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जबलपुर के विकास में ट्रैफिक बनी बाधा

शहर में ट्रैफिक की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. लगातार बढ़ रही आबादी और सड़कों का चौड़ीकरण ने होने से लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Dec 28, 2020, 10:23 PM IST

Traffic problem in Jabalpur
जबलपुर में ट्रैफिक समस्या

जबलपुर। शहर में ट्रैफिक विकास की रफ्तार रोक रहा है. सकरी सड़कें और बढ़ते बाजारों की वजह से जनता की परेशानियां भी लगातार बढ़ती ही जा रही है. वहीं यातायात पुलिस ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने में जनता का सहयोग मांग रही है.

जबलपुर में ट्रैफिक समस्या

जबलपुर शहर लगभग 15 लाख की आबादी का शहर है. लेकिन शहर की मुख्य बसाहट लगभग 15 वर्ग किलोमीटर में है. ज्यादा बड़ी आबादी जिन सड़कों का इस्तेमाल कर रही है. वे सदियों पुरानी है. पुराना शहर आज भी हलचल से भरा हुआ रहता है, कई बड़े बाजार इसी घने शहर के बीच में हैं, जहां हर समय जाम के हालात बने रहते हैं.

  • किराना बाजार मुकदम गंज
  • सब्जी मंडी लट कारी के पड़ाव
  • अनाज मंडी निमाड़ गंज
  • कपड़े का बाजार बड़े फुहारा के आसपास
  • बर्तन और सोने चांदी की दुकाने सर्राफा के आसपास
  • कॉस्मेटिक सामानों का बाजार कोतवाली के आसपास
  • अलावा लोहे और पुराने सामानों का बाजार गुरंदी के पास

कई छोटी-छोटी चीजों की दुकानें भी इन्हीं बाजारों में हैं. इन बाजारों में केवल जबलपुर नहीं, बल्कि पूरे संभाग के लोग आकर खरीदी करते हैं. इसलिए यहां दिन भर हलचल और जाम के हालात बने रहते हैं. लेकिन प्रशासन के पास इन बाजारों के जाम को खत्म करने का कोई तरीका नहीं है, क्योंकि यहां ना तो कारोबारी गाड़ियों को आने से रोका जा सकता है, ना ही सड़कों को चौड़ा किया जा सकता है. कुछ इलाकों में वन-वे करने की कोशिश जरूर की गई है. वह भी पूरी तरह सफल नहीं हो पाई.

ऐसा नहीं है कि पुराने शहर में ही जाम के हालात रहते हो, बल्कि नई बसाहट में भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं.

  • शास्त्री ब्रिज जबलपुर का पहला ओवर ब्रिज है. जो आज से लगभग 50 साल पहले बनाया गया था. आधे से ज्यादा शहर का आवागमन इसी से होता है. लेकिन इसकी चौड़ाई कम है, इसलिए इस पर जाम के हालात बने रहते हैं.
  • अधारताल चौक कटनी से जबलपुर आने वाली सड़क पर इस चौराहे से शोभापुर के लिए एक रोड जाति है, जो कई कॉलोनियों को जोड़ती है. यहां रोटरी गड़बड़ होने की वजह से जाम के हालात बनते हैं.
  • आईटीआई चौराहे से पाटन कटंगी और शहर की कॉलोनी के लिए रास्ता जाता है. यहीं से बाहर का किसान मंडी के लिए आता है. यहां पर भी दिन भर जाम के हालात रहते हैं.
  • गोरखपुर बाजार पुराने शहर जैसे बहुत कई चौकों पर लगता है. इसलिए यहां भी जाम के हालात रहते हैं.
  • गढ़ा बाजार यह भी जबलपुर का पुराना इलाका है. यहां पर भी सड़कें कम चौड़ी हैं. यह शहर का ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोगों का बाजार है. सड़कों पर दुकान लगाने की वजह से आवागमन प्रभावित होता है.
  • रांझी, यह शहर का उपनगरीय इलाका है. इस जगह पर बड़ा बाजार भी है. जिसके आसपास रक्षा मंत्रालय की फैक्ट्रियां हैं. इस इलाके में भी जाम की स्थिति बनी रहती है.

यहां नहीं लगता जाम

ऐसा नहीं है कि पूरे शहर में ट्रैफिक जाम बना रहता है, बल्कि शहर के बहुत बड़े इलाके में ट्रैफिक सुचारू ढंग से भी चलता है. शहर का सबसे अच्छा ट्रैफिक कंटोनमेंट क्षेत्र में सिविल लाइन क्षेत्र में विजयनगर एमआर-4 रोड पर सड़कें चौड़ी होने की वजह से ट्रैफिक जाम के हालात नहीं बनते. वहीं कुछ व्यस्त चौराहों पर ट्रैफिक लाइट की वजह से भी समस्याएं कम होती हैं.

निर्माण काम का प्रभाव

शहर में बीते कई सालों से नए-नए प्रोजेक्ट आ रहे हैं. इनकी वजह से भी सड़कों पर जाम के हालात रहते हैं. पहले नर्मदा जल को शहर में लाने के लिए पानी की लाइन इसके बाद सीवर लाइन प्रोजेक्ट के चलते लोगों को लंबे समय तक जोड़ी और खाली सड़कों पर भी जाम का सामना करना पड़ा अब जबलपुर शहर में 7 किलोमीटर लंबा एक फ्लाईओवर बन रहा है, लेकिन इसकी वजह से बड़े इलाके में जाम के हालात बने रहते हैं. वहीं मदन महल में एक अंडर ब्रिज और बनाया जा रहा है. इसके चलते कछपुरा ब्रिज और शास्त्री ब्रिज पर भीड़-भाड़ ज्यादा रहती है.

यातायात पुलिस के सुझाव

शहर की यातायात पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि लोग खुद भी जाम के लिए जिम्मेदार होते हैं. सड़कों पर दुकान लगाने, वन-वे में रॉन्ग साइड आने में ट्रैफिक रूल्स का पालन नहीं करने की वजह से भी जाम के हालात बन जाते हैं. सकड़ों के चौड़ीकरण के प्रोजेक्ट भी धीमी गति से कार्य कर रहे हैं.

हालांकि जबलपुर में यातायात के बढ़ते दबाव से निपटने के लिए लगभग 800 करोड़ का एक फ्लाइओवर भी बनाया जा रहा है, लेकिन जब तक यह बन नहीं जाता, तब तक इसकी वजह से भी परेशानियों का सामना लोगों को करना होगा. यातायात पुलिस की कई कोशिशों के बाद भी आम आदमी ट्रैफिक को सुचारू रूप से चलाने में सहयोगात्मक भूमिका नहीं निभाता.

जबलपुर। शहर में ट्रैफिक विकास की रफ्तार रोक रहा है. सकरी सड़कें और बढ़ते बाजारों की वजह से जनता की परेशानियां भी लगातार बढ़ती ही जा रही है. वहीं यातायात पुलिस ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने में जनता का सहयोग मांग रही है.

जबलपुर में ट्रैफिक समस्या

जबलपुर शहर लगभग 15 लाख की आबादी का शहर है. लेकिन शहर की मुख्य बसाहट लगभग 15 वर्ग किलोमीटर में है. ज्यादा बड़ी आबादी जिन सड़कों का इस्तेमाल कर रही है. वे सदियों पुरानी है. पुराना शहर आज भी हलचल से भरा हुआ रहता है, कई बड़े बाजार इसी घने शहर के बीच में हैं, जहां हर समय जाम के हालात बने रहते हैं.

  • किराना बाजार मुकदम गंज
  • सब्जी मंडी लट कारी के पड़ाव
  • अनाज मंडी निमाड़ गंज
  • कपड़े का बाजार बड़े फुहारा के आसपास
  • बर्तन और सोने चांदी की दुकाने सर्राफा के आसपास
  • कॉस्मेटिक सामानों का बाजार कोतवाली के आसपास
  • अलावा लोहे और पुराने सामानों का बाजार गुरंदी के पास

कई छोटी-छोटी चीजों की दुकानें भी इन्हीं बाजारों में हैं. इन बाजारों में केवल जबलपुर नहीं, बल्कि पूरे संभाग के लोग आकर खरीदी करते हैं. इसलिए यहां दिन भर हलचल और जाम के हालात बने रहते हैं. लेकिन प्रशासन के पास इन बाजारों के जाम को खत्म करने का कोई तरीका नहीं है, क्योंकि यहां ना तो कारोबारी गाड़ियों को आने से रोका जा सकता है, ना ही सड़कों को चौड़ा किया जा सकता है. कुछ इलाकों में वन-वे करने की कोशिश जरूर की गई है. वह भी पूरी तरह सफल नहीं हो पाई.

ऐसा नहीं है कि पुराने शहर में ही जाम के हालात रहते हो, बल्कि नई बसाहट में भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं.

  • शास्त्री ब्रिज जबलपुर का पहला ओवर ब्रिज है. जो आज से लगभग 50 साल पहले बनाया गया था. आधे से ज्यादा शहर का आवागमन इसी से होता है. लेकिन इसकी चौड़ाई कम है, इसलिए इस पर जाम के हालात बने रहते हैं.
  • अधारताल चौक कटनी से जबलपुर आने वाली सड़क पर इस चौराहे से शोभापुर के लिए एक रोड जाति है, जो कई कॉलोनियों को जोड़ती है. यहां रोटरी गड़बड़ होने की वजह से जाम के हालात बनते हैं.
  • आईटीआई चौराहे से पाटन कटंगी और शहर की कॉलोनी के लिए रास्ता जाता है. यहीं से बाहर का किसान मंडी के लिए आता है. यहां पर भी दिन भर जाम के हालात रहते हैं.
  • गोरखपुर बाजार पुराने शहर जैसे बहुत कई चौकों पर लगता है. इसलिए यहां भी जाम के हालात रहते हैं.
  • गढ़ा बाजार यह भी जबलपुर का पुराना इलाका है. यहां पर भी सड़कें कम चौड़ी हैं. यह शहर का ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोगों का बाजार है. सड़कों पर दुकान लगाने की वजह से आवागमन प्रभावित होता है.
  • रांझी, यह शहर का उपनगरीय इलाका है. इस जगह पर बड़ा बाजार भी है. जिसके आसपास रक्षा मंत्रालय की फैक्ट्रियां हैं. इस इलाके में भी जाम की स्थिति बनी रहती है.

यहां नहीं लगता जाम

ऐसा नहीं है कि पूरे शहर में ट्रैफिक जाम बना रहता है, बल्कि शहर के बहुत बड़े इलाके में ट्रैफिक सुचारू ढंग से भी चलता है. शहर का सबसे अच्छा ट्रैफिक कंटोनमेंट क्षेत्र में सिविल लाइन क्षेत्र में विजयनगर एमआर-4 रोड पर सड़कें चौड़ी होने की वजह से ट्रैफिक जाम के हालात नहीं बनते. वहीं कुछ व्यस्त चौराहों पर ट्रैफिक लाइट की वजह से भी समस्याएं कम होती हैं.

निर्माण काम का प्रभाव

शहर में बीते कई सालों से नए-नए प्रोजेक्ट आ रहे हैं. इनकी वजह से भी सड़कों पर जाम के हालात रहते हैं. पहले नर्मदा जल को शहर में लाने के लिए पानी की लाइन इसके बाद सीवर लाइन प्रोजेक्ट के चलते लोगों को लंबे समय तक जोड़ी और खाली सड़कों पर भी जाम का सामना करना पड़ा अब जबलपुर शहर में 7 किलोमीटर लंबा एक फ्लाईओवर बन रहा है, लेकिन इसकी वजह से बड़े इलाके में जाम के हालात बने रहते हैं. वहीं मदन महल में एक अंडर ब्रिज और बनाया जा रहा है. इसके चलते कछपुरा ब्रिज और शास्त्री ब्रिज पर भीड़-भाड़ ज्यादा रहती है.

यातायात पुलिस के सुझाव

शहर की यातायात पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि लोग खुद भी जाम के लिए जिम्मेदार होते हैं. सड़कों पर दुकान लगाने, वन-वे में रॉन्ग साइड आने में ट्रैफिक रूल्स का पालन नहीं करने की वजह से भी जाम के हालात बन जाते हैं. सकड़ों के चौड़ीकरण के प्रोजेक्ट भी धीमी गति से कार्य कर रहे हैं.

हालांकि जबलपुर में यातायात के बढ़ते दबाव से निपटने के लिए लगभग 800 करोड़ का एक फ्लाइओवर भी बनाया जा रहा है, लेकिन जब तक यह बन नहीं जाता, तब तक इसकी वजह से भी परेशानियों का सामना लोगों को करना होगा. यातायात पुलिस की कई कोशिशों के बाद भी आम आदमी ट्रैफिक को सुचारू रूप से चलाने में सहयोगात्मक भूमिका नहीं निभाता.

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