जबलपुर। आज हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की 115वीं जयंती है. राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर एक बार फिर मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग उठ रही है. देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान तो आज तक मेजर ध्यानचंद को नहीं दिया गया, लेकिन उनसे जुड़ी यादों को सहेजने में भी कम लापरवाही नहीं बरती गई. इसका एक उदाहरण आज भी जबलपुर में मौजूद है. जहां मेजर ध्यानचंद की बहन के नाम पर एक सड़क के नामकरण की फाइल सालों से अटकी पड़ी हैं.
जबलपुर के राइट टाउन इलाके में मेजर ध्यानचंद की बहन सुरजा देवी चौहान रहती थीं. जहां मेजर ध्यानचंद सहित हॉकी के कई सितारों का आना जाना होता था. तब शहर में तमाम अधिकारी, नेता, खेल प्रेमियों की भीड़ लगी रहती थी, लेकिन साल 2004 में सुरजा देवी चौहान के निधन के बाद प्रशासन ने मेजर ध्यानचंद के जबलपुर से इस नाते को भी भुला दिया. बता दें कि राइट टाउन स्थित पंडित रविशंकर शुक्ल स्टेडियम का प्रवेश द्वार सुरजा देवी चौहान के नाम पर है.
धूल खा रही फाइल
सुरजा देवी चौहान के बेटे विक्रम सिंह चौहान बताते हैं कि उन्होंने मेजर ध्यानचंद के जबलपुर से इस नाते को जिंदा रखने के लिए राइट टाउन में अपने घर के सामने की सड़क का नामकरण ध्यानचंद की बहन और अपनी मां सुरजा देवी चौहान के नाम करने की मांग की थी. इस मांग का समर्थन लगभग हर नेता ने किया, चिट्टियां भी लिखीं, लेकिन सालों के बाद आज भी यह फाइल सरकारी दफ्तरों में धूल खा रही है.
जल्द मिलेगी हरी झंडी
बता दें कि जबलपुर नगर निगम का कार्यकाल खत्म होने के बाद संभागायुक्त महेश चंद्र चौधरी निगम प्रशासक बनाए गए हैं. जिनके पास मेजर ध्यानचंद की बहन के नाम से सड़क नामकरण का प्रस्ताव लंबित है. हालांकि उनका कहना है कि इस प्रस्ताव को जल्द ही हरी झंडी दिलाई जाएगी.
देश में मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न सम्मान देने की मांग और सुरजा देवी चौहान के नाम पर सड़क नामकरण की मांग लंबित होना बताता है कि हमारा सिस्टम जन भावना को कितनी तवज्जो देता है. इस दौर में जब सिर्फ उगते हुए सूरज को सलाम करने की रवायत कानून बन गई है, तो सवाल है कि शासन और प्रशासन के ऐसे रवैए से हमारे इतिहास के सितारों और उनके परिजनों के प्रति श्रद्धा भाव कौन और कैसे रखेगा.