भोपाल: राजधानी में बुधवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में मंडल और जिला अध्यक्ष के चुनाव को लेकर प्रदेश स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया. इसमें राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश ने भाजपा कार्यकर्ताओं को मंडल और जिला अध्यक्ष चुनने के लिए क्राइटेरिया बताया. इस दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा के पास क्षमतावान और विचारवान मंडल या जिलाध्यक्ष होना चाहिए. हमारी पार्टी विचारों से चलती है, ऐसे में अध्यक्ष के अंदर अनुशासन का गुण भी होना चाहिए.
ऐसे होगा मंडल और जिला अध्यक्ष का चुनाव
राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश ने कार्यकर्ताओं को बताया कि "भाजपा संगठन एक पारिवारिक संगठन है. इसमें संविधान और इसकी धाराएं हैं लेकिन अंतिम समय में आवश्यकता पड़ने पर इसे बदला भी जा सकता है. इसका मतलब ये नहीं कि हम चुनाव में संविधान का पालन और परामर्श नहीं करेंगे. हम बराबर परामर्श करेंगे, सबकी सहमति से ही निर्णय होगा. लेकिन जहां सहमति नहीं होगी, वहां हम सामने वाले से कहेंगे कि आप एक महीने रुको हम आपके बारे में विचार करेंगे. यहां विधायक, सांसद व संगठन के कार्यकर्ता बैठे हैं. आप सबको इस दिशा में नीचे तक संगठन को लेकर जाना है. अपने-अपने क्षेत्र में सहमति बनाकर लेकर आना है और जिसे सहमति बनाकर के साथ चुन रहे हो. उसको स्थापित करने और उसका सम्मान करने की जिम्मेदारी भी सबकी है."
'कार्यकर्ता के स्थापित करने से पार्टी स्थापित होगी'
राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री ने कहा कि "जिले के लोगों को मंडल वालों को चुनने में सहायता करनी है. प्रदेश वालों को जिले को चुनना है. जब हम अपने व्यक्ति की मूर्ति को स्थापित करते हैं, तो व्यक्ति बड़ा होता है. हम अपने व्यक्ति को जब छोटा करते हैं, तो वो छोटा होता है. संगठन भी छोटा होता है. जब हम अपने कार्यकर्ताओं को नीचा दिखाते हैं, तो हम उससे बड़ा नहीं होते हम उससे छोटे होते हैं. इसलिए हमारा जो बूथ अध्यक्ष बने, उसे अपने साथ लेकर विधायक कहें कि ये है हमारा बूथ अध्यक्ष. ऐसे कहते हुए हमारे गांव के लोगों को लगना चाहिए कि ये हमारे गांव के नरेंद्र मोदी हैं. इससे हमारे बूथ, मंडल और जिलाध्यक्ष स्थापित होते हैं."
'अनुसूचित जाति वाली सीट पर बनाएं सामान्य अध्यक्ष'
यदि हम किसी को चुनकर लाए हैं, तो उसे योग्यतानुसार क्षमता देना पार्टी के संगठन का काम है. हमें महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के बारे में भी विचार करना होगा. शिव प्रकाश ने कहा कि "जो जनजाति प्रभाग का जिला है, वहां जरुरी नहीं कि जनजाति वर्ग का ही अध्यक्ष हो. एक जिले में 10-12 मंडल हैं, तो क्या हम उसमें संतुलन नहीं बैठा सकते. वहां महिला, अनुसूचित जाति, ट्राइबल और सामान्य कार्यकर्ता भी अध्यक्ष बना सकते हैं. इसका मतलब पार्टी को सजाना है जो एससी सीट है वहां सामान्य अध्यक्ष बनाओ. सामान्य पर अनुसूचित जाति के बारे में सोचो. ये जो संतुलन है इसको ध्यान में रखकर अपने संगठन को खड़ा करना है."
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आयु का बंधन नहीं, लेकिन तकनीकी ज्ञान जरुरी
शिव प्रकाश ने कहा कि "टेक्नालॉजी के एक जानकार कह रहे थे कि आने वाले 4 से 5 सालों में एआई से ही सबकुछ होगा. आप मोबाइल पर अपने अगले 10 दिनों के कार्यक्रम की लिस्ट डालेंगे, तो वो सेट होकर आ जाएगी. यदि आप 70 साल के आदमी को ढूढेंगे, तो वह टेक्नालॉजी से तारतम्य नहीं बिठा पाएगा. नया अध्यक्ष आता है , तो उसमें नई चीजों को स्वीकार करने की मानसिकता होती है. इसका मतलब किसी को आउट और इन करना नहीं है. हमें इससे यह सीख लेनी है कि आने वाले 25 से 30 सालों के लिए संगठन कैसे तैयार होगा."