जबलपुर। निर्भया कांड के बाद जबलपुर के ऑटो रिक्शा, सिटी बस और अन्य सिटी परमिट वाली टैक्सी वाहनों में सफर करना महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता था. घर परिवार में हमेशा से ही एक डर बना रहता था कि आखिर जिस ऑटो या बस में घर की महिलाएं और बच्चियां सफर कर रही हैं. उस ऑटो का चालक कैसा व्यक्ति है ? कहीं उनके साथ कुछ अभद्रता तो नहीं हो रही है. इस तरह का एक अंदेशा हमेशा से परिजनों के मन में बना रहता था लेकिन अब इस शक को मध्य प्रदेश पुलिस ने पूरी तरह से दूर कर दिया है.
ट्रैफिक पुलिस ने लॉन्च किया "माय ट्रैफिक माय सेफ्टी" मोबाइल ऐप
ऑटो में सफर करने वाली महिलाएं, स्कूल-कॉलेज की छात्राएं नौकरी पेशा महिलाएं और बच्चों की सुरक्षा के साथ अब ऑटो चालकों की बदसलूकी या समान छूटने की समस्या से निजात जबलपुर पुलिस ने एक "माय ट्रैफिक-माय सेफ्टी" ऐप के जरिए खोज लिया है. यातायात विभाग द्वारा तैयार किए कराए गए "माय ट्राफिक माय सेफ्टी" ऐप को पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा ने लॉन्च किया है. ऑटो में सेफ्टी फीचर और यातायात विभाग द्वारा जारी किए गए नंबर चस्पा किए गए हैं. जिसमें आसानी से शहर में लगे सीसीटीवी कैमरे ट्रेस कर सकते हैं.
![Traffic police](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-jab-03-online-auto-spl-suneel-7202638_03102020191439_0310f_02553_575.jpg)
मोबाइल ऐप से कुछ इस तरह से मिलेगी जानकारी
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ट्रैफिक अगम जैन ने इस ऐप की विस्तार से जानकारी ईटीवी भारत से साझा की है. उन्होंने कहा कि स्मार्ट यलो कार्ड योजना के अगले चरण में इस एप को विकसित कराया गया है. अभी तक 722 वाहन चालक अपने सत्यापन के लिए फार्म भर चुके हैं और लगभग 149 ऑटो चालक अपने दस्तावेज भी जमा कर चुके हैं. लोग इस मोबाइल एप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. इसके बाद अपना मोबाइल नंबर इस ऐप में इंटर करना होगा, जिसके बाद एक ओटीपी आएगा उसे इंटर करते ही एप सुविधा के लिए चालू आपके लिए हो जाएगा. एएसपी ने कहा कि अभी तक लोक परिवहन सेवा से जुड़े वाहनों की सेफ्टी के लिए कोई पहल नहीं हुई थी कहा यह भी जा रहा था कि है कि ऑटो में बैठने वाले यात्रियों की सुरक्षा के लिए यह एप पूरे देश में पहला है जिसे कि जबलपुर ट्रैफिक पुलिस ने आम यात्रियों के लिए बनवाया है.
![Superintendent of Police Siddharth Bahuguna](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-jab-03-online-auto-spl-suneel-7202638_03102020191439_0310f_02553_604.jpg)
प्ले स्टोर से पुलिस का ऐप डाउनलोड करने से वाहन का मालिक, वाहन के ड्राइवर और अन्य जानकारी भी पलक झपकते मिल जाएगी, इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस हर ऑटो में नंबर भी चस्पा करेगी और इन नंबर पर पुलिस की चौथी नजर (सीसीटीवी कैमरा) हमेशा रहेगी. इसके अलावा इस मोबाइल एप में वाहन चालक के नंबर, वाहन मालिक और ऑटो के दस्तावेज सहित वाहन में समान छूटने पर उसे ढूंढने में मदद मिलेगी. वाहनों में स्कूल बच्चों की सुरक्षा अभिभावक सुनिश्चित भी कर पाएंगे, इसके साथ ही रात में महिलाएं सफर के दौरान ऐप के माध्यम से वाहन की जानकारी अपने परिजनों से भी शेयर कर सकती हैं, इसमें ऑटो चालक ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा से भी जोड़ा जा रहा है.
![Police with auto driver](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-jab-03-online-auto-spl-suneel-7202638_03102020191439_0310f_02553_853.jpg)
ऑटो चालकों ने भी इस मोबाइल ऐप को सराहा
ऑटो चालक आनंद खरे कहते हैं कि सभी ऑटो चालक एक जैसे नहीं होते हैं पर यह भी सही है कि हजारों ऑटो की भीड़ में कुछ ऐसे ऑटो चालक भी मिल जाते हैं जो महिलाओं से अभद्रता करते हैं लेकिन अब इस मोबाइल ऐप के माध्यम से ऐसे ऑटो चालकों पर पुलिस हमेशा नजर रखेगी, जो कि महिलाओं से बदसलूकी करते हैं. कहा जा रहा है कि निश्चित रूप से इस मोबाइल ऐप के आ जाने से महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में भी काफी हद तक कमी आएगी, वहीं ऑटो चालक संजय रैकवार कहते हैं कि कोरोना वायरस काल मे बार-बार पुलिस को दस्तावेज दिखाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. कहा जाता है कि कागज के दस्तावेजों को इधर से उधर करने पर कोरोना वायरस असर करता है. वहीं ऑटो में पुलिस के द्वारा जो स्टीकर चिपकाए गए है. उस स्टीकर में लगे बारकोड के माध्यम से ऑटो की पूरी जानकारी निकाली जा सकती हैं.
![Auto driver](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-jab-03-online-auto-spl-suneel-7202638_03102020191439_0310f_02553_495.jpg)
निर्भया कांड और महिला अपराध को देखते हुए बनाया गया मोबाइल ऐप
"माय ट्राफिक-माय सेफ्टी" ऐप को इजाद करने वाले प्रफुल्ल जोशी बताते हैं कि बीते 8 से 10 सालों से वह ट्रैफिक क्षेत्र में काम कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने पाया है कि जो भी महिलाओं से संबंधित अपराध होते हैं. उसमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अहम भूमिका होती है, अगर इस सिस्टम पर कंट्रोल किया जाता तो आज ना ही निर्भया कांड होता और ना हीं हैदराबाद कांड. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि इन तमाम घटनाओं को देखते हुए पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जुड़े हुए ऐप को बनाया गया है. आज इस ऐप का उद्घाटन देश के पहले जिले जबलपुर से किया गया है. प्रफुल्ल ने जबलपुर के तमाम परिजनों से अपील की है कि वह अपने बच्चों को सिर्फ उसी ऑटो में बैठे हैं जिस पर की पुलिस के द्वारा स्टीकर चस्पा किए गए हैं. इससे कि आप की महिलाएं और बच्चियां पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगी.
![Auto racing on the roads](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-jab-03-online-auto-spl-suneel-7202638_03102020191439_0310f_02553_199.jpg)
इस मोबाइल ऐप के लांच होने से करीब 3 माह पहले शुरू की गई यलो स्मार्ट कार्ड को लेकर क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम का ऑडिट करवाया गया था. जिसका आईएसओ प्रमाण पत्र यातायात पुलिस जबलपुर को मिला है. तीन महीने में अब तक सोशल माध्यम व्हाट्सएप पर प्राप्त आवेदन के माध्यम से 5810, ऑफिस आकर 1555, कैम्प में 456 और ऑटो डील के माध्यम से 110 कार्ड बनाए जा चुके हैं. कहा जा सकता है कि जबलपुर में जिस तरह से यलो कार्ड बनने का काम सफल रहा है उसी तरह से यह मोबाइल ऐप भी पूरी तरह से महिलाओं और छात्रों के लिए कारगर साबित होगा. निश्चित रूप से आने वाले दिनों में महिलाओं के साथ होने वाली ऑटो में बदसलूकी और अभद्रता में भी इस मोबाइल एप के माध्यम से काफी हद तक कमी आएगी.