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MP Scholarship Scam: HC ने पैरामेडिकल छात्रवृति घोटाले में लोकायुक्त को रिपोर्ट पेश करने के लिए 4 सप्ताह की दी मोहलत

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर में पैरामेडिकल छात्रवृति घोटाले में दर्ज प्रकरणों के संबंध में सुनवाई हुई. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान लोकायुक्त ने रिपोर्ट पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने आग्रह को स्वीकार करते हुए चार सप्ताह का समय प्रदान किया है.

MP Scholarship Scam
लोकायुक्त को रिपोर्ट पेश करने के लिए 4 सप्ताह की दी मोहलत
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 29, 2023, 8:41 AM IST

जबलपुर। लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर की गयी याचिका में बताया गया कि साल 2009 से 2015 के बीच हुए प्रदेश के सैकडों पैरा मेडिकल कॉलेज ने छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ो रुपये का घोटाला किया था. पैरामेडिकल कॉलेज संचालकों ने फर्जी छात्रों को प्रवेश दर्शाकर सरकार से करोड़ों रुपए की राशि छात्रवृत्ति के रूप में प्राप्त की. घोटाले के संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा जांच के आदेश दिये गये थे. जांच में घोटाले के आरोप सही पाये गये. इसके बाद सरकार की तरफ से उक्त कॉलेज से राशि वसूले का निर्णय लिया.

सरकार पर लगा था जुर्माना : घोटाले के संबंध में लोकायुक्त द्वारा भी प्रकरण दर्ज किया गया था. याचिका में कहा गया था कि छात्रवृत्ति घोटाले करने वाले कॉलेज से राशि वसूलने के लिए ले किसी तरह की कार्रवाई राज्य सरकार नहीं कर रही है. लोकायुक्त ने भी साल 2015 में प्रकरण दर्ज किया था, परंतु कोई कार्रवाई नहीं की गई. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया था कि कई अवसर प्रदान करने के बावजूद सरकार की तरफ से जवाब पेश नहीं किया गया है. युगलपीठ ने 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाते हुए सरकार को जवाब पेश करने के लिए अंतिम समय प्रदान किया था. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेजा ने पैरवी की.

जस्टिस सुधीर अग्रवाल को हटाने का विरोध : नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पत्र लिखा है. सीजेआई से आग्रह किया गया है कि पत्र की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में की जाए. पत्र में कहा गया है कि एनजीटी के सेंट्ल जोन भोपाल के न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने 16 अगस्त को भोपाल की कलियासोत नदी के 33 मीटर दायर में हुए अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिये थे.

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कलियासोत को लेकर एनजीटी का आदेश : अगले दिन 17 अगस्त को उन्होंने डेम को भी नदी का हिस्सा माना था. इस समूचे क्षेत्र में लगभग 2 हजार निर्माण हैं, जिसमें होटल व फार्महाउस भी हैं. एनजीटी सेंट्रल जोन से जस्टिस सुधीर अग्रवाल को हटाना न्यायिक सिस्टम को खुली धमकी है. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कलियासोत नदी व डेम के किनारे बसे वोटरों को खुश करने हेतु जस्टिस अग्रवाल को भोपाल से हटाया गया है.

जबलपुर। लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर की गयी याचिका में बताया गया कि साल 2009 से 2015 के बीच हुए प्रदेश के सैकडों पैरा मेडिकल कॉलेज ने छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ो रुपये का घोटाला किया था. पैरामेडिकल कॉलेज संचालकों ने फर्जी छात्रों को प्रवेश दर्शाकर सरकार से करोड़ों रुपए की राशि छात्रवृत्ति के रूप में प्राप्त की. घोटाले के संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा जांच के आदेश दिये गये थे. जांच में घोटाले के आरोप सही पाये गये. इसके बाद सरकार की तरफ से उक्त कॉलेज से राशि वसूले का निर्णय लिया.

सरकार पर लगा था जुर्माना : घोटाले के संबंध में लोकायुक्त द्वारा भी प्रकरण दर्ज किया गया था. याचिका में कहा गया था कि छात्रवृत्ति घोटाले करने वाले कॉलेज से राशि वसूलने के लिए ले किसी तरह की कार्रवाई राज्य सरकार नहीं कर रही है. लोकायुक्त ने भी साल 2015 में प्रकरण दर्ज किया था, परंतु कोई कार्रवाई नहीं की गई. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया था कि कई अवसर प्रदान करने के बावजूद सरकार की तरफ से जवाब पेश नहीं किया गया है. युगलपीठ ने 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाते हुए सरकार को जवाब पेश करने के लिए अंतिम समय प्रदान किया था. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेजा ने पैरवी की.

जस्टिस सुधीर अग्रवाल को हटाने का विरोध : नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पत्र लिखा है. सीजेआई से आग्रह किया गया है कि पत्र की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में की जाए. पत्र में कहा गया है कि एनजीटी के सेंट्ल जोन भोपाल के न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने 16 अगस्त को भोपाल की कलियासोत नदी के 33 मीटर दायर में हुए अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिये थे.

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