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27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक बरकरार, 18 अगस्त को होगी अगली सुनवाई

जबलपुर हाईकोर्ट ने फिलहाल ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण पर रोक बरकरार रखी है. मामले में अगली सुनवाई 18 अगस्त होगी.

High Court
हाईकोर्ट
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Published : Jul 20, 2020, 4:39 PM IST

जबलपुर। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने फैसला दिया है. जिसमें फिलहाल ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण पर रोक बरकरार रहेगी. अब इस मामले में कोर्ट अगली सुनवाई 18 अगस्त होगी. हाईकोर्ट में आज 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण को भी लेकर सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने सवर्ण आरक्षण पर रोक बरकरार रखने से इनकार कर दिया है. वहीं अब 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर रोक लगने से राज्य की सरकारी नौकरियों में ओबीसी अभ्यर्थियों को इसका लाभ नहीं मिलेगा. बता दें कि, प्रदेश में कमलनाथ सरकार के दौरान ओबीसी आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया गया था. इसके बाद मामला हाईकोर्ट में चला गया था. याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिए गए थे कि, अगर ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है, तो ये सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी केस में दिए गए फैसले के खिलाफ होगा. इसलिए आरक्षण को बढ़ाया नहीं जा सकता है.

जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार के वकीलों ने भी ज्यादा बहस नहीं की है. वहीं कांग्रेस के नेताओं ने कोर्ट में मामले को मजबूती के साथ रखने की मांग प्रदेश सरकार से की है. फिलहाल ओबीसी का 14 प्रतिशत आरक्षण ही जारी रहेगा. हालांकि EWS के 10 प्रतिशत आरक्षण को हटाने की कोई बात नहीं की गई है.

एडवोकेट आदित्य संघी

इंदिरा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला

1992 में सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता इंदिरा साहनी की याचिका पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए जाति-आधारित आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी तय कर दी थी. याचिकाकर्ता ने इसी फैसले को आधार बनाया है.

जबलपुर। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने फैसला दिया है. जिसमें फिलहाल ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण पर रोक बरकरार रहेगी. अब इस मामले में कोर्ट अगली सुनवाई 18 अगस्त होगी. हाईकोर्ट में आज 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण को भी लेकर सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने सवर्ण आरक्षण पर रोक बरकरार रखने से इनकार कर दिया है. वहीं अब 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर रोक लगने से राज्य की सरकारी नौकरियों में ओबीसी अभ्यर्थियों को इसका लाभ नहीं मिलेगा. बता दें कि, प्रदेश में कमलनाथ सरकार के दौरान ओबीसी आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया गया था. इसके बाद मामला हाईकोर्ट में चला गया था. याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिए गए थे कि, अगर ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है, तो ये सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी केस में दिए गए फैसले के खिलाफ होगा. इसलिए आरक्षण को बढ़ाया नहीं जा सकता है.

जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार के वकीलों ने भी ज्यादा बहस नहीं की है. वहीं कांग्रेस के नेताओं ने कोर्ट में मामले को मजबूती के साथ रखने की मांग प्रदेश सरकार से की है. फिलहाल ओबीसी का 14 प्रतिशत आरक्षण ही जारी रहेगा. हालांकि EWS के 10 प्रतिशत आरक्षण को हटाने की कोई बात नहीं की गई है.

एडवोकेट आदित्य संघी

इंदिरा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला

1992 में सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता इंदिरा साहनी की याचिका पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए जाति-आधारित आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी तय कर दी थी. याचिकाकर्ता ने इसी फैसले को आधार बनाया है.

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