जबलपुर। शहर में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जगत के लोगों ने मिलकर नर्मदा नदी को बचाए रखने के लिए प्रदर्शन किया. नर्मदा में होने वाले अवैध खनन को रोकने, पौधारोपण की जांच और गंदे नदी नालों के पानी को नर्मदा में मिलने से रोकने की मांग की गई.
सामाजिक संगठन, धार्मिक संगठन, व्यापारिक संगठन और राजनीतिक दलों के लोगों ने मिलकर नर्मदा को बचाने के लिए सिविक सेंटर में प्रदर्शन किया. यहां इकट्ठा होकर नर्मदा से जुड़े मुद्दों पर सरकार को ध्यान देने के लिए कहा गया. साथ ही चोतावनी दी गई कि अगर मांगे पूरी नहीं होती हैं, तो जन आंदोलन किया जाएगा.
नर्मदा के किनारे हुए पौधारोपण की जांच हो
सामाजिक संगठन नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के संरक्षक डॉक्टर पीजी नाज पांडे का कहना है कि कुछ साल पहले जबलपुर में नर्मदा सेवा यात्रा के माध्यम से एक बड़ा आंदोलन चलाया गया था. करोड़ों पौधे नर्मदा के किनारे रोपे गए थे. इसमें काफी पैसा भी खर्च हुआ था.
डॉक्टर पीजी नाज पांडे का कहना है कि आखिर उन पौधों का क्या हुआ ? इस पर जो पैसा खर्च किया गया था, उसकी भी जांच होनी चाहिए, क्योंकि अब नर्मदा के किनारे उस दौरान लगाए हुए पौधे अब नजर नहीं आते.
महाकौशल चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रवि गुप्ता का कहना है कि नाले खत्म नहीं किए जा सकते, लेकिन इनके पानी को साफ किया जा सकता है. कुछ जगहों पर ऐसा किया जा रहा है.
पर्यावरण पर चुप्पी क्यों ?
कांग्रेस नेता शिव यादव का कहना है कि राज्य सरकार इसके लिए लगातार प्रयास कर रही है. पैसा खर्च भी हो रहा है, लेकिन नर्मदा में पानी कैसे बचा रहे, उसका पानी साफ कैसे रहे, इस विषय में कुछ नहीं किया जा रहा है. आखिर सरकार नर्मदा नदी को बचाना चाहती है या खत्म करना चाहती है.
18 तारीख को हजारों लोग नर्मदा नदी को बचाने के लिए एक रैली निकालेंगे. यह बात सही है कि नर्मदा खत्म, तो प्रदेश का बड़ा भू-भाग खत्म हो जाएगा. इसलिए नर्मदा को साफ और स्वच्छ बनाए रखना हमारी धार्मिक, राजनीतिक या आर्थिक जरूरत नहीं है, बल्कि यह हमारी मजबूरी है. लोगों और सरकारों को इस विषय में कड़े कदम उठाने चाहिए, नहीं तो जिस तरह से नर्मदा में अवैध खनन हो रहा है, उससे नर्मदा खत्म हो जाएगी.