जबलपुर। मध्य प्रदेश सरकार दावा करती है सुशासन है और एक क्लिक पर आपको सारे प्रमाणपत्र मिल जाएंगे, लेकिन जबलपुर नगर निगम में जब हम एक मृत्यु प्रमाण पत्र लेने पहुंचे, तो नगर निगम की जन्म मृत्यु शाखा में बैठे कर्मचारी सुधीर यादव ने शिवराज सरकार के दावों की पोल खोल दी.
बिना पैसे के प्रमाण पत्र में हमलावर हुआ बाबू
हम मृत्यु प्रमाण पत्र शाखा में किसी परिचित का मृत्यु प्रमाण पत्र लेने के लिए पहुंचे. यहां हमें बताया गया कि आप को एक आवेदन करना होगा, जो नगर निगम में ही पांच रुपये में मिल जाएगा. इसके बाद हमसे अस्पताल का मृत्यु का एक्नॉलेजमेंट की हार्ड कॉपी मांगी गई. दरअसल, अस्पताल में मृत्यु के बाद अस्पताल मृत्यु की जानकारी देता है, क्योंकि अभी लॉकडाउन है, इसलिए इसकी हार्ड कॉपी निकलवाना थोड़ा कठिन है. हमने हार्ड कॉपी भी निकलवा कर जैसे ही दी, तो नगर निगम की मृत्यु प्रमाण पत्र शाखा में बैठे बाबू सुधीर यादव ने हमें हवाला दिया 1:00 बजे के बाद में आवेदन भी नहीं लेते.
भ्रष्टाचार की हदः भ्रष्ट अफसरों को बचाने के लिए जला दी फाईलें
इस तरीके से उन्होंने एक दर्जन से ज्यादा लोगों को काउंटर से अलग करवा दिया. कैमरा लेकर अंदर पहुंचे और हमने यह जानना चाहा कि आप आवेदन क्यों नहीं ले रहे हो और लोगों को क्यों भटका रहे हो, तो शिवराज सरकार का यह बाबू हम पर ऐसे भड़का मानो हमने उस पर हमला कर दिया हो, उसने खरी-खोटी सुनाई और हमें पिटवाने की धमकी दी. जबकि पूरे मामले में हम एक सामान्य आदमी की ही तरह वहां पहुंचे थे.
मृत्यु प्रमाण पत्र का लाखों का धंधा
इसी बीच उसने बताया की मृत्यु प्रमाण पत्र की वेबसाइट भी बंद पड़ी हुई है, लेकिन ऐसा नहीं है. वेबसाइट चालू है. दरअसल, जबलपुर में कोरोना वायरस की वजह से आसपास के इलाकों के दो हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. इन सब को मृत्यु प्रमाण पत्र जबलपुर नगर निगम से ही मिलेगा आसपास घूमने वाले दलालों ने हमें बताया कि एक मृत्यु प्रमाण पत्र पर 2000 रुपये की राशि घूस के तौर पर ली जा रही है. मृत्यु प्रमाण पत्र के इस धंधे में 40 लाख से ज्यादा की रिश्वत का खेल होना है. ऐसे में यदि कोई सामान्य तरीके से प्रमाण पत्र बनवाने आता है तो उसके साथ कुछ ऐसा ही व्यवहार किया जाता है.
नगर निगम कमिश्नर को भी दी जानकारी
इस घटनाक्रम की जानकारी हमने जबलपुर नगर निगम कमिश्नर को भी दी है. कमिश्नर साहब, ने व्यवस्था को दुरुस्त करवाने की बात कही है. सवाल यह खड़ा होता है कि दुख भरे इस समय में जब लोगों के घरों में मातम पसरा है. ऐसी स्थिति में सरकार कम से कम उनके साथ संवेदनशीलता से पेश आए. सरकार के नुमाइंदे यहां पर आपदा में अवसर खोज रहे हैं.