उमरिया : वैसे तो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की असली पहचान बाघों के लिए है, और यहां अक्सर ही आसानी से बाघों का दीदार भी होता है, लेकिन अब यहां के बायसन भी मशहूर होने जा रहे हैं. दरअसल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के प्रबंधन ने बायसन की हेल्दी पॉपुलेशन बढ़ाने लिए बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है, जिसके तहत बायसन प्रोजेक्ट-2 की तैयारी पूरी कर ली गई है. इसके तहत 50 स्वस्थ बायसन बांधवगढ़ के घने जंगलों में छोड़े जाएंगे.
50 बायसन बांधवगढ़ कब लाए जाएंगे?
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा ने बताया है, '' बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 50 और बायसन लाने की तैयारी कर ली गई है, और ये बायसन सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से जाएंगे और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में छोड़े जाएंगे. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से बायसन जनवरी 2025 की शुरुआत में ही जनवरी महीने के आखिरी में लाए जा सकते हैं. इसे बायसन प्रोजेक्ट टू के तहत देखा जा रहा है.
बांधवगढ़ में अभी कितने बायसन?
ऐसा नहीं है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में अभी बायसन नहीं हैं, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा ने बताया कि बांधवगढ़ में साल 2011-12 में कान्हा से 50 बायसन लाए गए थे, जिनकी संख्या अब 170 हो चुकी है, मतलब 120 बायसन बढ़ चुके हैं. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बायसन मगधी, कल्लवाह और ताला परिक्षेत्र के जंगलों के साथ-साथ अलग-अलग क्षेत्र में झुंड में दिखाई नजर आ जाते हैं.
अब सतपुड़ा से क्यों लाए जा रहे बायसन?
जब बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगातार बायसन की संख्या बढ़ रही है, तो फिर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से बायसन क्यों लाए जा रहे हैं? इसे लेकर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा बताते हैं, '' अभी जो बांधवगढ़ में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून ने जो सर्वे किया है, उस अध्ययन में ये पाया गया है कि कान्हा के जो बायसन हैं वो आपस में इनब्रीड हो रहे हैं और इनकी संख्या बढ़ रही है, जिनमें कई जेनेटिक समस्या भी देखने को मिल रही है. इनका इम्यूनिटी सिस्टम लगातार कमजोर हो रहा है और रोगों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो रही है. एक ही जीन पूल के होने के कारण ये दिक्कत आ रही है. देखा गया है कि कान्हा और पेंच के बायसन का वेरिएंट लगभग नजदीक का ही है, लेकिन सतपुड़ा का थोड़ा सा डिफरेंट है, इसलिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से 50 बायसन BTR में छोड़ने की तैयारी है, जिससे डाइवर्सिटी अच्छी रहेगी, लॉन्ग समय के लिए इनकी पॉपुलेशन भी हेल्दी होगी, और इनमें इम्यूनिटी भी बेस्ट डेवलप होगी, जिससे इनकी हेल्दी पॉपुलेशन बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बढ़ेगी.
एक अध्ययन के बाद फैसला
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जो अभी बायसन हैं उनके सैंपल आदि पहले लिए गए थे, और लगातार उन पर अध्ययन किया जा रहा था, उनकी स्ट्रैंथ आदि पर ध्यान दिया जा रहा था, जिसमें काफी कुछ अंतर पाया गया. इसके लिए पूरा रिसर्च पेपर तैयार किया गया, जिसके बाद पीसीसी वाइल्डलाइफ को भेजा गया और पीसीसी वाइल्डलाइफ ने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया को भेजा. गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने 50 बायसन बांधवगढ़ में लाने का परमिशन दे दिया, जिसे बायसन प्रोजेक्ट टू के तौर पर लिया गया और उसे 2025 की शुरुआती महीने में ही कंप्लीट करने की तैयारी है.
पहले बाड़ा में रखे जाएंगे बायसन
जो बायसन बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से लाए जाएंगे उन्हें पहले एक बाड़े में रखने की तैयारी है, और इसके लिए 50 हेक्टेयर का एक बाड़ा भी बनाया जाएगा. सतपुड़ा से लाए जाने वाले बायसन को पहले 30 दिनों तक वहां बाड़े में रखकर उनकी निगरानी की जाएगी. इसके बाद ही जंगल में छोड़ने की तैयारी की जाएगी. ये स्पेशल बाड़ा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कल्लवाह परिक्षेत्र के जंगलों में 50 हेक्टेयर रकबे में बनाने की तैयारी है.
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पर्यावरण संतुलन के लिए बायसन जरूरी
देखा जाए तो जंगल में इकोसिस्टम को बनाए रखने और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए बायसन की भी आवश्यकता होती है. क्योंकि बायसन अक्सर मोटी घास को खाता है, और उस मोटी घास के बाद जो नई घास निकलती है, उसे दूसरे वन्य प्राणी खाते हैं. क्योंकि घास पतली होती है इसलिए देखा गया है कि बायसन जिस क्षेत्र में रहते हैं उसके आसपास कई तरह के वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं.