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मुख्य सचिव समेत कई आलाधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर, ये है मामला

एक याचिकाकर्ता ने प्रदेश के मुख्य सचिव, सीएम के सचिव, डीजीपी, जबलपुर रेंज के आईजी, छिंदवाड़ा कलेक्टर, एसपी, नगर निगम कमिश्नर समेत 10 अधिकारियों के खिलाफ उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका दायर की है.

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Published : May 20, 2019, 12:43 PM IST

छिंदवाड़ा। एक याचिकाकर्ता ने 10 अधिकारियों के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है. जिसमें प्रदेश के मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के सचिव, डीजीपी और जबलपुर जोन के आईजी, छिंदवाड़ा कलेक्टर, एसपी के अलावा नगर निगम कमिश्नर शामिल हैं. मामला जनहित से जुड़ा है.

मुख्य सचिव समेत कई आलाधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर


याचिकाकर्ता भगवानदीन ने बताया कि 5 जनवरी को 2018 को उन्होंने छिंदवाड़ा निगम कमिश्नर इच्छित गढ़वाले की जनविरोधी गतिविधियों की लिखित शिकायत मध्यप्रदेश शासन के मुख्य सचिव और तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान से की थी. मामले की जांच के लिए सीएम हेल्पलाइन से छिंदवाड़ा कलेक्टर को कार्रवाई के लिये आदेशित किया गया था, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते आवेदन नगर निगम पहुंचा दिया गया.

वहां पदस्थ्य राजकुमार पवार और अनंत धुर्वे ने शिकायत का निवारण करते हुये ये कहा कि हेल्पलाइन पर दर्ज की गई शिकायत झूठी और मनगढ़ंत है.वहीं दूसरी शिकायत के निपटारे के लिये मुख्य सचिव एमपी के माध्यम से जबलपुर कमिश्नर और छिंदवाड़ा कलेक्टर को कार्रवाई के निर्देश दिये गये. इस संबंध में याचिकाकर्ता के बयान जिला कलेक्टर की शिकायत शाखा में दिनांक 29 अगस्त 2018 को दर्ज हुए.

इस दौरान नगर निगम आयुक्त ने कलेक्टर को बताया कि शिकायतकर्ता ने नगर पालिका निगम द्वारा संचालित वृद्धा आश्रम में अनियमितता और सूचना के अधिकार अधिनियम में भाई-भतीजावाद को लेकर जो जनहित याचिका लगाई थी, वह स्वहित की होने के कारण उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा निरस्त कर दी गई है.


याचिकाकर्ता भगवानदीन साहू ने इस संबंध में 24 दिसंबर 2018 और 29 दिसंबर 2018 को सभी प्रतिवादीगणों को प्रार्थना पत्र देकर निगम में पदस्थ अधिकारियों पर धोखाधड़ी का केस दर्ज करने की मांग की थी, लेकिन सभी प्रतिवादीगणों ने निगम कर्मचारियों को बचाने का प्रयास किया.

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शिकायत की प्रति


10 मई 2019 को उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता और सरकारी वकील के बीच मामले को लेकर बहस हुई, जिसके बाद इस याचिका को हाईकोर्ट के न्यायाधीश अतुल श्रीधरन ने जनहित का बताते हुए खंडपीठ को प्रेषित कर दिया है.

छिंदवाड़ा। एक याचिकाकर्ता ने 10 अधिकारियों के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है. जिसमें प्रदेश के मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के सचिव, डीजीपी और जबलपुर जोन के आईजी, छिंदवाड़ा कलेक्टर, एसपी के अलावा नगर निगम कमिश्नर शामिल हैं. मामला जनहित से जुड़ा है.

मुख्य सचिव समेत कई आलाधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर


याचिकाकर्ता भगवानदीन ने बताया कि 5 जनवरी को 2018 को उन्होंने छिंदवाड़ा निगम कमिश्नर इच्छित गढ़वाले की जनविरोधी गतिविधियों की लिखित शिकायत मध्यप्रदेश शासन के मुख्य सचिव और तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान से की थी. मामले की जांच के लिए सीएम हेल्पलाइन से छिंदवाड़ा कलेक्टर को कार्रवाई के लिये आदेशित किया गया था, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते आवेदन नगर निगम पहुंचा दिया गया.

वहां पदस्थ्य राजकुमार पवार और अनंत धुर्वे ने शिकायत का निवारण करते हुये ये कहा कि हेल्पलाइन पर दर्ज की गई शिकायत झूठी और मनगढ़ंत है.वहीं दूसरी शिकायत के निपटारे के लिये मुख्य सचिव एमपी के माध्यम से जबलपुर कमिश्नर और छिंदवाड़ा कलेक्टर को कार्रवाई के निर्देश दिये गये. इस संबंध में याचिकाकर्ता के बयान जिला कलेक्टर की शिकायत शाखा में दिनांक 29 अगस्त 2018 को दर्ज हुए.

इस दौरान नगर निगम आयुक्त ने कलेक्टर को बताया कि शिकायतकर्ता ने नगर पालिका निगम द्वारा संचालित वृद्धा आश्रम में अनियमितता और सूचना के अधिकार अधिनियम में भाई-भतीजावाद को लेकर जो जनहित याचिका लगाई थी, वह स्वहित की होने के कारण उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा निरस्त कर दी गई है.


याचिकाकर्ता भगवानदीन साहू ने इस संबंध में 24 दिसंबर 2018 और 29 दिसंबर 2018 को सभी प्रतिवादीगणों को प्रार्थना पत्र देकर निगम में पदस्थ अधिकारियों पर धोखाधड़ी का केस दर्ज करने की मांग की थी, लेकिन सभी प्रतिवादीगणों ने निगम कर्मचारियों को बचाने का प्रयास किया.

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शिकायत की प्रति


10 मई 2019 को उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता और सरकारी वकील के बीच मामले को लेकर बहस हुई, जिसके बाद इस याचिका को हाईकोर्ट के न्यायाधीश अतुल श्रीधरन ने जनहित का बताते हुए खंडपीठ को प्रेषित कर दिया है.

Intro:मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के सचिव, डीजीपी जबलपुर जोन के आईजी समेत छिंदवाड़ा के कलेक्टर, एसपी और नगर निगम कमिश्नर समेत कुल 10 लोंगो के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है।


Body:याचिकाकर्ता भगवानदीन साहू ने बताया कि उन्होंने सीएम हेल्पलाइन का काम देखने वाले मुख्यमंत्री के सचिव मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक जबलपुर जोन के आईजी छिंदवाड़ा के कलेक्टर एसपी और नगर निगम छिंदवाड़ा के कमिश्नर समेत 10 लोंगो के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। जिसका प्रकरण क्रमांक WP7461/19 है।

याचिकाकर्ता भगवानदीन साहू ने बताया कि 5 जनवरी 2018 को उन्होंने नगरपालिक निगम छिंदवाड़ा के कमिश्नर इच्छित गढ़वाले की जन विरोधी गतिविधियों की लिखित शिकायत मध्य प्रदेश शासन के मुख्य सचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से की थी, जिसकी जांच करने के लिए सीएम हेल्पलाइन से जिला कलेक्टर छिंदवाड़ा को कार्यवाही के लिए आदेशित किया गया था लेकिन प्रशासन की घोर लापरवाही के चलते है आवेदन नगर निगम पहुंचा दिया गया और वहां पर पदस्थ राजकुमार पवार एवं अनंत धुर्वे ने शिकायत का निराकरण करते हुए सीएम हेल्पलाइन में दर्ज किया की शिकायत झूठी एवं मनगढ़ंत है।
वहीं दूसरी शिकायत मुख्य सचिव एमपी के माध्यम से कमिश्नर जबलपुर छिंदवाड़ा कलेक्टर को कार्यवाही के लिए दिया इस संबंध में याचिकाकर्ता के बयान जिला कलेक्टर की शिकायत शाखा में दिनांक 29 अगस्त 2018 को दर्ज हुए, इस दौरान नगर निगम आयुक्त ने पत्र क्रमांक 535/लो.नि. वि./नपानि/18 के माध्यम से जिला कलेक्टर को बताया कि शिकायतकर्ता ने नगर पालिक निगम द्वारा जो संचालित वृद्धा आश्रम में अनियमितता एवं सूचना के अधिकार अधिनियम में भाई भतीजा को लेकर जो जनहित याचिका लगाई थी वह स्वहित की होने के कारण माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में निरस्त कर दिया है।



Conclusion:याचिकाकर्ता भगवानदीन साहू ने इस संबंध में 24 दिसंबर 2018 एवं 29 दिसंबर 2018 को समस्त प्रतिवादीगणों को प्रार्थना पत्र देकर निगम में पदस्थ अधिकारियों पर धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज करने की मांग की थी लेकिन सभी परिवादिगणों ने निगम कर्मचारियों को बचाने का प्रयास किया ,10 मई 2019 को उच्च न्यायालय में याचिका कर्ता एवं सरकारी वकील के बीच मामले को लेकर जिरह हुई उच्च न्यायालय के न्यायधीश अतुल श्रीधरन ने इस मामले को जनहित का मामला बताते हुए याचिका को खंडपीठ को प्रेषित कर दिया।

याचिका के फोटो

बाइट-भगवानदीन साहू,याचिकाकर्ता
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