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इंदौर मंदिर हादसे के बाद जागा प्रशासन, जबलपुर में हुई बैठक, पुराने कुएं और बावड़ियों की होगी जांच - इंदौर मंदिर हादसा

इंदौर की घटना के बाद अब प्रशासन जागा है. जबलपुर प्रशासन पुराने कुएं और बावड़ियों की जानकारी इकट्ठा करने का अभियान युद्ध स्तर पर चला रही है. जबलपुर में शहरी विकास विभाग की बैठक में बड़े फैसले लिए गए.

urban development department meeting
शहरी विकास विभाग बैठक
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Published : Apr 1, 2023, 11:17 PM IST

इंदौर मंदिर हादसे के बाद जागा प्रशासन

जबलपुर। जिले में शनिवार को शहरी विकास विभाग की एक बड़ी बैठक का आयोजन किया गया. इसमें शहरी विकास विभाग के संयुक्त संचालक और आयुक्त नगरीय प्रशासन शामिल हुए. इन वरिष्ठ अधिकारियों ने जबलपुर संभाग के शहरी इलाकों के सीएमओ और नगर निगम के अधिकारियों से प्रधानमंत्री आवास योजना स्वच्छता सर्वेक्षण कायाकल्प योजना के तहत निर्माण कार्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारी मांगी.

पुराने कुएं बावड़ी और खतरनाक इमारतें: इस बैठक में भी इंदौर में 36 लोगों की मौत का मामला छाया रहा. वरिष्ठ अधिकारियों ने तमाम नगरीय निकायों के अधिकारियों को आदेश दिया है कि ग्रामीण और शहरी इलाकों में ऐसे खतरनाक निर्माणों की जानकारी जुटाई जाएगी. इसके साथ ही पुराने कुएं और बावड़ियों की जानकारी भी ली जा रही है. इसकी मॉनिटरिंग हर रोज होगी. ऐसे निर्माण कार्य जिनकी वजह से कोई हादसा हो सकता है. यह प्रदेश भर में यह अभियान शुरू हो गया है.

बड़े निर्माण कार्यों पर पैनी नजर: नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त भरत यादव का कहना है कि 1 अप्रैल के बाद से 5000 वर्ग फीट से ज्यादा के हर निर्माण कार्य की जांच होगी. इसमें आवासीय और व्यावसायिक निर्माण दोनों ही शामिल हैं. यदि निर्माण में कोई अनियमितता पाई जाती है तो जुर्माना भी लिया जा सकता है और कंपाउंडिंग भी की जा सकती है. यदि शर्तों के मुताबिक निर्माण नहीं हुआ है तो फिर इन निर्माण कार्यों को तोड़ने की कार्रवाई भी की जाएगी.

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अवैध कॉलोनियों को वैध करने जा रही है सरकार: इस बैठक में 31 दिसंबर 2016 की स्थिति में जो अवैध कॉलोनियां थी, उनके नियमितीकरण करने की कार्रवाई की जा रही है. मई के महीने में तमाम अवैध कालोनियों को वैध करने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. भरत यादव ने बताया कि कायाकल्प योजना के तहत हर शहर को बड़ी राशि मिली है. इसके तहत जो निर्माण कार्य हुए हैं. उनकी गुणवत्ता जांचने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग बहुत अधिक सतर्क है. जिस जांच एजेंसी को सैंपल भेजा जाएगा. उसे इस बात की जानकारी नहीं दी जाएगी कि यह सैंपल कहां से लिया गया है. यदि निर्माण कार्य में थोड़ी भी लापरवाही बरती गई है तो ठेकेदार के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी.

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