जबलपुर। केक के बगैर क्रिसमस की चर्चा अधूरी है. हर शहर में केक बिकते हैं और सबकी अपनी पहचान है लेकिन एमपी के जबलपुर में बनने वाले वाइन केक के लिए अब दूसरे राज्यों से भी डिमांड होने लगी है. ये जानकर आप हैरान हो जाएंगे कि केक बनाने की रेसिपी 100 साल से ज्यादा पुरानी है और इसे आज भी यहां ऐसे ही बनाया जाता है.
100 साल पुरानी भट्टी में पकता है केक: गोवा के रहने वाले होरी विक्टर का परिवार 1930 में जबलपुर आ गया था. जबलपुर में आकर इन्होंने सिविल लाइन इलाके में जबलपुर की पहली बेकरी शुरू की थी. उसे जमाने में उन्होंने जो भट्टी बनाई थी लगभग 100 साल बाद आज भी इसी भट्टी में केक बनाए जा रहे हैं. विक्टर फैमिली ने घर का रिनोवेशन भी करवाया तो अपनी भट्टी को नहीं तुड़वाया और आज भी विक्टर परिवार की पांचवीं पीढ़ी परंपरागत केक बना रही है. क्रिसमत आते ही जबलपुर के अलावा आसपास के दूसरे राज्यों से भी इसके को बनवाने की मांग बड़े पैमाने पर रहती है.
वाइन केक की बढ़ी डिमांड: अमूमन केक तो कई प्रकार के और कई प्रकार से बनाए जाते हैं. लेकिन विक्टर फैमिली जो केक बनाती है उसमें उन्हें वाइन केक बनाने में महारत हासिल है. इनके केक में अलग-अलग तरीके से वाइन मिलाई जाती है वाइन के रूप में रम का इस्तेमाल किया जाता है. डिमांड के आधार पर इसके ब्रांड तय होते हैं दरअसल केक में कई किस्म के नट्स मिलाए जाते हैं इनमें काजू, अखरोट और कुछ सीड्स होते हैं इन सीड्स को वाइन में डुबा कर रखा जाता है. जब यह वाइन को अच्छे से सोख लेते हैं तो इसके बाद इन्हें केक में मिलाकर पकाया जाता है.
3 महीने नहीं होता केक खराब: केक बनाने वाली नई पीढ़ी के एड्रियन विक्टर ने बताया कि नट्स को वाइन में डुबा कर रखने से केक में एक अनोखा स्वाद आता है. यह बात तो सही है लेकिन इसके पीछे एक दूसरा तर्क यह भी है कि इससे नट्स के भीतर के वाइरस और वैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं और नट्स की वजह से केक खराब नहीं होता. विक्टर ने बताया कि उनके केक को 3 महीने तक इस्तेमाल किया जा सकता है वह खराब नहीं होता.
4 घंटे में पकता है केक: इस बेकरी में फिलहाल 30 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं. क्रिसमस की वजह से काम बहुत ज्यादा है इसलिए विक्टर परिवार के अलावा कुछ और लोगों को अपनी इस अनोखी रेसिपी के राजदार बना चुके हैं. भट्टी पर बैठकर केक पकाने वाले जगदीश उईके ने बताया कि वह कई सालों से बैतूल से जबलपुर आते हैं और खासतौर पर क्रिसमस के समय यह केक बनाते हैं. विक्टर परिवार ने ही उन्हें यह केक बनाने की कला सिखाई है. उनका कहना है की भट्टी को एक बार गर्म किया जाता है इसके बाद इसमें केक जमा दिए जाते हैं इससे चार बार केक को पकाया जाता है. पहली बार की खेप मात्र 1 घंटे में ही पक जाती है लेकिन जिस केक को अंतिम बार रखा जाता है उसको पकाने में चार घंटे लग जाते हैं. 4 घंटे में पका हुआ केक बहुत स्वादिष्ट लगता है.
ब्रिक के आकार का बनता है केक: केक का नाम आते ही आपके सामने एक गोल सी तस्वीर आती है या अनोखे आकार वाली तस्वीर आती है. विक्टर परिवार के सदस्य बताते हैं कि बाजार में आमतौर पर ब्रेड के साथ क्रीम लगाकर केक बेचे रहे हैं. मूल रूप से केक थोड़ा ठोस होता है और जो केक विक्टर बेकरी में बनता है उसे सामान्य तौर पर ब्रिक के आकार में बनाया जाता है जो देखने में किसी ईंट जैसा लगता है. इसके अलावा बच्चों की पसंद के लिए कई बार रिबन केक भी बनाए जाते हैं. क्रिसमस के अलावा इस बेकरी में वेडिंग केक भी बनते हैं जिनकी डिमांड साल भर रहती है.
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अपना सामान लाकर बनवा सकते हैं केक: यहां रेडीमेड केक तो मिलते ही हैं और दूसरी तरफ यदि ग्राहक चाहे तो घर से अपना सामान लेकर आ सकता है और अपने सामने बैठकर भट्टी में केक को पकते हुए देख सकता है. यहां केक बनवाने आई अंजलि बताती हैं कि उन्होंने 25 केक बनाने का आर्डर दिया था.इसके लिए उन्होंने अपने स्वाद के अनुसार सामान भी दिया था और उसे अपने सामने ही बेटर में मिलवाया और अब उनके केक तैयार हैं.
जबलपुर का यह वाइन केक जबलपुर की पहचान बन गया है विक्टर फैमिली बताती है कि मध्य प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाहर से भी उनके पास केक बनाने की डिमांड आती है और वह एक दिन में फिलहाल 1000 से ज्यादा केक सप्लाई कर रहे हैं.