जबलपुर। देशभर की केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने को लेकर कर्मचारी और रक्षा मंत्रालय के बीच करीब 2 साल से विवाद चल रहा था. रक्षा मंत्रालय कर्मचारियों को नोटिस जारी करते थे तो कर्मचारी सरकार के खिलाफ आंदोलन करते हुए हड़ताल पर चले जाते थे. इस बीच रक्षा मंत्रालय कर्मचारियों के तीन बड़े फेडरेशन ने सुरक्षा संस्थानों के निजीकरण होने को लेकर 12 अक्टूबर से देशव्यापी हड़ताल का एलान कर दिया था, लेकिन इस हड़ताल को लेकर केंद्र सरकार और कर्मचारियों के बीच आखिरकार चीफ लेबर कमिश्नर को आना पड़ा और उनकी अध्यक्षता में एक बैठक हुई.
देशभर में 41 केंद्रीय सुरक्षा संस्थान
संस्कारधानी जबलपुर की चार केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों को मिलाकर पूरे देश में करीब 41 संस्थान हैं. इन सभी सुरक्षा संस्थानों में निजीकरण के विरोध में 12 अक्टूबर से देशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल होना था, अगर यह हड़ताल होती तो निश्चित रूप से सेना को सप्लाई किये जाने वाले गोला-बारूद और अन्य हथियारों की कमी आ सकती थी. जिसको देखते हुए चीफ लेबर कमिश्नर की अध्यक्षता में रक्षा मंत्रालय और कर्मचारी नेताओं के बीच एक मीटिंग हुई. इस मीटिंग में निर्णय लिया गया कि सरकार अब आयुध निर्माणियों के निगमीकरण की कार्रवाई को जहां स्थगित कर देगी तो वहीं अगली बैठक में होने वाले निर्णय तक कर्मचारी भी किसी प्रकार से हड़ताल पर जाने की नहीं सोचेंगे.
कई वर्ग के अधिकारी कर्मचारी थे हड़ताल में शामिल
आगामी 12 अक्टूबर से होने वाली केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों की देशव्यापी हड़ताल में न सिर्फ कर्मचारी बल्कि क्लास वन अधिकारी तक शामिल हो गए थे. अगर 12 अक्टूबर से सुरक्षा संस्थानों में हड़ताल होती तो निश्चित रूप से उत्पादन पूरी तरह से ठप हो जाता और सेना की मांग पूरी नहीं हो पाती. इसी को देखते हुए चीफ लेबर कमिश्नर की अध्यक्षता में सरकार और फेडरेशन प्रमुख की बैठक हुई. जिसमें आपसी सहमति बनी कि ना आप निगमीकरण करो और ना हम हड़ताल करेंगे.
रक्षा मंत्रालय और ट्रेड यूनियन में ठनी थी कि फिर चीफ लेबर कमिश्नर बने पालनहार
12 अक्टूबर से देशभर के 41 केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों में अनिश्चितकालीन हड़ताल होना थी, सरकार चाहती थी कि इस हड़ताल को अवैध घोषित किया जाए जबकि कर्मचारियों ने इस हड़ताल को लेकर अपनी पूरी तैयारी कर ली थी. निगमीकरण को लेकर बात करने के लिए न हीं रक्षा मंत्रालय तैयार था और न ही ट्रेड यूनियन अपनी हड़ताल समाप्त करने के लिए तैयार थे. लिहाजा इन दोनों के बीच मध्यस्थता का काम चीफ लेबर कमिश्नर डीपीएस नेगी ने किया. कमिश्नर नेगी ने तीनों ही फेडरेशन के प्रमुख और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की और बैठक में आखिरकार निर्णय निकला कि केंद्र सरकार न हीं फैक्ट्रियों के निगमीकरण के विषय में सोचेगी और ना ही कर्मचारी हड़ताल पर जाएंगे, कहा जा सकता है कि लेबर कमिश्नर आगामी 12 अक्टूबर से होने वाली देशव्यापी हड़ताल को रोकने के लिए पालनहार साबित हुए हैं.
हड़ताल हमारा उद्देश्य नहीं
कर्मचारी अर्णव दास की माने तो इनका कहना है कि कर्मचारियों का उद्देश्य हड़ताल नहीं है. लेकिन कर्मचारी बहुत मजबूरी में कर रहे हैं. उन्होंने समस्या बताते हुए कहा कि सरकार जो मजदूर विरोधी काम कर रही है उस पर अंकुश लगे. कर्मचारी का कहना है कि हड़ताल से करोड़ों का नुकसान होता है जोकि कर्मचारी बिल्कुल नहीं चाहते हैं. लेकिन ये उनकी मजबूरी है कि उन्हें हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ रहा है.
कैंसिलेशन की अगली तारीख नहीं हुई है अभी तय
आयुध निर्माणियों के निगमीकरण को लेकर इस बैठक के बाद अब अगली बैठक कब होना है. यह अभी तय नहीं किया गया है, लेकिन कहा जा रहा है कि जब तक आगामी कैंसिलेशन बैठक की तारीख तय नहीं हो जाती है तब तक न ही रक्षा मंत्रालय निगमीकरण के विषय में सोचेगा और न ही कर्मचारी हड़ताल करेंगे. लिहाजा इंतजार किया जा रहा है कि कैंसिलेशन की अगली बैठक कब होती है, और उसमें क्या निर्णय निकल कर सामने आता है.
जबलपुर में है चार केंद्रीय सुरक्षा संस्थान
आयुध निर्माणी खमरिया-
इस फैक्ट्री में सेना के लिए गोला बारूद और बम बनाए जाते हैं यह फैक्ट्री देश की सबसे बड़ी आयुध निर्माणी है.
गन कैरिज फैक्ट्री-
इस फैक्ट्री में सेना के लिए गन और तोप बनाए जाते हैं, देश की सबसे शक्तिशाली धनुष तोप का निर्माण भी इसी फैक्ट्री में होता है.
व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर-
जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री में सेना के लिए बड़े-बड़े वाहन बनाए जाते हैं, और इन्हीं वाहनों में बैठकर सैनिक दुश्मनों से लोहा लेते हैं.
ग्रे आयरन फाउंड्री-
जबलपुर की ग्रे आयरन फाउंड्री फैक्ट्री में बमों के कवच के साथ-साथ वाहनों और तोप के उपकरण बनाए जाते हैं.