जबलपुर। मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (Jabalpur Medical Science University) के कुलपति डॉक्टर टी.एन दुबे ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने प्रदेश के राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया. दरअसल मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी की कार्यशैली पर काफी लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं. छात्रों से पैसे लेकर उन्हें पास कराने की शिकायत सामने आई थी. ये भी आरोप हैं कि विश्वविद्यालय के उन छात्रों को तक पास कर दिया गया था, जिन्होंने कभी परीक्षा ही नहीं दी.
परीक्षा करवाने वाली कंपनी की शिकायत
जबलपुर की मेडिकल यूनिवर्सिटी लंबे समय से विवादों में फंसी हुई थी. मई में भोपाल के नर्सिंग एसोसिएशन की कुछ छात्राओं और एक RTI एक्टिविस्ट ने शिकायत की थी. जिसमें इस बात के सबूत दिए गए थे कि मेडिकल यूनिवर्सिटी में पैसे लेकर छात्र-छात्राओं को पास और फेल किया जा रहा है. शिकायत चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से की गई थी. जिसके बाग मंत्री विश्वास सारंग ने यूनिवर्सिटी में परीक्षा करवाने वाली कंपनी माइंड लॉजिक के खिलाफ जांच शुरू करवाई थी.
उच्च स्तरीय जांच के बाद हटाए गए अधिकारी
मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी. जिसमें यह पाया गया कि माइंड लॉजिक कंपनी ने गड़बड़ी की है, और पैसे लेकर बहुत सारे छात्रों को पास किया है. कुछ ऐसे छात्रों को भी पास किया गया, जो कभी परीक्षा में बैठे ही नहीं थे. इस जांच कमेटी के अध्यक्ष मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलसचिव जे.के गुप्ता थे. कमेटी ने अपनी जांच के बाद मेडिकल यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक डॉक्टर वृंदा सक्सेना को भी हटाने की सिफारिश की थी. इस घटनाक्रम के बाद डॉक्टर वृंदा सक्सेना और डॉक्टर तृप्ति गुप्ता को उनके पदों से हटाया गया था. डॉ तृप्ति गुप्ता मेडिकल यूनिवर्सिटी में डिप्टी रजिस्ट्रार थीं.
जांच अधिकारियों को भी हटाया
मामले की कार्रवाई आगे बढ़ती, उससे पहले ही अचानक से यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉक्टर जे.के गुप्ता को उनके पद से अलग कर दिया गया. उन पर भी यह आरोप लगा था कि उन्होंने कुछ छात्रों को पास करवाने के लिए सिफारिश की थी. अब मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉक्टर टी.एन दुबे ने इस्तीफा दे दिया है. हालांकि अभी तक इस्तीफे के पीचे कारण साफ नहीं हो पाया है.
जबलपुर:मेडिकल यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायत की जांच पूरी
90,000 छात्रों का सवाल
मेडिकल यूनिवर्सिटी से मध्य प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण पढ़ाई जुड़ी हुई है. यूनिवर्सिटी एमबीबीएस (MBBS), बीएएमएस (BAMS ), होम्योपैथिक (Homeopathic) आयुर्वेदिक यूनानी ( Ayurvedic Unani ) नर्सिंग और पैरामेडिकल का पाठ्यक्रम तय करता है और परीक्षा लेता है. बता दें कि वर्तमान में यूनिवर्सिटी से 90,000 छात्र जुड़े हुए हैं.
यूनिवर्सिटी में इस तरह का घोटाला न केवल यूनिवर्सिटी के लिए घातक है बल्कि यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है. यदि सही गुणवत्ता के साथ छात्र-छात्राएं नहीं पढ़ेंगे तो इसका नुकसान इन छात्रों के जरिए इलाज पाने वाली जनता को भी उठाना होगा.