जबलपुर। वंडर फूड के नाम से जाना-जाने वाला अलसी पूरे भारत में जितना उगाया जाता है, उसका 50 फीसदी हिस्सा केवल मध्य प्रदेश में होता है, लेकिन विडंबना यह है कि अलसी का समर्थन मूल्य तय नहीं है और ना ही सरकार खरीदी करती है. लिहाजा किसानों को इसका सही दाम नहीं मिल पाता है.
सागर में अलसी पर शोध चल रहा
सागर कृषि विज्ञान केंद्र के पास केंद्र सरकार की ओर से एक प्रोजेक्ट है, जिसमें अलसी पर शोध किया जा रहा है. इस शोध में देश भर की अलसी की प्रजातियां को यहां इकट्ठा किया गया है. इससे कुछ नया बनाने की कोशिश की जा रही है. इस कोशिश में लगे वैज्ञानिक का कहना है कि अलसी सचमुच में एक वंडर फूड है. अलसी के औषधीय गुण किसी से छुपे हुए नहीं हैं. इसमें ओमेगा प्रोटीन पाया जाता है, जो हृदय के लिए सबसे अच्छा माना जाचा है. इसमें ऑयल और फाइबर भरपूर होता है. मतलब अलसी अपने आप में एक खाद्यान्न होने के बजाय एक दवा है.
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बिना पानी की फसल बनाने की तैयारी
वैज्ञानिकों के पास अलसी की कई प्रजातियां हैं. इनमें से एक प्रजाति जंगली अलसी की भी है. इसका उत्पादन बहुत अच्छा होता है, लेकिन इसमें कुछ खामियां भी हैं. इन्हें खत्म करके वैज्ञानिक इस तैयारी में हैं कि एक ऐसा बीज तैयार किया जाए, जिसमें कम पानी में ही अलसी की फसल उग जाए, ताकि बंजर इलाकों में या कम उपजाऊ क्षेत्रों में किसानों को एक बेहतर फसल मिल सकें. वहीं अलसी के कुछ ऐसे पौधों को तैयार किया गया है, जिनमें फाइबर है. इस फाइबर का इस्तेमाल कपड़ा बनाने के लिए किया जा सकता है, ताकि किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो सकें.
अभी भी किसानों को अलसी का सही दाम नहीं मिल पा रहा है, जबकि बाजार में अलसी के दाम 100 से 200 रुपये किलो तक बिकते हैं. किसान को मात्र 60 से 70 रुपए ही दाम मिल पा रहा है. अगर सरकार इसकी पैकिंग और ब्रांडेड में थोड़ा ध्यान दें, तो किसानों को फायदा हो सकता है.