जबलपुर। आरक्षक पति के लापता होने के 10 साल बाद पत्नी ने साल 2022 में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की. इस पर सुनवाई करने के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को बताया गया कि उसके पति का मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी हो गया है. इसके अलावा याचिकाकर्ता पेंशन का लाभ ले रही है. उसके पुत्र ने भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने याचिका को खारिज किये जाने के आदेश को वापस लेने के लिए दायर आवेदन को खारिज कर दिया.
आरक्षक के खिलाफ विभागीय जांच : गौरतलब है कि पन्ना जिले के शाहनगर निवासी गीता तिवारी की तरफ से दायर की गयी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया था कि उसके पति राजेन्द्र तिवारी पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पदस्थ थे. उसके पति मार्च 2012 को लापता हो गये थे, जिनका अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है. पति के लापता होने की रिपोर्ट उसके द्वारा उसी दिन पुलिस में दर्ज करवाई गयी थी. याचिका की तरफ से पेश किये गये जवाब में बताया गया कि कर्तव्यों में लापरवाही, गोपनीय सूचना सार्वजनिक करने तथा अनधिकृत अनुपस्थिति के कारण आरक्षण राजेन्द्र तिवारी के खिलाफ जून 2011 में विभागीय जांच के आदेश जारी किये गये थे.
पुलिस ने काफी तलाशा : यह भी बताया कि विभागीय जांच के दौरान भी वह अनुपस्थित रहा. उसकी तलाश के लिए पुलिस विभाग द्वारा पम्पलैट वितरित किये गये तथा सभी जिलों में उसके गुमशुदा होने के संबंध में प्रकाशन भी करवाया गया. साक्षियों के बयान दर्ज करने के बाद उसके गुमशुदा होने के संबंध में राजपत्र में प्रकाशन भी करवाया गया था. विभागीय जांच में दोषी पाये जाने पर उसे अनिर्वाय सेवानिवृत्ति से दंडित किया गया था. 7 साल तक सुराग नहीं मिलने पर सितंबर 2019 को उसका मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया था.
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बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका : याचिकाकर्ता द्वारा पेंशन का लाभ लिया जा रहा है तथा उसके पुत्र ने भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. हाईकोर्ट ने मृत्यु प्रमाण जारी होने के कारण दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण को 24 फरवरी 2023 को खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज किये जाने के संबंध में पारित आदेश को वापस लेने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद पूर्व में पारित आदेश को उचित ठहराते हुए आवेदन को खारिज कर दिया.