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MP High Court News आदेशों का पालन करने के लिए दिया 1 सप्ताह का समय, भ्रूण परीक्षण केस में 2-2 साल की सजा

मध्यप्रदेश की जबलपुर हाईकोर्ट और ग्वालियर खंडपीठ ने तीन मामलों में सुनवाई करते हुए निर्णय सुनाए हैं. पहले मामले में जबलपुर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश का पालन करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है. इसमें याचिकाकर्ता ने अपराधिक मामलों में पोस्टमॉर्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट की टाइप एवं डिजिटल कॉपी उपलब्ध कराने की मांग की थी. दूसरे अंक घोटाले मामले में अदालत ने ठेका कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इसी तरह ग्वालियर में भ्रूण परीक्षण मामले में अदालत ने 2-2 की सजा सुनाई है. (MP High Court News)

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आदेशों का पालन करने के लिए हाईकोर्ट ने दिया 1 सप्ताह का समय
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Published : Jan 3, 2023, 7:23 PM IST

जबलपुर। उच्च न्यायालय ने अपराधिक प्रकरणों में पोस्टमॉर्टम व फॉरेसिंक रिपोर्ट की टाइप तथा डिजिटल कॉपी न्यायालय में उपलब्ध करवाने के लिए मॉड्यूल तैयार करने के सरकार को निर्देश जारी किये थे. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को याचिका की सुनवाई के दौरान बताया गया कि आदेश का पालन अभी तक नहीं किया गया है. सरकार की ओर से पालन करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया था. जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की है.(HC given 1 week time to follow orders)

हस्तलिपि स्पष्ट नहीं होतीः अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि मेडिको लीगल प्रकरण में पोस्टमॉर्टम,फॉरेंसिक सहित अन्य रिपोर्ट हस्तलिपि होती है. हस्तलिपि स्पष्ट नहीं होने के कारण उसे ठीक से पढ़ा नहीं जा सकता है. न्यायालय में प्रकरण की सुनवाई के दौरान मेडिको लीगल रिपोर्ट अहम साक्ष्य होता है. हस्तलिपि स्पष्ट नहीं होने के कारण रिपोर्ट के अर्थ का अनर्थ निकाल कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है. जिसका लाभ अभियुक्तों को मिलता है. याचिका में राहत चाही गयी थी कि मेडिको व फॉरेंसिक सहित अन्य रिपोर्ट टाइप तथा डिजिटल माध्यम से न्यायालय में पेश की जायें. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा गया था कि वेव सर्वर पर डॉक्टरों के डिजिटल हस्ताक्षर सहित रिपोर्ट उपलब्ध करवाने सरकार मॉड्यूल तैयार करें. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि अभी तक पूर्व में पारित आदेश का पूर्णता पालन नहीं किया गया है. जिसके बाद सरकार ने आदेश का पालन करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया. युगलपीठ ने सरकार को एक सप्ताह का समय प्रदान किया है. (Handwriting is not clear)

हाईकोर्ट ने शिवपुरी कलेक्टर को लगाई फटकार, कहा आप कलेक्टर हैं, जिले के राजा नहीं

अंक घोटाले मामले में ठेका कंपनी को राहतः एक अन्य केस में मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में हुए अंक घोटाले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा ब्लैक लिस्ट किये जाने के खिलाफ ठेका कंपनी ने याचिका दायर कर चुनौती दी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को बताया गया कि जांच के लिए गठित कमेटी ने कंपनी पर लगे आरोपों को सही नहीं पाया है. युगलपीठ ने मेडिकल यूनिवर्सिटी के अधिवक्ता को आदेशित किया है कि वह निर्देश लेकर बताये कि ठेका कंपनी को ब्लैक लिस्ट किन कारणों से किया गया है. (Relief to contracting company case of digit scam)

दायर की गईं थी 3 जनहित याचिकाएंः मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में हुई अंक घोटाले,आर्थिक अनियमिकताओं,भ्रष्टाचार को चुनौती देते हुए तीन जनहित याचिकाएं दायर की गईं थी. मेडिकल विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा हटाने जाने के खिलाफ 3 अधिकारियों तथा ब्लैक लिस्ट किए जाने के खिलाफ माइंड लॉजिक कंपनी ने याचिका दायर की थी. इसके अलावा तत्कालिन प्रभावी कुलसचिव के खिलाफ राज्य सरकार की तरफ से याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि सरकार के आदेश में तत्कालीन प्रभारी कुलसचित डॉ. जेके गुप्ता ने जांच की थी. जांच में पाया गया था कि परीक्षा के आयोजन तथा मार्कशीट तैयार करने वाली ठेका कंपनी माइंट लॉजिट इंफ्रो ने परिक्षार्थियों के नंबर में फेरबदल किया है. इसके अलावा छात्रों का डेटा एमयू की ऑफिशियल साइट नहीं बल्कि निजी साइट में तैयार किया गया था. जांच के बाद उक्त कंपनी को निलंबित कर दिया गया है. (3 pils were filed)

भ्रूण परीक्षण करने पर 2-2 साल की सजाः मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने शहर के विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के सरस्वती नगर इलाके में एक महिला का भ्रूण परीक्षण करने के मामले में निजी अस्पताल में काम करने वाली नर्स प्रियंका नरवरिया और सोनोग्राफी से महिला का परीक्षण करने वाले कपिल पांडे को दो-दो साल की सजा से दंडित किया है. उन पर 24 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है. पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट कमेटी को पता चला था कि कपिल पांडे सरस्वती नगर में सोनोग्राफी मशीन से महिलाओं के गर्भस्थ शिशु की पहचान करता है. इसके एवज में वह गर्भस्थ महिला से हजारों की राशि वसूलता है. पूरे मामले की पुख्ता जानकारी के लिए प्रशासन की देखरेख में एक स्टिंग ऑपरेशन का प्लान बनाया गया था. इसी सिलसिले में कमेटी ने एक महिला को गर्भवती बताकर निजी नर्सिंग होम में काम करने वाली प्रियंका नरवरिया के पास भेजा था.प्रियंका नरवरिया ने महिला को आश्वस्त किया था कि वह उसका भ्रूण लिंग परीक्षण करवा देगी. इसके एवज में उसने साढे़ आठ हजार रुपए वसूले थे. इस महिला को 25 अप्रैल 2014 को सरस्वती नगर में कपिल पांडे के ठिकाने पर बुलाया गया था. कपिल पांडे ने इस महिला का भ्रूण परीक्षण किया. इसी दौरान पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट की कमेटी ने वहां छापा मार दिया. मौके से कमेटी के सदस्यों को इस बात के प्रमाण मिले थे कि महिला का पैसे लेकर भ्रूण परीक्षण किया गया है. (2 year sentence in embryo test case)

जबलपुर। उच्च न्यायालय ने अपराधिक प्रकरणों में पोस्टमॉर्टम व फॉरेसिंक रिपोर्ट की टाइप तथा डिजिटल कॉपी न्यायालय में उपलब्ध करवाने के लिए मॉड्यूल तैयार करने के सरकार को निर्देश जारी किये थे. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को याचिका की सुनवाई के दौरान बताया गया कि आदेश का पालन अभी तक नहीं किया गया है. सरकार की ओर से पालन करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया था. जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की है.(HC given 1 week time to follow orders)

हस्तलिपि स्पष्ट नहीं होतीः अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि मेडिको लीगल प्रकरण में पोस्टमॉर्टम,फॉरेंसिक सहित अन्य रिपोर्ट हस्तलिपि होती है. हस्तलिपि स्पष्ट नहीं होने के कारण उसे ठीक से पढ़ा नहीं जा सकता है. न्यायालय में प्रकरण की सुनवाई के दौरान मेडिको लीगल रिपोर्ट अहम साक्ष्य होता है. हस्तलिपि स्पष्ट नहीं होने के कारण रिपोर्ट के अर्थ का अनर्थ निकाल कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है. जिसका लाभ अभियुक्तों को मिलता है. याचिका में राहत चाही गयी थी कि मेडिको व फॉरेंसिक सहित अन्य रिपोर्ट टाइप तथा डिजिटल माध्यम से न्यायालय में पेश की जायें. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा गया था कि वेव सर्वर पर डॉक्टरों के डिजिटल हस्ताक्षर सहित रिपोर्ट उपलब्ध करवाने सरकार मॉड्यूल तैयार करें. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि अभी तक पूर्व में पारित आदेश का पूर्णता पालन नहीं किया गया है. जिसके बाद सरकार ने आदेश का पालन करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया. युगलपीठ ने सरकार को एक सप्ताह का समय प्रदान किया है. (Handwriting is not clear)

हाईकोर्ट ने शिवपुरी कलेक्टर को लगाई फटकार, कहा आप कलेक्टर हैं, जिले के राजा नहीं

अंक घोटाले मामले में ठेका कंपनी को राहतः एक अन्य केस में मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में हुए अंक घोटाले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा ब्लैक लिस्ट किये जाने के खिलाफ ठेका कंपनी ने याचिका दायर कर चुनौती दी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को बताया गया कि जांच के लिए गठित कमेटी ने कंपनी पर लगे आरोपों को सही नहीं पाया है. युगलपीठ ने मेडिकल यूनिवर्सिटी के अधिवक्ता को आदेशित किया है कि वह निर्देश लेकर बताये कि ठेका कंपनी को ब्लैक लिस्ट किन कारणों से किया गया है. (Relief to contracting company case of digit scam)

दायर की गईं थी 3 जनहित याचिकाएंः मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में हुई अंक घोटाले,आर्थिक अनियमिकताओं,भ्रष्टाचार को चुनौती देते हुए तीन जनहित याचिकाएं दायर की गईं थी. मेडिकल विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा हटाने जाने के खिलाफ 3 अधिकारियों तथा ब्लैक लिस्ट किए जाने के खिलाफ माइंड लॉजिक कंपनी ने याचिका दायर की थी. इसके अलावा तत्कालिन प्रभावी कुलसचिव के खिलाफ राज्य सरकार की तरफ से याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि सरकार के आदेश में तत्कालीन प्रभारी कुलसचित डॉ. जेके गुप्ता ने जांच की थी. जांच में पाया गया था कि परीक्षा के आयोजन तथा मार्कशीट तैयार करने वाली ठेका कंपनी माइंट लॉजिट इंफ्रो ने परिक्षार्थियों के नंबर में फेरबदल किया है. इसके अलावा छात्रों का डेटा एमयू की ऑफिशियल साइट नहीं बल्कि निजी साइट में तैयार किया गया था. जांच के बाद उक्त कंपनी को निलंबित कर दिया गया है. (3 pils were filed)

भ्रूण परीक्षण करने पर 2-2 साल की सजाः मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने शहर के विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के सरस्वती नगर इलाके में एक महिला का भ्रूण परीक्षण करने के मामले में निजी अस्पताल में काम करने वाली नर्स प्रियंका नरवरिया और सोनोग्राफी से महिला का परीक्षण करने वाले कपिल पांडे को दो-दो साल की सजा से दंडित किया है. उन पर 24 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है. पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट कमेटी को पता चला था कि कपिल पांडे सरस्वती नगर में सोनोग्राफी मशीन से महिलाओं के गर्भस्थ शिशु की पहचान करता है. इसके एवज में वह गर्भस्थ महिला से हजारों की राशि वसूलता है. पूरे मामले की पुख्ता जानकारी के लिए प्रशासन की देखरेख में एक स्टिंग ऑपरेशन का प्लान बनाया गया था. इसी सिलसिले में कमेटी ने एक महिला को गर्भवती बताकर निजी नर्सिंग होम में काम करने वाली प्रियंका नरवरिया के पास भेजा था.प्रियंका नरवरिया ने महिला को आश्वस्त किया था कि वह उसका भ्रूण लिंग परीक्षण करवा देगी. इसके एवज में उसने साढे़ आठ हजार रुपए वसूले थे. इस महिला को 25 अप्रैल 2014 को सरस्वती नगर में कपिल पांडे के ठिकाने पर बुलाया गया था. कपिल पांडे ने इस महिला का भ्रूण परीक्षण किया. इसी दौरान पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट की कमेटी ने वहां छापा मार दिया. मौके से कमेटी के सदस्यों को इस बात के प्रमाण मिले थे कि महिला का पैसे लेकर भ्रूण परीक्षण किया गया है. (2 year sentence in embryo test case)

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