जबपपुर। एमपी में बजट के पैसे को खर्च करने के लिए सरकार को पैसा जुटाना होगा. इसके लिए 195180 करोड़ रुपया पिछले साल राजस्व प्राप्ति और से मिला था राजस्व प्राप्तियों में राज्य के स्वयं के टैक्स और बिना टैक्स के कुछ संसाधनों से 86478 करोड़ों रुपया प्राप्त हुआ था. इसी तरीके से केंद्रीय करों में प्रदेश की हिस्सेदारी 64107 करोड़ अनुमानित है. केंद्र सरकार से अनुदान के रूप में लगभग 44595 करो रुपए मिलेगा. इस तरीके से जगदीश देवड़ा को अनुमान है कि, पिछले साल की तुलना में इस साल 13% अधिक पैसा उनके पास होगा. इसीलिए उन्होंने 314000 करोड़ का बजट पेश किया है.
आर्थिक संकट बढ़ेगा: बीते साल मध्यप्रदेश में आर्थिक संकट रहा और सरकार बाजार से पैसा उधार लेती रही. यदि इस आर्थिक संकट को खत्म करना था तो राज्य के खजाने में कोई नया पैसा आने का रास्ता बनाया जाना चाहिए था, लेकिन बजट में कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया और ना ही किसी पुराने टैक्स को बढ़ाया गया. दूसरी ओर कई नई ऐसी योजनाएं जिनमें पैसा केवल खर्च होगा. उनको तरजीह दी गई है तो फिर यह समझ में नहीं आ रहा है कि, आर्थिक सशक्तिकरण कहां से होगा.
टैक्सपेयर को घाटा: चुनाव पास में है इसलिए यह उम्मीद तो थी कि सरकार कोई नया टैक्स नहीं लगाएगी और डायरेक्ट बेनिफिट बाली स्कीमों पर ज्यादा पैसा खर्च किया जाएगा. राजनीति के हिसाब से यह सही है. लेकिन प्रदेश की आर्थिक हालात को मजबूत करने वाला नहीं है. एक बात स्पष्ट है कि सरकार जेब से कुछ खर्च नहीं करती इसलिए कुल मिलाकर जेब टैक्सपेयर की ही कटेगी.