जबलपुर। देश की गंगा नदी जिस तरह से प्रदूषित हुई है, उस प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार गंगा नदी के किनारे प्राकृतिक खेती कर रही है. अब उसी तर्ज पर नर्मदा नदी के किनारे मध्यप्रदेश सरकार भी प्राकृतिक खेती कराए जाने की तैयारी में है. इसको लेकर कृषि विभाग का अमला जुट गया है. संभव है कि आगामी बजट में इसके लिए शासन राशि का प्रावधान भी कर सकती है. लिहाजा, कृषि विभाग में डीपीआर तैयार करके सरकार के पास भेजने की तैयारी भी कर ली है. (mp government narmada river project)
नर्मदा के किनारे तेजी से बढ़ रही बसाहट
देश की बड़ी नदियों के दोनों किनारों पर तेजी से बसाहट होती और कटते जंगल से पर्यावरण के लिहाज से बड़ा संकट बनकर धीरे-धीरे सामने आ रहा है. चाहे गंगा नदी हो या फिर नर्मदा या फिर सरस्वती हर नदी के किनारे तेजी से आबादी बढ़ रही है. इसके चलते नदियों में मिट्टी के कटाव की समस्या बढ़ी है. वहीं इनमें बढ़ते प्रदूषण से जल जीवन पर भी बुरा असर पड़ा है. भारत सरकार की ओर से गंगा नदी के दोनों ओर प्राकृतिक खेती के लिए योजना बनाई गई है. इसी तर्ज पर मध्य प्रदेश कृषि विभाग ने भी नर्मदा के किनारे नवाचार की दिशा में आगे बढ़ रही है. कृषि विभाग ने नर्मदा किनारे प्राकृतिक खेती के लिए डीपीआर तैयार किया है, जिसे राज्य शासन को भेजा जा चुका है. (organic farming in mp)
कृषि विभाग ने इस तरह की तैयारी
सरकार और कृषि विभाग की तैयारी है कि नर्मदा नदी के दोनों किनारों पर 5-5 किलोमीटर के दायरे में प्राकृतिक और गैर परंपरागत खेती को बढ़ावा देने, लोगों को बागवानी के लिए फलदार वृक्षों का रोपण करने और पशुपालन के लिए कृषि विभाग प्रेरित कर रहा है. इसी तरह से मसाला उद्योग लगाने की सलाह भी किसानों को दी जाएगी. साथ ही किसान चाहे तो अच्छी सब्जियों को भी नर्मदा किनारे लगा सकते हैं. कृषि विभाग के डीपीआर में प्रस्तावित है कि नर्मदा किनारे बांस की खेती से उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा. (mp government organic farming project)
प्राकृतिक खेती से यह होगा फायदा
नर्मदा नदी के दोनों तरफ प्राकृतिक खेती होती है, तो फिर फलदार मसालों के अलावा शुद्ध सब्जियां फूलों के पेड़ लगाए जाने से नदी के किनारे मिट्टी का कटाव भी रुकेगा. वहीं परंपरागत खेती होने से मिट्टी को भी उर्वर करने में मदद मिलेगी. नर्मदा नदी के तटों पर जहां-जहां गोवंश पाला जाएगा, वहां-वहां गोबर और गोमूत्र से भूमि में औषधीय तत्व की मात्रा भी बढ़ेगी. गोबर से जैविक खाद का भी निर्माण हो सकेगा. वहीं नर्मदा नदी के किनारे सिर्फ गोवंश के गोबर के साथ ही पेड़ पौधों के फूल पत्ती की प्राकृतिक खाद का उपयोग किया जाएगा. (cow shelter on narmada river)
साधु संतों ने किया स्वागत
नर्मदा नदी के दोनों किनारों पर प्राकृतिक खेती की तैयारी मध्य प्रदेश सरकार कर रही है. जबलपुर सहित आसपास के जितने भी जिले नर्मदा नदी के किनारे हैं. उन तमाम जिलों में भी प्राकृतिक खेती की तैयारी की योजना बढ़ रही है. वहीं मध्य प्रदेश सरकार के इस प्रयास को साधु संतों ने भी तारीफ की है. संत मुकुंद दास महाराज ने मध्य प्रदेश सरकार के इस प्रयास की सराहना की है. साथ ही कहा कि सरकार के इस प्रयास से न सिर्फ नर्मदा नदी बचेगी. बल्कि आसपास बढ़ती बसाहट और कटाव पर भी रोक लगेगी.
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बात करें अगर जबलपुर जिले की तो कृषि विभाग की ओर से इसका सर्वे करवाया गया है. जानकारी के मुताबिक जबलपुर के पाटन और शहपुरा जनपद से ही 106 गांव नर्मदा के दोनों किनारों पर स्थित हैं. इन गांवों में किसानों को गैर परंपरागत खेती के लिए प्रेरित करने की योजना कृषि विभाग बना रहा है.
मध्य प्रदेश के किन जिलों से गुजरती है नर्मदा नदी
नर्मदा नदी की कुल लंबाई 1312 किलोमीटर है. इसमें से 1077 किलोमीटर मध्य प्रदेश से बहती है. मध्य प्रदेश के अनूपपुर, डिंडौरी, मंडला, जबलपुर, नरसिंहपुर, नर्मदापुरम, हरदा, देवास, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, धार, अलीराजपुर, झाबुआ, सहित कई अन्य जिले इस योजना में शामिल होंगे.