जबलपुर। मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के बिजली दर में बढ़ोतरी किये जाने के आदेश को निरस्त करने की मांग करते हुए अपीलेट ट्रिब्यूनल नई दिल्ली में याचिका दायर की गयी है. याचिका में कहा गया है कि बिजली की दर निर्धारित करने में 9 माह का देरी की गयी है. विद्युत कंपनियों द्वारा दिखाए गए घाटे के आधार पर नियामक आयोग बिजली की दर नहीं बढ़ा सकता है.
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्षक मंच की मांग
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्षक मंच के डाॅ. पीजी नाजपांडे सहित अन्य दो की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि अपीलेट ने पूर्व में पारित आदेश में कहा है कि देर होने के कारण उपभोक्ताओं पर घाटे का बोझ नहीं पड़ना चाहिए. क्योंकि उसमें उनका कोई दोष नहीं है. साल 2020-21 की विद्युत दर निर्धारित करने में 9 माह की देरी की गयी है. इस कारण से 17 दिसंबर को नियामक आयोग द्वारा जारी नोटिफिकेशन को खारिज किया जाये.
याचिका में कहा गया है कि आयोग ने दो हजार रूपये का घाटा उपभोक्ता पर थोपने के लिए विद्युत दर में बढोत्तरी की गयी है. जो विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 121 का उल्लंधन है. उक्त याचिका ई-मेल के माध्यम से दायर की गयी है.
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2 फीसदी बढ़े बिजली के दाम
गुरूवार को मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने नया टैरिफ प्लान जारी किया है. नए टैरिफ प्लान के तहत बिजली के रेट 1.98 फीसदी बढ़े गए हैं. बिजली कंपनियों ने मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग से 5.73 फीसदी बिजली के दाम बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों की मांग को तो नहीं माना, फिर भी दामों में 1.98 की वृद्धि कर दी गई. नए टैरिफ प्लान में 30 फीसदी यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्तों पर इसका असर नहीं पड़ेगा. उन्हें इससे बाहर रखा गया है.
26 दिसंबर से लागू होंगी नई दरें
30 यूनिट से ज्यादा बिजली खपत करने पर नया टैरिफ प्लान की दरों से बिजली बिल देना होगा. नई दरें 26 दिसंबर दर से लागू हो जाएंगीं. तीन महीने बाद फिर से बिजली कीमत को लेकर रिव्यू होगा, फिर इसके बाद नए दाम तय होंगे.हालांकि इस बार मीटर किराया नहीं बढ़ाया गया है.