जबलपुर। मध्यप्रदेश के छतरपुर के लवकुश नगर की एसडीएम पद पर तैनात डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने राज्य सरकार से संतान पालन के लिए अवकाश लिया था. इस दौरान उन्होंने बैतूल जिले के आमला में नवनिर्मित घर के गृहप्रवेश कार्यक्रम और सर्वधर्म शांति सम्मेलन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अनुमति मांगी थी. सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें अनुमति नहीं दी. जिससे नाराज होकर उन्होंने बीते 22 जून को सामान्य प्रशासन विभाग को अपना इस्तीफा भेज दिया था.
निशा बांगरे लगातार चर्चा में : निशा बांगरे की ओर से रखे गए पक्ष में बताया गया कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 24 जनवरी 1973 को पारित मेमो के अंतर्गत सरकार को अधिकारी का इस्तीफे पर तत्काल निर्णय लेना चाहिए. यदि अधिकारी के विरुद्ध कोई जांच भी लंबित हो तो उसे भी समाप्त कर देना चाहिए. निशा बांगरे की ओर से अधिवक्ता वरुण तन्खा ने पक्ष रखा. बता दें कि निशा बांगरे का मामला लगातार चर्चा में है. चर्चा है कि निशा बांगरे कांग्रेस की तरफ से विधानसभा चुनाव में उतर सकती हैं. निशा के राजनीति में जाने की अटकलें काफी दिनों से लग रही हैं.
अंतिम चालान टीआई ही पेश करेगा : ऑफ लाइन मोड से अंतिम चार्ज दायर किये जाने के चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की गयी. अपील में कहा गया था कि अंतिम चार्जशीट थाना प्रभारी द्वारा पेश की जानी चाहिए. इसके विपरित विवेचना अधिकारी ने अंतिम चालन पेश किया. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस एके सिंह की युगलपीठ ने अपील को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि ऑफ लाइन मोड से अंतिम चार्जशीट को पेश करना पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं माना जा सकता. अपील में कहा गया था कि लोकायुक्त ने दस हजार रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था.