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MP High Court निजी मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों की फीस कम करने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नेशनल मेडिकल कमीशन व राज्य सरकार के उस आदेश को स्थगित कर दिया, जिसके तहत निजी मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर फीस कम कर दी गई थी. चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने चिकित्सा शिक्षा विभाग संचालक से इस मामले पर जवाब तलब किया है. अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी. MP High court news, Ban on reducing fees, Private medical colleges, Medical Education Department

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निजी मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों की फीस कम करने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
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Published : Sep 23, 2022, 11:53 AM IST

Updated : Sep 23, 2022, 12:54 PM IST

जबलपुर। निजी मेडिकल कॉलेजों की एसोसिएशन की ओर से यह याचिका दायर की गई. वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कोर्ट को बताया कि नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने फरवरी 2022 में एक आदेश जारी कर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए दिशा-निर्देश जारी किए. इन दिशा-निर्देशों के तहत प्रावधान किया गया कि निजी मेडिकल कॉलेजों में 50 फीसदी सीटों की फीस सरकारी मेडिकल कॉलेजों के समान रखी जाए.

दो माह पहले जारी हआ था आदेश : 20 जुलाई 2022 को चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक ने आदेश जारी कर कहा था कि 2022-23 के सत्र से ही उक्त दिशा-निर्देश लागू होंगे. वरिष्ठ अधिवक्ता नागरथ ने कहा कि यह नियम असंवैधानिक है. मध्यप्रदेश में निजी मेडिकल कॉलेजों मे सरकारी कोटा नहीं है. जबकि उक्त प्रावधान केवल उन राज्यों में लागू होना चाहिए, जहां निजी मेडिकल कॉलेजों में सरकारी कोटा भी हो. उन्होंने तर्क दिया कि निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस फीस नियामक कमेटी करती है.

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निजी कॉलेजों में फीस छह से सात गुना : उन्होंने बताया कि हर कॉलेज को मिलने वाली फीस तय होती है, जो प्रत्येक छात्र में बांट कर वसूली जाती है. निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस लगभग 7-8 लाख रुपये है. जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेज में फीस लगभग 1 लाख रु से भी कम है. उक्त प्रावधान के चलते निजी कॉलेजों के आधे छात्रों की फीस बहुत कम हो जायेगी. इससे उनकी अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और वे कॉलेज नहीं चला पाएंगे. लिहाजा, इस प्रावधान को स्थगित किया जाए. सुनवाई के बाद कोर्ट ने उक्त प्रावधान पर रोक लगा दी. MP High court news, Ban on reducing fees, Private medical colleges

जबलपुर। निजी मेडिकल कॉलेजों की एसोसिएशन की ओर से यह याचिका दायर की गई. वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कोर्ट को बताया कि नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने फरवरी 2022 में एक आदेश जारी कर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए दिशा-निर्देश जारी किए. इन दिशा-निर्देशों के तहत प्रावधान किया गया कि निजी मेडिकल कॉलेजों में 50 फीसदी सीटों की फीस सरकारी मेडिकल कॉलेजों के समान रखी जाए.

दो माह पहले जारी हआ था आदेश : 20 जुलाई 2022 को चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक ने आदेश जारी कर कहा था कि 2022-23 के सत्र से ही उक्त दिशा-निर्देश लागू होंगे. वरिष्ठ अधिवक्ता नागरथ ने कहा कि यह नियम असंवैधानिक है. मध्यप्रदेश में निजी मेडिकल कॉलेजों मे सरकारी कोटा नहीं है. जबकि उक्त प्रावधान केवल उन राज्यों में लागू होना चाहिए, जहां निजी मेडिकल कॉलेजों में सरकारी कोटा भी हो. उन्होंने तर्क दिया कि निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस फीस नियामक कमेटी करती है.

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निजी कॉलेजों में फीस छह से सात गुना : उन्होंने बताया कि हर कॉलेज को मिलने वाली फीस तय होती है, जो प्रत्येक छात्र में बांट कर वसूली जाती है. निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस लगभग 7-8 लाख रुपये है. जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेज में फीस लगभग 1 लाख रु से भी कम है. उक्त प्रावधान के चलते निजी कॉलेजों के आधे छात्रों की फीस बहुत कम हो जायेगी. इससे उनकी अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और वे कॉलेज नहीं चला पाएंगे. लिहाजा, इस प्रावधान को स्थगित किया जाए. सुनवाई के बाद कोर्ट ने उक्त प्रावधान पर रोक लगा दी. MP High court news, Ban on reducing fees, Private medical colleges

Last Updated : Sep 23, 2022, 12:54 PM IST
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