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Jabalpur East Assembly Seat: यहां दो पूर्व मंत्रियों के बीच दिलचस्प मुकाबला, देखिए-क्या है माहौल, रणनीति और समीकरण

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कई विधानसभा सीटों पर कांटे का मुकाबला है. राजनीतिक पंडितों को यह तय कर पाना बहुत कठिन है कि यहां ऊंट किस करवट बैठेगा. जबलपुर की पूर्व विधानसभा में दो पुराने धुरंधर राजनेता आमने-सामने हैं. दोनों ही पूर्व मंत्री हैं. इन दोनों के बीच यह राजनीतिक दुश्मनी परंपरागत है. बीते तीन विधानसभा चुनाव से ये दोनों आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों ने एक-दूसरे को हराया भी है.

Jabalpur East Assembly Seat
जबलपुर की पूर्व विधानसभा सीट, दो पूर्व मंत्रियों के बीच दिलचस्प मुकाबला
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 11, 2023, 10:25 AM IST

जबलपुर की पूर्व विधानसभा सीट, दो पूर्व मंत्रियों के बीच दिलचस्प मुकाबला

जबलपुर। जबलपुर की पूर्व विधानसभा सीट से कांग्रेस के वर्तमान विधायक हैं लखन घनघोरिया. उन्होंने 2018 में भारतीय जनता पार्टी के नेता अंचल सोनकर को ही 35 हजार वोटों से हराया था. लखन घनघोरिया को 90 हजार वोट मिले थे. इसके बाद लखन घनघोरिया कमलनाथ सरकार में मंत्री बने. उन्हें सामाजिक न्याय विभाग मिला था. इसलिए लखन घनघोरिया की स्थिति पूर्व विधानसभा क्षेत्र में मजबूत हो गई थी. हालांकि 2013 में लखन घनघोरिया ही अंचल सोनकर से एक हजार वोटों से हार गए थे. 2008 के चुनाव में भी ये दोनों ही आमने-सामने थे. इस चुनाव में अंचल सोनकर को हार का सामना करना पड़ा था.

महंगाई व बेरोजगारी बना मुद्दा : लखन घनघोरिया का कहना है कि जनता आक्रोश में है और शिवराज सिंह के कामकाज से परेशान है. महंगाई चरम पर पहुंच गई है और लोगों के पास काम नहीं है. वह बेरोजगार हैं. इसलिए पूरे प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल है. वहीं, अंचल सोनकर भारतीय जनता पार्टी के बहुत पुराने नेता हैं. 1990 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे. हालांकि यह चुनाव उन्होंने नरसिंहपुर की गोटेगांव विधानसभा से जीता था. इसके बाद अंचल सोनकर जबलपुर की राजनीति में आ गए और उन्होंने लंबी पारी खेली. 1993, 1998, 2003 से 2008 तक भी जबलपुर की पूर्व विधानसभा की विधायक रहे. 2008 में उन्हें पहली बार हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2013 में उन्होंने एक बार फिर चुनाव जीता.

योजनाओं के सहारे बीजेपी : इस हिसाब से 2023 में एक बार फिर कड़ी टक्कर दे रहे हैं. राजनीति के पुराने खिलाड़ी को भारतीय जनता पार्टी ने अब तक नौ बार विधानसभा की टिकट दी है और एक बार उमा भारती सरकार में मंत्री भी रहे हैं. अंचल सोनकर का कहना है कि जनता उनके साथ है. उसकी बड़ी वजह शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना और लाडली लक्ष्मी जैसी योजनाएं हैं. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवास योजना का भी हवाला देकर कह रहे हैं कि जिन लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिले हैं. वे खुद भारतीय जनता पार्टी का प्रचार कर रहे हैं.

दोनों नेताओं का विकल्प नहीं : बता दें कि जबलपुर की पूर्व विधानसभा सीट पर कांग्रेस के पास लखन घनघोरिया का कोई विकल्प नहीं है और भारतीय जनता पार्टी के पास अंचल सोनकर का कोई विकल्प नहीं है. हालांकि इस विधानसभा क्षेत्र में खटीक समाज की संख्या कम है. लेकिन राजनीति में इन लोगों का अच्छा खासा दबदबा है. इस बार भी मुकाबला कांटे का है. लखन घनघोरिया इस विधानसभा क्षेत्र में लगातार पांच सालों तक बेहद सक्रिय रहे हैं. इसलिए अंचल सोनकर के सामने कड़ी टक्कर है. यह जबलपुर की सबसे गरीब विधानसभा सीट है. यहां बेहद गरीब लोग रहते हैं और अपराध भी बहुत अधिक हैं. लोग रोजगार के लिए छोटे-छोटे कुटीर उद्योग चलाते हैं.

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ओवैसी की पार्टी भी मैदान में : इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी भी बड़े पैमाने पर है. हालांकि यहां असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के दो पार्षद चुनाव जीत चुके हैं. असदुद्दीन ओवैसी ने यहां से गज्जू सोनकर को चुनाव मैदान में उतारा है. गजेंद्र सोनकर पहले कांग्रेस में थे लेकिन वह बगावत करके चुनाव मैदान में है. राजनीतिक रूप से यह कहा जा रहा है कि वह सीधे तौर पर लखन घनघोरिया को नुकसान पहुंचाएंगे. इस विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक जनसभा को संबोधित किया था. इसके बाद कांग्रेस की ओर से लगभग उसी स्थान पर राहुल गांधी ने एक बड़ी आमसभा को संबोधित किया, लेकिन यहां जनसभाओं से ज्यादा दोनों ही नेता व्यक्तिगत संपर्क ज्यादा कर रहे हैं.

जबलपुर की पूर्व विधानसभा सीट, दो पूर्व मंत्रियों के बीच दिलचस्प मुकाबला

जबलपुर। जबलपुर की पूर्व विधानसभा सीट से कांग्रेस के वर्तमान विधायक हैं लखन घनघोरिया. उन्होंने 2018 में भारतीय जनता पार्टी के नेता अंचल सोनकर को ही 35 हजार वोटों से हराया था. लखन घनघोरिया को 90 हजार वोट मिले थे. इसके बाद लखन घनघोरिया कमलनाथ सरकार में मंत्री बने. उन्हें सामाजिक न्याय विभाग मिला था. इसलिए लखन घनघोरिया की स्थिति पूर्व विधानसभा क्षेत्र में मजबूत हो गई थी. हालांकि 2013 में लखन घनघोरिया ही अंचल सोनकर से एक हजार वोटों से हार गए थे. 2008 के चुनाव में भी ये दोनों ही आमने-सामने थे. इस चुनाव में अंचल सोनकर को हार का सामना करना पड़ा था.

महंगाई व बेरोजगारी बना मुद्दा : लखन घनघोरिया का कहना है कि जनता आक्रोश में है और शिवराज सिंह के कामकाज से परेशान है. महंगाई चरम पर पहुंच गई है और लोगों के पास काम नहीं है. वह बेरोजगार हैं. इसलिए पूरे प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल है. वहीं, अंचल सोनकर भारतीय जनता पार्टी के बहुत पुराने नेता हैं. 1990 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे. हालांकि यह चुनाव उन्होंने नरसिंहपुर की गोटेगांव विधानसभा से जीता था. इसके बाद अंचल सोनकर जबलपुर की राजनीति में आ गए और उन्होंने लंबी पारी खेली. 1993, 1998, 2003 से 2008 तक भी जबलपुर की पूर्व विधानसभा की विधायक रहे. 2008 में उन्हें पहली बार हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2013 में उन्होंने एक बार फिर चुनाव जीता.

योजनाओं के सहारे बीजेपी : इस हिसाब से 2023 में एक बार फिर कड़ी टक्कर दे रहे हैं. राजनीति के पुराने खिलाड़ी को भारतीय जनता पार्टी ने अब तक नौ बार विधानसभा की टिकट दी है और एक बार उमा भारती सरकार में मंत्री भी रहे हैं. अंचल सोनकर का कहना है कि जनता उनके साथ है. उसकी बड़ी वजह शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना और लाडली लक्ष्मी जैसी योजनाएं हैं. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवास योजना का भी हवाला देकर कह रहे हैं कि जिन लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिले हैं. वे खुद भारतीय जनता पार्टी का प्रचार कर रहे हैं.

दोनों नेताओं का विकल्प नहीं : बता दें कि जबलपुर की पूर्व विधानसभा सीट पर कांग्रेस के पास लखन घनघोरिया का कोई विकल्प नहीं है और भारतीय जनता पार्टी के पास अंचल सोनकर का कोई विकल्प नहीं है. हालांकि इस विधानसभा क्षेत्र में खटीक समाज की संख्या कम है. लेकिन राजनीति में इन लोगों का अच्छा खासा दबदबा है. इस बार भी मुकाबला कांटे का है. लखन घनघोरिया इस विधानसभा क्षेत्र में लगातार पांच सालों तक बेहद सक्रिय रहे हैं. इसलिए अंचल सोनकर के सामने कड़ी टक्कर है. यह जबलपुर की सबसे गरीब विधानसभा सीट है. यहां बेहद गरीब लोग रहते हैं और अपराध भी बहुत अधिक हैं. लोग रोजगार के लिए छोटे-छोटे कुटीर उद्योग चलाते हैं.

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ओवैसी की पार्टी भी मैदान में : इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी भी बड़े पैमाने पर है. हालांकि यहां असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के दो पार्षद चुनाव जीत चुके हैं. असदुद्दीन ओवैसी ने यहां से गज्जू सोनकर को चुनाव मैदान में उतारा है. गजेंद्र सोनकर पहले कांग्रेस में थे लेकिन वह बगावत करके चुनाव मैदान में है. राजनीतिक रूप से यह कहा जा रहा है कि वह सीधे तौर पर लखन घनघोरिया को नुकसान पहुंचाएंगे. इस विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक जनसभा को संबोधित किया था. इसके बाद कांग्रेस की ओर से लगभग उसी स्थान पर राहुल गांधी ने एक बड़ी आमसभा को संबोधित किया, लेकिन यहां जनसभाओं से ज्यादा दोनों ही नेता व्यक्तिगत संपर्क ज्यादा कर रहे हैं.

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