जबलपुर। शहर की एक सामाजिक संस्था ने शहरी इलाकों में बनी गौशालाओं को हटाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक याचिका दायर की थी. जिसकी सुनवाई के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आदेश जारी किया है कि शहरी इलाकों में गौशाला नहीं बनाई जा सकती. किसी भी नेशनल हाइवे से 200 मीटर की दूरी तक, किसी नदी, तालाब या पानी के स्रोत से कम से कम 500 मीटर की दूरी पर ही गौशालाओं का निर्माण कराया जा सकता है अगर इस सीमा के अंदर कोई गौशाला है तो उसे हटाया जाए या उसका स्थान बदला जाए.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के इस आदेश के साथ ही जबलपुर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कुंडम रोड पर बनने वाली एक सरकारी गौशाला के निर्माण पर आपत्ति जताई है. दरअसल ये गौशाला एक बड़े शिक्षण संस्थान नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के पास में बनी है और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन के अनुसार किसी शिक्षण संस्थान के पास में गौशाला नहीं बनाई जा सकती. इसलिए सरकारी निर्माणाधीन गौशाला का भी स्थान परिवर्तन करने का आदेश दिया गया है.
एनजीटी ने इस मामले में राज्य सरकार के मुख्य सचिव को भी आदेश दिया है कि प्रदेश भर में शहरी इलाकों में जितनी गौशालाएं हैं, जो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन का पालन नहीं करती हैं उन्हें या तो बंद कर दिया जाए या फिर उनका स्थान परिवर्तित किया जाए.
इस आदेश के आने के बाद सबसे बड़ी समस्या नर्मदा किनारे बनी हुई गौशालाओं पर है, क्योंकि नर्मदा किनारे हजारों की तादाद में गौशाला हैं, जो मंदिरों-मठों और धर्मशालाओं से जुड़ी हुई हैं. यदि इन सब पर कार्रवाई की गई तो विवाद खड़ा हो सकता है.