जबलपुर। विश्वप्रसिद्ध पर्यटन केंद्र भेड़ाघाट, धुआंधार और पंचवटी की संगमरमरी वादियों की प्राकृतिक खूबसूरती के साथ ही यहां की मूर्ति कला भी सैलानियों को लुभाती है. संगमरमर से बनी ये मूर्तियां इतनी आकर्षक होती हैं कि देश-विदेश से आने वाले सैलानी इन्हें खरीदे बिना नहीं लौटते.
ये मूर्तियां धर्म, संस्कृति के साथ कला का भी एहसास कराती हैं. संस्कारधानी कल्चुरी और गोंडवाना काल की समृद्ध कला की विरासत है. भेड़ाघाट में करीब 150 परिवारों ने इस विरासत को आज भी जिंदा रखा है. वे घरों में प्रतिमाएं गढ़ते हैं और दुकानों तक पहुंचाते हैं. यहां छोटी से लेकर बड़े आकार की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं.
संगमरमर से बनी मूर्तियों का आकर्षण ऐसा है कि शहर की दुकानों में भी इनकी खासी डिमांड है. चमन कौड़ी लाल राय का कहना है की जबलपुर के सॉफ्ट स्टोन की मूर्ति कला काफी अच्छी मानी जाती है. जयपुर से मकराना मार्बल की मूर्तियां मंगाई जाती हैं. उनका वजन काफी अधिक होता है.
सुविधाएं मिलने पर बढ़ेगा निर्यात
भेड़ाघाट की मूर्तियां देश-विदेशों में निर्यात की जाती हैं. राज्य के मंदिरों में लगाई जाने वाली मूर्तियां भी जबलपुर में बनाई जा रही हैं. प्राचीन काल से ही यहां की शिल्पकला की डिमांड है. इसी के चलते शिल्पियों को पर्याप्त स्टोन मुहैया कराने की जरूरत है. सॉफ्ट स्टोन मिलने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम वजन की मूर्तियों का निर्यात किया जा सकता है.