जबलपुर। कभी सुबह-शाम लोगों से गुलजार रहने वाले सदियों पुराने जबलपुर के हनुमान ताल में अब चारों ओर सिर्फ कचरा ही कचरा देखने को मिलता है. पानी का यह स्रोत सदियों से इलाके के लोगों को साफ और स्वच्छ पानी देता रहा है, लेकिन अब यहां मवेशी भी झांकने नहीं आते हैं.
पवित्र होने के कारण ही हुआ प्रदूषित
करीब 15 एकड़ का यह तालाब चारों तरफ से पक्का है. समय-समय पर इसके घाट बनाए गए हैं. इस तालाब के किनारे मंदिर, मस्जिद और जैन धर्म के लोगों के तीर्थ स्थल भी हैं. सभी धर्मों के लोग किसी न किसी त्योहार के लिए हनुमान ताल से जुड़े हुए हैं और इसी वजह से इसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है, लेकिन इसका पवित्र होना ही इसके प्रदूषित होने का सबसे बड़ा कारण है. लोग घरों में होने वाली पूजा-पाठ की सामाग्री इसी तालाब में डालकर चले जाते हैं. वहीं चारों तरफ रहने वाले लोग भी दिनभर कुछ न कुछ गंदगी तालाब में फेंकते रहते हैं. लोगों के द्वारा गंदगी फैलान के कारण ये कचरा और गंदगी तालाब की तली पर बैठ जाती है, वहीं बहुत सारा कचरा ऊपर ही तैरता रहता है.
दिन भर कचरा निकालते हैं कर्मचारी
नगर निगम के कर्मचारी तालाब में दो कश्तियां चलाते हैं, जिनसे हनुमान ताल का गंदा कचरा पूरे दिन निकाला जाता है. इसके बाद भी पूरा कचरा नहीं निकल पाता है. आसपास के लोगों का कहना है कि लोग भी नहीं मानते और नगर निगम भी ध्यान नहीं देता इसलिए सदियों पुराना यह तालाब गंदे पानी का पोखर बन गया है.
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गंदगी के भेंट चढ़ते तालाब
शहर में 52 तालाब, जिनके संरक्षण और रखरखाव के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किया जा रहे हैं, लेकिन ये करोड़ों रुपए खर्च सिर्फ चुनिंदा तालाबों को सुंदर बनाने के लिए किए जा रहे हैं, बाकी शहर के कई तालाब धीरे-धीरे गंदगी की भेंट चढ़ते जा रहे हैं.