुनिया की रंगीन तस्वीर नहीं देख पा रही हैं, लेकिन उसने इस बैंड के जरिए एक नई दुनिया को देखा है. जहां पारंपरिक धुनें हैं, कोरस में गाया हुए सुर हैं. एक तो कोरोनावायरस का संकट काल दूसरा अंजलि का नेत्रहीन होना इन दोनों ही वजह से अंजली का जीवन पूरी तरह से सूना हो गया था लेकिन अब वह बेहद खुश हैं.

Shri Janaki band jabalpur
श्री जानकी बैंड

कबीर के दोहे और लोकगीतों को अपनाया

बैंड में बाकी लड़कियां भी गिटार, हारमोनियम, ढोलक, कांगो और ढपली जैसे वाद्य यंत्र बजाने में पारंगत है और गजब की सुरीली हैं. लेकिन इन लोगों ने जो प्रयोग किया है. वैसा प्रयोग बैंड में कम से कम ही हुआ है. यह लोग कबीर के दोहे गा रहे हैं. बुंदेली लोकगीत गा रहे हैं, छत्तीसगढ़ी लोक गीतों को नई धुनों में पिरो रहे हैं. इस बैंड के एक महत्वपूर्ण सदस्य देवेंद्र ग्रोवर बताते हैं कि फिल्मी गीतों पर तो सब जगह काम हो रहा है, लेकिन हमारी अपनी सदियों पुरानी संगीत की विरासत नजर नहीं आ रही है. इसलिए उन्होंने इसे बैंड के जरिए उस विरासत को जीवित रखने की कोशिश की है.

Shri Janaki band jabalpur
संस्कारधानी की लड़कियों की सुरों की महफिल

जबलपुर में कलाकारों की कमी नहीं है, लेकिन केवल लड़कियों का एक पूरा बैंड संस्कारधानी के लिए थोड़ी अलग कहानी है. जबलपुर जैसा शहर संगीत के मामले में देश में कोई खास मुकाम नहीं रखता, ऐसे में यदि लड़कियां बैंड के जरिए अपना भविष्य बनाना चाह रही हैं तो उनकी हौसला अफजाई होनी चाहिए, अब देखिए की आम जनता इनके बैंड को कितना पसंद करती है.

Last Updated : Oct 28, 2020, 9:55 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.