जबलपुर। पाटन से भाजपा विधायक अजय विश्नोई का आरोप है कि ''मध्य प्रदेश में मेडिकल एजुकेशन के साथ खिलवाड़ हो रहा है. मध्य प्रदेश सरकार ने जो मेडिकल यूनिवर्सिटी बनाई है उसमें अब तक कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो पाई है और इसकी वजह से पूरे मेडिकल एजुकेशन की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.'' गौरतलब है कि मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के बाद से अब तक केवल भ्रष्टाचार की वजह से सुर्खियों में रहा है. यहां के निचले कर्मचारी ऑनलाइन रिश्वत ले रहे हैं. पूर्व कुलपतियों पर पद के दुरुपयोग का आरोप है. मेडिकल की परीक्षा करवाने वाली एजेंसियों पर पुलिस मुकदमे चल रहे हैं, लेकिन इतनी गंभीर शिकायतों के बाद भी सरकार इसे अब तक पटरी पर नहीं ला पाई है.
मेडिकल यूनिवर्सिटी के साथ खिलवाड़: मेडिकल एजुकेशन की लापरवाहियों का ही नतीजा है कि नर्सिंग के हजारों छात्रों की बीते 3 साल में परीक्षाएं ही नहीं हो पाई हैं. अजय विश्नोई का आरोप है कि ''नर्सिंग कॉलेजों की गड़बड़ी के बारे में उन्होंने खुद व्यक्तिगत रूप से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को जानकारी दी थी. जब मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तब उन्होंने इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाया था. अभी तक उन्हें इसके कोई परिणाम नहीं मिले हैं.'' अजय विश्नोई का कहना है कि यह मध्य प्रदेश के हजारों छात्रों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ का मामला है. नर्सिंग कॉलेज की परीक्षाएं बीते 3 सालों से नहीं हुई है और 50,000 से ज्यादा छात्र छात्राएं अभी तक सरकार की ओर आस लगाए बैठे हैं. लेकिन सरकार कोई फैसला नहीं कर रही, यह गंभीर मामला है.''
यह खबरें भी पढ़ें |
3 साल से एक भी नर्स की भर्ती नहीं हुई: कोरोना वायरस जैसी महामारी देखने के बाद भी मध्य प्रदेश सरकार की चिकित्सा शिक्षा विभाग का यह गैर जिम्मेदाराना रवैया कई सवाल खड़े करता है. जरा सोचिए 3 साल से मध्यप्रदेश में कोई भी नई नर्स नहीं आई है. ऐसे हालात में जब अचानक से नर्सिंग स्टाफ की जरूरत होगी तो यह स्टॉप कहां से आएगा. अजय विश्नोई भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, कई बार मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं और उनकी इस टिप्पणी पर एक राजनीतिक बयान यह भी हो सकता है कि उन्हें इस बार मंत्रिमंडल में नहीं लिया, इसलिए वे ऐसी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं. लेकिन जो वस्तु स्थिति पर बता रहे हैं उसमें सच्चाई है. अगर सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया तो हजारों छात्रों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा.