जबलपुर। भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार कर रही है. शहर में बीजेपी की स्थिति बहुत खराब है. जबलपुर के शहरी इलाके में 4 में से 3 विधायक कांग्रेस के हैं और यहां के महापौर भी कांग्रेसी हैं. ऐसी स्थिति में शहरी इलाके में बीजेपी को अपना घटता हुआ जनाधार बढ़ाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा. इसी वजह से भारतीय जनता पार्टी महापौर के खिलाफ आक्रामक है और सोमवार को बीजेपी के नेताओं ने नर्मदा नदी की आस्था को मुद्दा बनाते हुए नगर निगम में एक प्रदर्शन किया.
बीजेपी का महापौर पर गंभीर आरोप: जबलपुर नगर निगम सोमवार को राजनीतिक जंग का अखाड़ा बन गया. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने महापौर पर निकम्मे पन के आरोप लगाए. वहीं महापौर ने अपने काम सबूतों के साथ पेश किए. इस प्रदर्शन में भारतीय जनता पार्टी के पार्षद धरने पर बैठे नजर आए. बीजेपी के कार्यकर्ताओं का कांग्रेस के महापौर जगत बहादुर अन्नू पर गंभीर आरोप है. उन्होंने कहा, महापौर ने चुनाव के ठीक पहले कहा था कि जब वे चुनकर आएंगे तो सबसे पहले नर्मदा नदी में मिलने वाले गंदे नालों पर वॉटर फिल्टर प्लांट लगाने की योजना पर मुहर लगाएंगे. लेकिन भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि महापौर ने ऐसा नहीं किया.
विकास यात्रा बनाम फेयरवेल पार्टी: कांग्रेस महापौर का कहना है कि, वे बीजेपी की विकास यात्रा में शामिल नहीं हुए इसलिए भारतीय जनता पार्टी के नेता बिगड़ गए हैं. उनके शामिल न होने की वजह बीजेपी की फेयरवेल पार्टी है. महापौर का आरोप है कि, विकास यात्रा में भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी ऐसे भूमि पूजन कर रहे हैं जिनका कहीं कोई नामोनिशान नहीं है. वहीं विकास यात्रा सरकार का कार्यक्रम न होकर बीजेपी का निजी कार्यक्रम है. इसमें वे शामिल नहीं हो सकते और इसी से बीजेपी नाराज है.
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महापौर की सफाई: जबलपुर नगर निगम के कांग्रेसी महापौर जगत बहादुर सिंह ने धरने के ठीक बाद अपनी सफाई दी. प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महापौर ने बताया कि, भारतीय जनता पार्टी के आरोप बेबुनियाद हैं. उन्होंने अपने वादे के अनुसार चुनाव जीतने के ठीक बाद नर्मदा नदी में मिलने वाले गंदे नालों पर फिल्टर प्लांट लगाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है. इसका सबूत टेंडर डॉक्युमेंट और योजना के दस्तावेज भी उन्होंने मीडिया के सामने रखें. महापौर का कहना है कि, दरअसल जबलपुर में बीजेपी अपनी हार को नहीं बचा पा रही है. विकास यात्रा में बीते 18 साल में बीजेपी के शासन द्वारा किए कोई काम सामने ही नहीं आ पा रहे हैं, इसलिए भाजपा को भावनात्मक धार्मिक मुद्दों की तरफ रुख करना पड़ रहा है.