जबलपुर। चुनाव जीतने के लिए सत्ताधारी पार्टी ने गेहूं के समर्थन मूल्य को 2700 रुपया करने की घोषणा की थी जबकि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता की कमेटी ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 रुपये तय किया था जो 2024 और 25 में लागू रहेगा. ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार किसानों को 2700 रुपये के दाम कैसे दे पाएगी. वहीं दूसरी तरफ भारतीय किसान संघ की मांग है कि यदि भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में 2700 रुपये देने की बात कही है तो उसे यह घोषणा पूरी करनी पड़ेगी.
एमपी में एमएसपी का वादा
सत्ताधारी पार्टी ने चुनाव के पहले 11 नवंबर को अपना घोषणा पत्र जारी किया था. इसे भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया की अध्यक्षता में तैयार किया गया था. इसमें भारतीय जनता पार्टी ने जनता से वादा किया है कि धान का समर्थन मूल्य ₹3100 दिया जाएगा और गेहूं का समर्थन मूल्य ₹2700 किया जाएगा. पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया ने लंबे समय तक मध्य प्रदेश का वित्त विभाग संभाला था इसलिए उन्हें गेहूं के समर्थन मूल्य को बढ़ाने के पीछे का आर्थिक आधार पता होगा.
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में समर्थन मूल्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2024-25 के लिए 18 अक्टूबर 2023 को रवि की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी थी. जिसमें गेहूं का समर्थन मूल्य 2125 से बढ़कर 2275 किया गया था, इसमें लगभग डेढ़ सौ रुपये की बढ़ोतरी की गई थी. इसी समिति में गेहूं का उत्पादन मूल्य भी पेश किया था जो 1128 बताया गया है. 1128 में यदि 102 प्रतिशत का मार्जिन दिया जाए तो इस तरह गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 किया गया.
भारतीय किसान संघ की मांग
भारतीय किसान संघ के नेता राघवेंद्र पटेल ने जबलपुर में मांग की है कि भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव के ठीक पहले जो वादा किया था उसे सरकार को पूरा करना चाहिए. किसानों को गेहूं की सरकारी खरीद में ₹2700 का समर्थन मूल्य देना होगा. राघवेंद्र पटेल का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने ये बात अपने घोषणा पत्र में कही थी और इसके अनुसार किसानों को वर्तमान कीमत से लगभग 425 रुपया अधिक चुकाकर किसानों से गेहूं खरीदना होगा.
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कैसे बन रही है उलझन
अब उलझन यह है कि यदि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बनी हुई कमेटी ने पूरी लागत जोड़ने के बाद गेहूं की कीमत 2275 तय की थी तो मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने ₹2700 के दाम किस आधार पर घोषित किये. सवाल यह खड़ा होता है कि 2275 रुपया तो केंद्र सरकार दे देगी लेकिन बाकी बचा हुआ 425 रुपया कौन देगा. क्या राज्य सरकार के पास इतना पैसा है कि वह किसानों को 425 प्रति क्विंटल के हिसाब से अतिरिक्त भुगतान कर सके या फिर केंद्र सरकार एक बार फिर से समर्थन मूल्य को बढ़ाने का फैसला लेगी.
क्या है मध्य प्रदेश में धान और गेंहू का एमएसपी प्लान
चुनाव से पहले सत्ताधारी पार्टी ने किसानों से वादा किया था अगर वो दोबारा मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज होते हैं, तो धान का समर्थन मूल्य ₹3100 दिया जाएगा और वहीं, गेहूं का समर्थन मूल्य ₹2700 रखा जाएगा. अब जबकि सत्ता में बड़े बहुमत के साथ भाजपा की वापसी हो गई है और लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक है ऐसे में किसानों की आस बढ़ गई है. उन्हें अब नये एमएसपी के ऐलान का इंतजार है. वहीं सरकार बजट के वक्त इसे लेकर बड़ा फैसला ले सकती है जिसमें गेंहू और धान की फसल का ज्यादा से ज्यादा रेट देना शामिल होगा.