जबलपुर। प्रधानमंत्री पर आपत्तिजनत टिप्पणी करने वाले कांग्रेस के पूर्व मंत्री राजा पटेरिया को हाईकोर्ट से झटका लगा है. हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि निरुद्ध अवधि देखते हुए जमानत प्रदान करने से समाज में गलत संदेश जाएगा. एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को स्वतंत्रता दी है कि वह 30 दिन बाद पुनः जमानत के लिए आवेदन कर सकते है. (Big blow to raja patria)
पुलिस ने 13 दिसंबर को किया था गिरफ्तारः प्रधानमंत्री पर अशोभनीय टिप्पणी करने तथा अल्प संख्यकों को धर्म व जाति के नाम पर उकसाने के अपराध में पन्ना के पवई थाने में कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री राजा पटेरिया के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. पुलिस ने 13 दिसंबर को उन्हें गिरफ्तार किया था.पवई कोर्ट तथा ग्वालियर जिले की विशेष (एमपी-एमएलए) कोर्ट से उनकी जमानत खारिज खारिज हो गयी थी. जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली थी. (Police had arrested on december 13)
ग्वालियर बेंच ने याचिका मुख्य पीठ को ट्रांसफर कर दी थीः हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में दायर जमानत याचिका सुनवाई के लिए मुख्य पीठ में ट्रांसफर कर दी गई थी. याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ को बताया गया था कि आवेदक के खिलाफ जो धाराएं लगाई गई हैं, उसमें कोई तथ्य नहीं हैं. राजनीति और दुर्भावना के कारण उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है. जो सीडी पेश की गयी है, उसमें छेड़छाड़ की गयी है. आवेदक ने जो वक्तव्य दिया था, उसी में मंतव्य भी स्पष्ट कर दिया था. उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था. वहीं शासन की ओर से जमानत का विरोध किया गया. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. (court rejected bail plea of raja patria)
प्रधानमंत्री जैसे पद के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग ठीक नहींः एकलपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि जमानत आवेदन पर सीडी का परीक्षण व उसकी शुद्धता पर विचार करना उचित नहीं होगा. भाषण के दौरान ऐसा शब्द प्रयोग करना जो विचलित कर सकते है, आजकल फैशन बन गया है. ऐसी प्रथा न केवल छवि धूमिल कर रही है बल्कि समाज में अपराध वृद्धि का कारण बन रही है. राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री जैसे उच्च पद के नेताओं की छवि खराब करने तथा नीचा दिखाने के लिए जनता के नेता से अभद्र भाषा के प्रयोग की अपेक्षा नहीं कर सकते है. जेल में निरुद्ध अवधि को देखते हुए जमानत प्रदान करने से समाज में गलत संदेश जाएगा. (Use of foul language is not right for pm)
पूर्व बिशप पीसी सिंह की जमानत पर फैसला सुरक्षितः एक अन्य खबर के अनुसार शैक्षणिक संस्थाओं की राशि के दुरुपयोग तथा मिशन की संम्पत्ति का फर्जीवाड़ा करने के आरोप में गिरफ्तार पूर्व बिशप पीसी सिंह ने दूसरी बार जमानत के लिए हाईकोर्ट की शरण ली है. हाईकोर्ट जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. (Former Bishop PC Singh's bail verdict reserved)
करोड़ों के फर्जीवाड़े में फंसे हैं धर्मगुरुः ईओडब्लयू जबलपुर की टीम ने 8 सितंबर को ईसाई धर्मगुरु एवं पूर्व बिशप पीसी सिंह के नेपियर टाउन स्थित कार्यालय तथा घर में दबिश दी थी. दबिश के दौरान 80 लाख का सोना, 1 करोड़ 65 लाख रुपए नगद, 48 बैंक खाते, 18352 यूएस डॉलर, 118 पांउड, 9 लग्जरी गाडिय़ां, 17 संपत्तियों के दस्तावेज मिले थे. दबिश के दौरान बिशप देश के बाहर थे. ईओडब्ल्यू ने बिशप को नागपुर एयरपोर्ट से 12 सितंबर को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया था. ईओडब्लयू ने पूछताछ के लिए बिशप को चार दिन के रिमांड पर लिया था. रिमांड के दौरान उन्होंने 10 एफडी सहित 174 बैंक खातों की जानकारी दी थी. (Religious leaders are caught in the fraud of crores)