जबलपुर। एकलव्य छात्रावास में बीते दिनों दूषित खाना खाने से 100 से ज्यादा छात्र-छात्राएं बीमार हो गए थे. इस घटना के बाद जबलपुर जिला प्रशासन ने एकलव्य छात्रावास के दो अधिकारी और प्राचार्य गीता साहू को निलंबित कर दिया. लेकिन अभी भी यहां खाने की गुणवत्ता नहीं सुधरी है. एनएसयूआई के कार्यकर्ता छात्रावास में बनने वाले खाने को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे. जबलपुर एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष सचिन रजक अपने 5 साथियों के साथ सबसे पहले एकलव्य छात्रावास पहुंचे और वहां से उन्होंने छात्रों के लिए बनने वाले खाने की जांच की.
कलेक्टर से खाना खाने की मांग : इतनी बड़ी घटना घट जाने के बाद भी एकलव्य छात्रावास में खाने की गुणवत्ता नहीं सुधरी है. यहां राशन का चावल बच्चों को खिलाया जा रहा है और दाल में भी बिल्कुल गुणवत्ता नहीं है. एनएसयूआई के कार्यकर्ता इस खाने को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और इन लोगों की जिद थी कि कलेक्टर इस खाने को खाएं. हालांकि कलेक्टर तो अपने चैंबर से नहीं निकले लेकिन एनएसयूआई के नेताओं से मिलने के लिए एडीएम नाथूराम सिंह सामने आए. उन्होंने एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं की मांग और बात सुनी, लेकिन खाना खाने से मना कर दिया. जब कार्यकर्ताओं ने उनसे खाना खाने की जबरदस्ती की तो वह अंदर चले गए.
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कहां जाता है खाने का बजट : कांग्रेस के छात्र संगठन के जिला अध्यक्ष सचिन रजक का कहना है कि एकलव्य स्कूल के छात्रावास में हर छात्र के खाने के लिए लगभग सवा सौ रुपए का खर्चा रोज दिया जाता है. केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री आफ ट्राइबल अफेयर एकलव्य छात्रावास में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए प्रति छात्र ₹9 हजार हर साल खर्च करती है, लेकिन इतना पैसा खर्च करने के बाद भी छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्वक खाना नहीं दिया जाता. यह मामला और गंभीर तब हो जाता है, जब इस हॉस्टल में इतनी बड़ी घटना घटती है, जिसमें 100 से ज्यादा बच्चों की जान जोखिम में पड़ जाती है.