इंदौर: मध्य प्रदेश में ड्रोन तकनीकी के विस्तार के चलते, अब खेती किसानी के तमाम क्रियाकलापों में ड्रोन के उपयोग पर फोकस किया जा रहा है. लिहाजा राज्य में 5 ड्रोन स्कूल खोले जा रहे हैं. 25 नवंबर यानी मंगलवार को इंदौर में प्रदेश का दूसरा ड्रोन स्कूल शुरू किया गया है. जहां अगले 2 साल में 5 लाख ड्रोन पायलट तैयार होंगे.
युवाओं को बनाया जाएगा ड्रोन पायलट
दरअसल, कृषि क्षेत्र में बढ़ते तकनीकी प्रयोग के मद्देनजर युवाओं को ड्रोन संचालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिससे कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीकी का उपयोग बढ़ाया जा सके लिहाजा. मंगलवार को इसरो (चंद्रयान) मूनमैन ऑफ इंडिया के पूर्व निदेशक डॉ. एम अन्नादुरई और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट की मौजूदगी में प्रदेश के दूसरे ड्रोन प्रशिक्षण केंद्र का शुभारंभ इंदौर में किया गया. जहां कक्षा 10 में पढ़ने वाले 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के युवाओं को ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
ड्रोन तकनीकी से किसानों को होगा लाभ
बता दें कि ड्रोन पायलटों को प्रशिक्षण के बाद उन्हें लाइसेंस भी दिया जाएगा. जिससे की युवा ड्रोन का उपयोग मुख्य रूप से कीटनाशक के छिड़काव के साथ तरल यूरिया और डीएपी खाद का छिड़काव भी आसानी से कर सकेंगे. इस नई तकनीक से न केवल युवाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि किसानों को भी उन्नत तकनीक का लाभ मिलेगा. इस अवसर पर डॉ. एम अन्नादुरई ने कहा, "एजुकेशन के साथ देश के हर सेक्टर में आज तकनीकें अपग्रेड हो रही हैं, जिसकी जरूरत एग्रीकल्चर सेक्टर में भी थी. अब कृषि में ड्रोन तकनीकी के उपयोग से न केवल उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में मैनपॉवर के अभाव के कारण खेती प्रभावित नहीं होगी."
युवाओं को मिलेगा रोजगार
डॉ. एम अन्नादुरई ने कहा, " इससे युवाओं को रोजगार भी प्राप्त होगा. ड्रोन तकनीक से ऑर्गेनिक खेती के साथ पेस्टिसाइड छिड़काव और अन्य तरह के कृषि कार्यों में इस तकनीक से समस्याओं का निवारण भी होगा." गौरतलब है कि पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश में पांच ड्रोन स्कूल खोलने की घोषणा की थी. जिसके तहत भोपाल के बाद दूसरा ड्रोन स्कूल मुसाखेड़ी स्थित कृषि अभियांत्रिकी प्रशिक्षण केंद्र में शुरू किया गया है.