जबलपुर। औद्योगिक नजरिए से जबलपुर काफी पिछड़ा हुआ है, शहर में कोई उत्पादक इकाइयां नहीं हैं. कुछ उत्पादक इकाइयां हैं लेकिन वो इंडस्ट्रियल इलाकों में है जिसके कारण शहर में औद्योगिक इकाइयों का धुआं नहीं होता है, वहीं वातावरण में थोड़ा बहुत धूल और धुआं शहर में चलने वाले वाहनों की वजह से होता है. इसी वजह से जबलपुर की आबोहवा शुद्ध है वहीं शहर के सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाले इलाके मालवीय चौक पर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का हवा में सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड जैसी खतरनाक गैसों को मापने वाला यंत्र लगा हुआ है जो ऑटोमैटिक एक डिस्प्ले बोर्ड पर इस इलाके का पॉल्यूशन इंडेक्स दिखाता है.
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक डॉ एसके खरे बताते हैं कि जो इंडेक्स डिस्प्ले बोर्ड में दिखता है वह अलग-अलग गैसों की मौजूदगी का औसत है इसकी रेटिंग जीरो से 500 तक होती है. उन्होंने बताया कि जबलपुर में यह 50 से कम है और 50 से कम रेटिंग का मतलब वातावरण शुद्ध होना है, इसे पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की पैमाने में गुड श्रेणी में रखा जाता है.
बता दें जबलपुर में आबोहवा की शुद्धता की जांच करने वाली मशीन हैं एक विजय नगर में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के ऑफिस के ठीक ऊपर रखा हुआ है, जो शहर के रहवासी इलाकों में आबोहवा की जांच करता है. और इसी तरह की एक मशीन औद्योगिक क्षेत्र अधारताल में रखी हुई है लेकिन इन तीनों मशीनों से जबलपुर की आबोहवा की कोई ऋण आत्मक खबर नहीं है.
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी एसके खरे का कहना है कि, शहर में आबोहवा ज्यादा खराब नहीं है. वहीं बारिश होने से धूल और धुआं पूरी तरह से खत्म हो गया है, इसलिए जबलपुर गुड कैटेगरी में हैं. उन्होंने बताया कि जबलपुर में सामान्य तौर पर वातावरण साफ ही रहता है.