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पेट के कीड़े मारने वाली दवा से कोरोना का इलाज, जबलपुर मेडिकल कॉलेज में सैकड़ों मरीज हुए ठीक

जबलपुर मेडिकल कॉलेज में पेट के कीड़े मारने वाली दवा से कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज किया जा रहा है. डॉक्टर्स का दावा है कि शुरूआती लक्षण पाए जाने वाले मरीजों पर ये दवा कारगर भी सिध्द हुई है.

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Published : Jul 29, 2020, 4:33 AM IST

जबलपुर। जबलपुर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स पेट के कीड़े मारने वाली दवा से कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे हैं. डॉक्टर्स की मानें तो जिन मरीजों में कोरोना के सामान्य लक्षण हैं, उन पर इस दवा ने असर दिखाया है. अब तक सैकड़ों मरीजों को इस दवा के जरिए ठीक किया जा चुका है. इस दवा का नाम आइवरमेक्टिन है. डॉक्टर्स मरीजों को मेडिकल सब्सटिट्यूड के रूप में दे रहे हैं.

डॉ एस भारती

मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी डॉ एस भारती का कहना है कि उन्होंने कुछ मरीजों को जिनके शरीर में कोरोना वायरस ज्यादा स्तर तक नहीं फैला था, उन्हें बच्चों के पेट की कृमि मारने वाली दवा दी थी और इसके रिजल्ट बहुत अच्छे आए हैं. अगर शुरुआत में ही ये दवा मरीज को दे दी जाए तो कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत हद तक घट जाता है.

उनका कहना है कि ये कोई ट्रायल ड्रग नहीं है, बल्कि इसके बारे में टेस्ट पहले ही किए जा चुके हैं और ये दवा सामान्य तौर पर मरीजों को दी जाती है, ये दवा पूरी तरह से सुरक्षित है. हालांकि उन्होंने ये स्पष्ट किया कि इसके लिए वे रिसर्च पेपर तैयार कर रहे हैं. जिसे पब्लिश किया जाएगा और दूसरी जगहों पर भी इसकी स्टडी चल रही है. अगर संभव हो सकेगा तो इसका बड़े स्तर पर उपयोग किया जा सकता है.

वहीं रेमेडेसिविर (Remdesivir) नाम की दवा अभी जबलपुर मेडिकल कॉलेज के मरीजों को नहीं दी जा रही है. क्योंकि इसकी उपलब्धता मेडिकल कॉलेज को नहीं हो पाई है. ये एक बहुत ही महंगी दवा है, लेकिन इससे कोरोना वायरस के खात्मे में अब तक एक प्रभावी दवा के रूप में माना गया है. लेकिन अगर क्रमी मारने वाली दवा से कोरोना वायरस ठीक होता है तो ये एक बड़ी सफलता है.

जबलपुर मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में कोरोना मरीजों का सफल इलाज किया जा रहा है. अब तक जिले में कोरोना वायरस के 1070 मरीज सामने आ चुके हैं. 24 मरीजों की संक्रमण के चलते मौत हो गई है. इनमें से ज्यादातर मरीज गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे. हालांकि जिले का रिकवरी रेट भी तेजी से बढ़ रहा है और ज्यादा से ज्याद मरीज स्वस्थ हो रहे हैं.

जबलपुर। जबलपुर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स पेट के कीड़े मारने वाली दवा से कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे हैं. डॉक्टर्स की मानें तो जिन मरीजों में कोरोना के सामान्य लक्षण हैं, उन पर इस दवा ने असर दिखाया है. अब तक सैकड़ों मरीजों को इस दवा के जरिए ठीक किया जा चुका है. इस दवा का नाम आइवरमेक्टिन है. डॉक्टर्स मरीजों को मेडिकल सब्सटिट्यूड के रूप में दे रहे हैं.

डॉ एस भारती

मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी डॉ एस भारती का कहना है कि उन्होंने कुछ मरीजों को जिनके शरीर में कोरोना वायरस ज्यादा स्तर तक नहीं फैला था, उन्हें बच्चों के पेट की कृमि मारने वाली दवा दी थी और इसके रिजल्ट बहुत अच्छे आए हैं. अगर शुरुआत में ही ये दवा मरीज को दे दी जाए तो कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत हद तक घट जाता है.

उनका कहना है कि ये कोई ट्रायल ड्रग नहीं है, बल्कि इसके बारे में टेस्ट पहले ही किए जा चुके हैं और ये दवा सामान्य तौर पर मरीजों को दी जाती है, ये दवा पूरी तरह से सुरक्षित है. हालांकि उन्होंने ये स्पष्ट किया कि इसके लिए वे रिसर्च पेपर तैयार कर रहे हैं. जिसे पब्लिश किया जाएगा और दूसरी जगहों पर भी इसकी स्टडी चल रही है. अगर संभव हो सकेगा तो इसका बड़े स्तर पर उपयोग किया जा सकता है.

वहीं रेमेडेसिविर (Remdesivir) नाम की दवा अभी जबलपुर मेडिकल कॉलेज के मरीजों को नहीं दी जा रही है. क्योंकि इसकी उपलब्धता मेडिकल कॉलेज को नहीं हो पाई है. ये एक बहुत ही महंगी दवा है, लेकिन इससे कोरोना वायरस के खात्मे में अब तक एक प्रभावी दवा के रूप में माना गया है. लेकिन अगर क्रमी मारने वाली दवा से कोरोना वायरस ठीक होता है तो ये एक बड़ी सफलता है.

जबलपुर मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में कोरोना मरीजों का सफल इलाज किया जा रहा है. अब तक जिले में कोरोना वायरस के 1070 मरीज सामने आ चुके हैं. 24 मरीजों की संक्रमण के चलते मौत हो गई है. इनमें से ज्यादातर मरीज गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे. हालांकि जिले का रिकवरी रेट भी तेजी से बढ़ रहा है और ज्यादा से ज्याद मरीज स्वस्थ हो रहे हैं.

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