जबलपुर। नर्सिंग ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश जाट ने हाईकोर्ट में उपस्थित होकर अंडरटेकिंग पेश की. इसमें बताया गया है कि नर्सों की हडताल को कॉल-ऑफ कर दिया गया है. भविष्य में हाईकोर्ट की अनुमति के बिना हड़ताल नहीं की जायेगी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा ने सरकार को हड़तालरत नर्सों के खिलाफ कार्रवाई तथा एसोसिएशन के अध्यक्ष को जवाब पेश करने के लिए 15 दिन का समय प्रदान किया था. इस मामले को लेकर हाईकोर्ट लगातार सख्त रुख दिया रहा था. सरकार से भी लगातार जवाब तलब किया जा रहा था.
सरकार को दिए थे कार्रवाई के निर्देश : गौरतलब है कि नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने 10 जुलाई से जारी नर्सों की हड़ताल को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि पूर्व में भी हाईकोर्ट ने नर्सों की हड़ताल को अवैधानिक करार देते हुए 24 घंटे में काम पर लौटने के आदेश दिये थे. हाईकोर्ट ने 14 जुलाई को नर्सों की हड़ताल को अवैधानिक करार देते हुए सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिये थे. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि 14 जुलाई को ही हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए तत्काल काम पर लौटने के निर्देश जारी कर दिये गये थे.
हड़ताल पर सख्ती : नर्सिंग ऑफिसर एसोसिएशन के अह्वान पर नर्सों ने हड़ताल की गई. याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि आवश्यक सेवा मेंटेनेंस एक्ट के तहत हड़तालरत कर्मचारियों की सेवा समाप्त तथा 6 माह के कारावास का प्रावधान है. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने नर्सिंग ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश जाट को याचिका में अनावेदक बनाने के निर्देश जारी किये.
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नर्सिंग ऑफिसर एसोसिएशन अध्यक्ष को नोटिस : युगलपीठ ने सरकार को निर्देशित किया कि वह एसोसिएशन के अध्यक्ष को जारी नोटिस को आज ही तामील करवाएं. इसके अलावा 24 घंटे में हड़तालरत नर्सों के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करें. याचिका पर मंगलवार को हुई याचिकाकर्ता की तरफ से एसोसिएशन के अध्यक्ष ने युगलपीठ के समक्ष पेश होते हुए अंडरटेकिंग पेश की. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता दिनेष उपाध्याय ने पैरवी की.