जबलपुर। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत मृतकों के आश्रितों से अनावश्यक दस्तावेजों की मांग कर दावा निरस्त किये जाने की चेतावनी को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी, बैंक ऑफ महाराष्ट्र सहित प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना के रीजनल डायरेक्टर इंदौर को जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं.
दुर्घटना बीमा राशि देने में बैंक कर रहा आनाकानी
मामला सागर रहली के गांव जरियाखिरिया निवासी सविता रानी लोधी की याचिका से जुड़ा है.इसमें कहा गया कि 2015 में समस्त बचत खाता धारकों को रू 12/- प्रति वर्ष प्रीमियम पर 2 लाख रुपया का दुर्घटना बीमा योजना लागू हुई थी. याचिका में कहा गया कि रहली सागर गढ़ा कोटा के जरियाखिरिया के रहने वाले चंद्रभान लोधी अस्पताल में टेक्नीशियन का काम करते थे . दो अप्रेल 2020 को लखनादौन के पास एम्बुलेंस के एक्सीडेंट में उनकी मृत्यु हो गई थी . अब उनकी पत्नी बीमा दावा राशि के लिए भटक रही हैं.
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बैंक को ब्लैक लिस्ट करने की मांग
उनकी पत्नी सविता ने बताया कि जब महाराष्ट्र बैंक जबलपुर की अस्पताल ब्रांच में उन्होंने दुर्घटना बीमा का दावा पेश किया, तो बैंक ने कई दस्तावेज मांगे. बैंक ने कहा, कि दस दिनों में दस्तावेज जमा नहीं कराए, तो दावा निरस्त कर दिया जाएगा . दस्तावेज देने के बावजूद पीड़िता को दावा राशि का भुगतान नहीं किया गया. इसके बाद पीड़िता कोर्ट की शरण में गई. याचिका में क्षतिपूर्ति राशि दिलाए जाने और बीमा कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की मांग की गई है.