जबलपुर: पीड़ित मजदूरों के परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो गई. मजदूरों ने डिप्टी रेंजर से कहा कि उन्हें घर जाना है इसलिए उनका हिसाब कर दें. इस पर डिप्टी रेंजर ने इनसे बदतमीजी की और इन्हें वहां से जाने के लिए कहा लेकिन बेचारे मजदूर बिना पैसे घर भी नहीं जा सकते थे, इसलिए इन्हें किसी ने सलाह दी कि कलेक्टर कार्यालय में जाकर कलेक्टर से शिकायत करें तो कलेक्टर साहब तुम्हारी मजबूरी दिलवा सकते हैं. लिहाजा यह मजदूर बीते 2 दिनों से कलेक्ट्रेट में डेरा डाले हुए हैं. यहीं पर खाना बनाते हैं और यही रह रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि "जब तक उन्हें उनकी मजदूरी नहीं मिल जाती तब तक वहां से नहीं जाएंगे."
कलेक्टर का आदेश भी नहीं माना: इन लोगों ने अपनी बात एक पत्र के माध्यम से भी कलेक्टर कार्यालय तक पहुंचाई. कलेक्ट्रेट से डिप्टी रेंजर को हिदायत दी गई कि इन मजदूरों की मजदूरी उन्हें दे दें. मजदूरों को लगा कि उनकी मेहनत रंग लाई और मजदूर वन विभाग के कार्यालय पहुंचे. यहां डिप्टी रेंजर ने उन्हें दोबारा धमकाया और कहा कि पहले उन सारे गड्ढों की जांच होगी. इसके बाद ही पैसा दिया जाएगा. जाते-जाते इन लोगों से यह भी कहा कि तुम कलेक्ट्रेट नहीं कहीं चले जाओ तुम्हें कोई पैसा नहीं दिया जाएगा.
परेशान मजदूर दोबारा कलेक्ट्रेट के सामने बने हुए गार्डन में डेरा जमा कर बैठ गए हैं. वहीं मजदूरों का कहना है कि "जब तक उन्हें पैसा नहीं मिलेगा वहां से नहीं जाएंगे. हालांकि यहां पर रुकने की व्यवस्था नहीं है और मजदूरों को बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशान होना पड़ रहा है, लेकिन मजदूर अपनी जिद पर अड़े हुए हैं.
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