जबलपुर। मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने नर्सिंग कॉलेज संचालित करने वाले 14 कालेजों प्री 2020 और 21 की संबद्धता को खत्म कर दिया हैय मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल ने बताया कि 2020-21 सत्र में इन कॉलेज में एडमिशन लेने वाले 602 छात्रों को भी अब परीक्षा देने का मौका नहीं मिलेगा. इसमें बीएससी नर्सिंग के 508 छात्र और पोस्ट बेसिक नर्सिंग के साथ और 34 एमएससी नर्सिंग के छात्र शामिल हैं. मेडिकल यूनिवर्सिटी भिंड के चार, ग्वालियर के 9 और शिवपुर के एक कॉलेज की संबद्धता समाप्त की गई है.
मनमानी तरीके से खोले कॉलेज : दरअसल, 2020 में अचानक 200 नए नर्सिंग कॉलेज खोले गए थे और इनको मेडिकल यूनिवर्सिटी की तरफ से ही मान्यता दे दी गई थी. इन कॉलेजों के पास ना तो पढ़ाने के लिए पर्याप्त कक्षाएं थीं और ना शिक्षक थे. यह मुद्दा जबलपुर के एक समाजसेवी संगठन ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के सामने एक जनहित याचिका के माध्यम से रखा. हाईकोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों की जांच के आदेश सीबीआई को दिए थे. सीबीआई के साथ जनहित याचिकाकर्ता विशाल बघेल भी जांच करवा रहे हैं. इसकी रिपोर्ट बीते दिनों मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सौंपी गई थी.
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हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती : हाईकोर्ट ने फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को बंद करने के आदेश दिए थे. इसी के बाद इन 14 कॉलेजों को बंद किया गया है. फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद से अब तक 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द की जा चुकी है और अभी भी लगभग 50 नर्सिंग कॉलेज रडार पर हैं, जिन्हें कभी भी बंद करने के आदेश दिए जा सकते हैं. इन्हीं फर्जी कॉलेजों की वजह से नर्सिंग की पढ़ाई करने वाले लगभग 50 हजार छात्र-छात्राओं को अब तक फर्स्ट ईयर की परीक्षा देने का मौका भी नहीं मिल पाया है. जबकि यदि सत्र सही तरीके से चलता तो ये छात्र अपना कोर्स पूरा कर चुके होते.