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यहां लगता है रिश्तों वाला अनोखा मेला, अनजाने लोग होते हैं शामिल, फिर ऐसे बन जाते हैं रिश्ते - BURHANPUR TADVI BHIL SOCIETY FAIR

बुरहानपुर के शाहपुर क्षेत्र में एक अनोखा मेला लगता है, जहां वैवाहिक रिश्ते तय होते हैं. इसलिए इसको रिश्तों का मेला कहा जाता है.

BURHANPUR FAIR MARRIAGE fixed
युवक-युवतियों में तय होते हैं वैवाहित रिश्ते (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 1, 2025, 7:03 PM IST

बुरहानपुर: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में एक अनोखा मेला लगता है, जहां वैवाहिक रिश्ते तय होते हैं. इस मेले में शामिल होने वाले लोग एक दूसरे से अनजान होते हैं, लेकिन लौटते वक्त ज्यादातर लोग एक दूसरे से जान पहचान के साथ-साथ वैवाहिक रिश्ते तय करके जाते हैं. यह मेला हर साल आयोजित होता है और यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. मेले में मध्य प्रदेश के बुरहानपुर, खरगोन, खंडवा सहित महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिलों जलगांव, भुसावल से भी लोग शामिल होते हैं.

हजरत चांदशा वली दरगाह पर लगता है मेला

बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर शाहपुर क्षेत्र में भावसा गांव स्थित है. यहां हर साल 1 जनवरी को हजरत चांदशा वली दरगाह पर मेला (उर्स) लगता है. यह कोई सामान्य मेला नहीं है. इस मेले में लोगों के वैवाहिक रिश्ते तय होते हैं. इसलिए इसको रिश्तों का मेला भी कहा जाता है.

उर्स में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र तक से आते हैं लोग (ETV Bharat)

यहां मध्य प्रदेश सहित महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिलों से भी तड़वी समाज के लोग पहुंचते हैं. इस दिन यहां हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी देखने को मिलती है. दोनों समुदायों के लोग मिलकर हजरत चांदशा वली की दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं और तड़वी भील समाज की खुशियों में शामिल होते हैं.

शादी के लिए एक दूसरे को पसंद करते हैं युवक-युवतियां

उर्स के दिन तड़वी भील समाज के लोग अपने घरों में मीठा चावल बनाते हैं, जिसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. लोग अपने रिश्तेदारों को विशेष आमंत्रण देते हैं और करीब 1 पखवाड़े पहले से ही इसकी तैयारियां शुरू कर देते हैं.

मेले में जहां युवक और युवतियां एक दूसरे को पसंद करके सात जन्मों के बंधन में बंधने का निर्णय लेते हैं वहीं, सामान्य मेले की तरह यहां खिलौने से लेकर खाने-पीने तक की दुकानें सजती हैं. बच्चों से लेकर बूढ़ों तक इस मेले का खूब आनंद लेते हैं. आपको बता दें कि बुरहानपुर के करीब 54 गांवों में तड़वी भील समाज के लोग निवास करते हैं. इनकी कुल आबादी 35 हजार से ज्यादा है.

बुरहानपुर: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में एक अनोखा मेला लगता है, जहां वैवाहिक रिश्ते तय होते हैं. इस मेले में शामिल होने वाले लोग एक दूसरे से अनजान होते हैं, लेकिन लौटते वक्त ज्यादातर लोग एक दूसरे से जान पहचान के साथ-साथ वैवाहिक रिश्ते तय करके जाते हैं. यह मेला हर साल आयोजित होता है और यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. मेले में मध्य प्रदेश के बुरहानपुर, खरगोन, खंडवा सहित महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिलों जलगांव, भुसावल से भी लोग शामिल होते हैं.

हजरत चांदशा वली दरगाह पर लगता है मेला

बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर शाहपुर क्षेत्र में भावसा गांव स्थित है. यहां हर साल 1 जनवरी को हजरत चांदशा वली दरगाह पर मेला (उर्स) लगता है. यह कोई सामान्य मेला नहीं है. इस मेले में लोगों के वैवाहिक रिश्ते तय होते हैं. इसलिए इसको रिश्तों का मेला भी कहा जाता है.

उर्स में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र तक से आते हैं लोग (ETV Bharat)

यहां मध्य प्रदेश सहित महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिलों से भी तड़वी समाज के लोग पहुंचते हैं. इस दिन यहां हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी देखने को मिलती है. दोनों समुदायों के लोग मिलकर हजरत चांदशा वली की दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं और तड़वी भील समाज की खुशियों में शामिल होते हैं.

शादी के लिए एक दूसरे को पसंद करते हैं युवक-युवतियां

उर्स के दिन तड़वी भील समाज के लोग अपने घरों में मीठा चावल बनाते हैं, जिसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. लोग अपने रिश्तेदारों को विशेष आमंत्रण देते हैं और करीब 1 पखवाड़े पहले से ही इसकी तैयारियां शुरू कर देते हैं.

मेले में जहां युवक और युवतियां एक दूसरे को पसंद करके सात जन्मों के बंधन में बंधने का निर्णय लेते हैं वहीं, सामान्य मेले की तरह यहां खिलौने से लेकर खाने-पीने तक की दुकानें सजती हैं. बच्चों से लेकर बूढ़ों तक इस मेले का खूब आनंद लेते हैं. आपको बता दें कि बुरहानपुर के करीब 54 गांवों में तड़वी भील समाज के लोग निवास करते हैं. इनकी कुल आबादी 35 हजार से ज्यादा है.

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